तीन साल पहले दुनिया कोविड संकट के दौरान जिस तरह से थम गई थी, वही हाल इन दिनों हिमाचल प्रदेश के कुल्लू ज़िले के पर्यटन केंद्र मनाली का है.
जुलाई के दूसरे सप्ताह में भारी बारिश और बाढ़ के चलते मनाली में सबसे ज़्यादा नुकसान देखने को मिला और इसी वजह से पूरा शहर मानो ठहर गया है.
इस आपदा की वजह से जान-माल दोनों का नुकसान उठाना पड़ा. स्थानीय लोगों का दावा है कि शहर कई साल पीछे चला गया है.
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक अब तक कुल्लू ज़िले में 20 लोगों के शव बरामद किए जा चुके हैं, जिनमें से 15 की पहचान हो सकी.
इसके अलावा बीते दो सप्ताह के दौरान 21 लोगों का पता नहीं चल पाया है.
ब्यास नदी का तेज़ बहाव अपने साथ 50 से ज़्यादा मकान और कॉर्मिशयल संपत्तियों को बहा ले गया. नेशनल हाइवे के किनारे की संपत्तियों को बहुत ज़्यादा नुकसान हुआ है.
स्थानीय निवासी और वरिष्ठ पत्रकार छविंदर ठाकुर इस आपदा पर कहते हैं, “ब्यास नदी की बाढ़ ने सितंबर, 1995 में जिस तरह की तबाही मचाई थी, बिलकुल वैसी ही स्थिति उत्पन्न हो गई है. तब मनाली महीनों तक सड़क संपर्क से कटा रहा था. इस बार भी वैसा ही नुकसान हुआ है.”
“कुछ नुकसान तो ऐसे हैं कि उनकी भरपाई कभी नहीं हो पाएगी. ब्यास नदी को अपना रास्ता बदलकर सबकुछ बहाकर ले जाते देखना बहुत डराने वाला था. कुछ ही मिनटों में नेशनल हाईवे पर खड़े वाहन, दुकान और मकान सब बह गए.”
1000 करोड़ के नुकसान का अनुमान
इस बाढ़ के चलते कुल्लू और मनाली का आपसी संपर्क भी टूट गया था.
दोनों के बीच 45 किलोमीटर की दूरी है और इन स्थानों के बीच संपर्क के बहाल करने में स्थानीय प्रशासन को काफ़ी मशक्कत करनी पड़ी है.
लगातार होती बारिश ने इस काम को और भी दुरुह बना दिया.
कुल्लू के उपायुक्त आशुतोष गर्ग ने बताया, “इन सड़कों को पूरी तरह ठीक करने में लंबा वक्त लगेगा. हमारी कोशिश अस्थायी तौर पर ही सही लेकिन संपर्क बहाल करने की है ताकि लोग जरूरत का सामान एक जगह से दूसरी जगह ले जा सकें.”
छविंदर ठाकुर के मुताबिक नेशनल हाइवे के अलावा प्रशासन को कुल्लू और मनाली को जोड़ने वाली सड़क पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.
वे कहते हैं, “कुल्लू मनाली में नदी के किनारे बनाई गई रिटेनिंग दीवारें मज़बूत नहीं थीं, ठीक से नहीं बनीं थीं.”
“ऐसी आपदाओं को देखते हुए सरकार को कुल्लू और मनाली को जोड़ने वाली सड़क ठीक से बनानी चाहिए. ताकि किसी आपदा की स्थिति में लोगों को मदद मिल सके और फल उत्पादक अपने उत्पादों को समय रहते निकाल सकें.”
कुल्लू के उपायुक्त आशुतोष गर्ग, केंद्र सरकार की उस टीम में शामिल हैं जो इलाके में हुए नुकसान और राहत कार्यों का जायजा ले रही है.
उनका कहना है कि पूरे ज़िले में काफ़ी नुकसान हुआ है.
यह नुकसान कितना बड़ा हो सकता है, पूछे जाने पर उन्होंने बताया, ‘क़रीब 1000 करोड़ रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ है.’
इस नुकसान में ज़िले से गुजरने वाली नेशनल हाइवे को हुए नुकसान को शामिल नहीं किया गया है. यह सड़क कई जगहों पर टूट गई है.
