AMAN SHARMA
डीडवाना झील में प्रतिवर्ष हजारो विभिन्न प्रजातियों के प्रवासी पक्षी माइग्रेट करके यहां आते है। विशेषज्ञ बताते है कि मीलो का सफर कर यह पक्षी सुदूर ठंडे देशों से भारत आते है । डीडवाना में मौसम की अनुकूलताए उनको यहाँ खींच लाती है।आमतौर पर सर्दी का मौसम खत्म होते ही यह प्रवासी पक्षी अपने देश को लौट जाते हैं, लेकिन पिछले कुछ अर्से से ऐसा नहीं हो रहा है, और सर्दी का मौसम खत्म हो जाने के बाद भी प्रवासी पक्षी यहां डेरा जमाए हुए हैं ।
डीडवाना झील में प्रतिवर्ष हजारो विभिन्न प्रजातियों के प्रवासी पक्षी माइग्रेट करके यहां आते है। विशेषज्ञ बताते है कि मीलो का सफर कर यह पक्षी सुदूर ठंडे देशों से भारत आते है । डीडवाना में मौसम की अनुकूलताए उनको यहाँ खींच लाती है।आमतौर पर सर्दी का मौसम खत्म होते ही यह प्रवासी पक्षी अपने देश को लौट जाते हैं, लेकिन पिछले कुछ अर्से से ऐसा नहीं हो रहा है, और सर्दी का मौसम खत्म हो जाने के बाद भी प्रवासी पक्षी यहां डेरा जमाए हुए हैं ।
जगदीश प्रसाद (पक्षी विज्ञानी)\ पहचान – half स्लीव जैकेट, नावां – सांभर झील, डीडवाना में फ्लेमिंगो प्रवासी पक्षी बहुतायत से आता है। इन क्षेत्रों में आने के पीछे कारण है कि वेटलैंड क्षेत्र होने के साथ साथ यहां इनके भोजन के लिए खाने में काम मे आने वाली स्पाइ लोरिना यहाँ शहर के बाहर भरे पानी मे बहुतायत से मिलती है जो इनका पसंदीदा भोजन है। इसके साथ इन क्षेत्रों में होने वाली धान की फसल भी इनके लिए अनुकूलताए पैदा करती है।अब नावां सांभर झील और डीडवाना झील इनके लिए असुरक्षित होते जा रहे है । ऐसे में प्रदेश मे आने वाले इन पक्षियों के लिए हे बिटेट, इनके रहवास क्षेत्र को विकसित करना चाहिये ताकि ये प्रवासी परिंदे यहां लगातार आते रहे, इनके ठिकानों को पर्यटन क्षेत्र के रुप मे भी विकसित किया जा सकता है। अमित सेवदा (पक्षी विज्ञानी)\ पहचान – brown जैकेट
डॉ.अरुण व्यास (पर्यावरणविद)\ पहचान – आंखों पर चश्मा लगा हुआ वीओ3- मानव ने प्रकृति से अंधाधुंध दोहन और प्रकृति से छेड़छाड़ आज मानव सहित अन्य जीवों और पेड़ों के लिए भी संकट बनती जा रही है । ऐसे में जरूरी है कि हम उन नियम कायदों के मुताबिक अपना जीवन जीएं जिससे ना सिर्फ मानव जीवन बल्कि बाकी जंतुओं और पर्यावरण को भी नुकसान ना हो ।