बाढ़ के समय 50 हजार टूरिस्ट फंसे थे
आशुतोष गर्ग के मुताबिक कुल्लू और मनाली में ठहरे सभी पर्यटकों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया था.
हालांकि अभी भी बड़ी संख्या में ऐसे पर्यटक कुल्लू और मनाली में मौजूद हैं, जिनकी गाड़ियां फंसी हुई हैं.
मनाली हिमाचल प्रदेश का अंतरराष्ट्रीय पर्यटन केंद्र माना जाता है. यह अटल सुरंग के ज़रिए लेह से जुड़ा हुआ है.
सेब उत्पादन और निर्यात के अलावा इस शहर की अर्थव्यवस्था पर्यटन उद्योग पर ही टिकी है. सामान्य परिस्थतियों में यहां सालाना 35 लाख पर्यटक आते हैं.
शहर में 1500 होटल, गेस्ट हाउस और होम स्टे हैं. इन लोगों पर बाढ़ का असर साफ़ दिखने लगा है.
जब लगातार बारिश और बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हुई, उस समय ज़िला प्रशासन के मुताबिक करीब 50 हज़ार पर्यटक कुल्लू और मनाली में मौजूद थे.
कुल्लू और मनाली के दूर-दराज़ वाले इलाकों में पर्यटकों, ख़ासकर विदेशी सैलानियों की दिलचस्पी रहती है.
मनाली के होटल मालिकों के एसोसिएशन के अध्यक्ष मुकेश ठाकुर ने बताया, “हमलोग 10 साल पीछे वाली स्थिति में पहुंच गए हैं. अब बड़ी संख्या में पर्यटकों की भीड़ भी शायद नहीं जुटेगी. कोविड का दौर हम लोगों ने देखा था.”
“पर्यटकों का आना बंद हो चुका था. पिछले कुछ समय से धंधे में तेजी आयी थी लेकिन सब चौपट हो गया. सड़क संपर्क, बिजली, पानी और मोबाइल नेटवर्क सब बाधित है और हमारे पास कोई बैकअप प्लान नहीं है.”
मुकेश ठाकुर के मुताबिक भी ब्यास नदी के साथ नेशनल हाइवे की दीवारों का निर्माण उचित मानदंड के अनुरूप नहीं था.
उन्होंने कहा, “यही वजह है कि सड़क बह गई. इतना ही नहीं सड़क निर्माण के दौरान उत्पन्न होने वाला कचरा भी नदी में फेंका जाता रहा. ऐसे बाढ़ के समय में वो ख़तरनाक हो जाता है. इन सब पर निगरानी करने वाली व्यवस्था कहां है?”
पर्यटन को पटरी पर लाना सबसे बड़ी चुनौती
पर्यटन उद्योग की वापसी के लिए मुकेश ठाकुर सरकार से राहत पैकेज की मांग कर रहे हैं.
उन्होंने कहा, “सभी पर्यटकों को बचा लिया गया लेकिन उनके अंदर डर बैठ गया है. हमलोग सरकार से राहत पैकेज की मांग कर रहे हैं क्योंकि स्थिति के सामान्य होने में अभी काफी वक्त लगेगा.”
“हमें कोविड संकट के दौरान कोई सहायता नहीं मिली थी. लेकिन मौजूदा संकट में हमें मदद की ज़रूरत है.”
स्थानीय नागरिकों में डबल लेन वाली सड़क के आने से जो उत्साह दिखता था, वह अब नदारद है. स्थानीय लोगों के मुताबिक सड़क ही नहीं हवाई मार्ग से कुल्लू मनाली को अन्य हिस्सों से जोड़ा जाना चाहिए.
स्थानीय लोगों के मुताबिक यह सरकार की ज़िम्मेदारी है कि वह नदी तट पर बड़े निर्माण कार्यों को नहीं होने दे और इस पहलू पर सतत निगरानी की जाए.
इसके अलावा निर्माण से जुड़े कचरों को नदी में डालने पर पाबंदी की बात भी आम लोग कर रहे हैं.
ये सब वो मुद्दे हैं जिनको लेकर पर्यावरण कार्यकर्ता लंबे समय से मांग करते आ रहे हैं, लेकिन सरकार और आम लोगों का ध्यान कभी इस ओर नहीं गया.
अगर गया होता तो मनाली में इतनी तबाही देखने को नहीं मिलती.