Friday, May 9, 2025

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सोलर प्लांट लगाने में अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न

1प्रश्न- घरेलू सोलर प्लांट लगाने में सामान्यतः कितना खर्चा आता है ?

उत्तर-  रूफ  टाॅप  सोलर  प्लांट  लगवाने  में  औसतन रूपये  45000/-  से  रूपये  70000/-  प्रति किलोवॉट  का खर्चा आता है उदाहरण के तौर पर अगर तीन किलो वाट क्षमता का सोलर प्लांट लगवाया जाऐ तो उसमें रूपये 1.01 लाख से रूपये 1.76 लाख का अनुमानित व्यय संभव है।

  1. प्रश्न- क्या उपरोक्त अनुमानित व्यय में केन्द्र सरकार द्वारा दी गई सब्सिडी घटा कर आंकडा दिया गया है ? सब्सिडी की क्या दरें हैं ?

उत्तर-  जी हाँ, उदाहरण के तौर पर तीन किलोवॉट  क्षमता के सोलर प्लांट पर रूपये 78000/- की सब्सिडी प्राप्त होती है। अगर सब्सिडी न हो तो एक 03 किलोवॉट  क्षमता प्लांट की कीमत रू. 1.79 लाख से रू. 2.54 लाख पड़ेगी।

दरें जो रूफ टाॅप सोलर प्लांट हेतु पी.एम. सूर्य घर योजना में 13.02.2024 से निर्धारित की गई हैं वे निम्न तालिका में दी गई हैं-ः

क्रमांक     सोलर प्लांट की क्षमता          निर्धारित सब्सिडी राशि

(रूपये में)

1              1 किलोवॉट          30000=00

2              2 किलोवॉट          60000=00

3              3 किलोवॉट          78000=00

4              4 किलोवॉट          78000=00

5              5 किलोवॉट          78000=00

6              6 किलोवॉट          78000=00

7              7 किलोवॉट          78000=00

8              8 किलोवॉट          78000=00

9              9 किलोवॉट          78000=00

10           10 किलोवॉट        78000=00

  1. प्रश्न- सोलर प्लांट के अनुमानित व्यय में इतना अंतर क्यों बताया जा रहा है ?

उत्तर-  किस  क्वालिटी  का  सोलर  पैनल  तथा  इनवर्टर  या  किस  गुणवता  के  प्लांट  के  इस्ट्रक्चर वेंडर  द्वारा  लगाये  जायेंगें  (या  उपभोक्ता  द्वारा  चुने  जायेगें)  उससे  लागत  में  फर्क  आ  जाता  है। सोलर  प्लांट  की  लाईफ  20  से  25  साल  की  होती  है  अतः  अच्छी  गुणवत्ता  की  सामग्री  उपयोग करना चाहिये।

  1. प्रश्न-  क्या  कोई  व्यक्ति  इस  सब्सिडी  स्कीम  अंतर्गत  कितनी  भी  क्षमता  का  सोलर  प्लांट  लगा सकता है?

उत्तर-  नही, जिस मकान में सोलर प्लांट लगाना है, वहां के घरेलू बिजली बिल में जो स्वीकृत भार दर्शाया गया है उस सीमा तक का ही प्लांट कोई व्यक्ति सब्सिडी स्कीम के तहत लगा सकता है, (जैसा कि म.प्र. राज्य में वर्तमान में लागू है) ।

  1. प्रश्न-  उपरोक्त के परिपेक्ष्य में अगर कोई घरेलू उपभोक्ता फिर भी स्वीकृत भार से ज्यादा क्षमता का सोलर प्लांट लगाना चाहे तो ?

उत्तर-  इस  अवस्था  में  उपभोक्ता  को  अपने  घरेलू  बिल  का  स्वीकृत  भार  बिजली  कार्यालय  के माध्यम  से  बढवा  लेना  चाहिऐ,  तद्उपरांत  ही  सोलर  प्लांट  का  आवेदन  करना  चाहिए  ।  सरल संयोजन पोर्टल के माध्यम से उपभोक्ता यह प्रक्रिया सरलता से आनॅलाइन भी कर सकता है।

  1. प्रश्न- केन्द्र सरकार के सब्सिडी स्कीम तहत क्या कोई सीमा निर्धारित की गई है ?

उत्तर- जी हां, घरेलू रूफटाॅप सोलर प्लांट के लिऐ अधिकतम 10 किलोवॉट  क्षमता तक के प्लांट के लिऐ ही सब्सिडी निर्धारित की गई है। अगर कोई 10 किलोवॉट  से ज़्यादा का भी घरेलू रूफ टाॅप  सोलर  प्लांट  लगाता है  तो  उसे  भी  स्कीम  अंतर्गत,  10  किलोवॉट   हेतु  निर्धारित  सब्सिडी  ही प्राप्त होगी।

  1. प्रश्न- सोलर प्लांट पर क्या कोई गारंटी या वारंटी होती है ?

उत्तर-  जी हां, सोलर वेंडर द्वारा उपभोक्ता को प्लांट द्वारा पर्याप्त जेनरेशन देने की पांच वर्ष की वांरटी दी जाती है। इस अवधि में  अगर कोई सोलर पैनल खराब हो जाता है या इनवर्टर कार्य करना  बंद  कर  देता  है  या  अन्य  कोई  तकनीकी  गड़बड़ी  के  कारण  प्लांट  अपनी  क्षमता  अनुसार जेनरेशन  नही  कर  पाता  तो  वेंडर  उसमें  आवश्यक सुधार  या  ज़रूरत  पड़ने  पर  पैनल  आदि  का रिपलेस्मेंट (बदलाव) करता है।

  1. प्रश्न-  क्या  कुछ  ऐसी  परिस्थितियाँ  भी  होती  हैं  जब  अपर्याप्त  जेनरेशन  होने  पर  भी  उपरोक्त वारंटी/गारंटी लागू नही होती ?

उत्तर-  जी हां, गारंटी/वारंटी केवल प्लांट की कमीशनिगं से 05 वर्ष तक की अवधि के दौरान प्लांट के उपकरण में आई खराबी पर लागू होती है। ना लागू परिस्थितियों के उदाहरण के तौर पर अगर आपके पड़ोस के मकान में एक मंजिल और निर्मित हो जाती है और उसकी छाया से आपके प्लांट का जेनरेशन प्रभावित होता है या आपकी छत के नज़दीक कोई पेड़ बड़ा होकर अपनी छाया

(इन  05  वर्ष  में)  आपके  प्लांट  पर  डालने  लगता  है  जिससे  उसकी  दक्षता  गिर  जाती  है  या समीप/आस पड़ोस में कोई निर्माण कार्य या फैक्ट्री आदि आ जाने की वजह से धुआँ या हवा मे धूल आकर प्लांट अथवा उसके आसपास का वायुमंडल दूषित कर देता है और आपके प्लांट का जेनरेशन गिरता है तो इस तरह की परिस्थितियों पर वांरटी/गारंटी लागू नही होती। केवल प्लांट उपकरण की तकनीकी खामियों पर यह लागू (वेंडर द्वारा) की जाती है।

  1. प्रश्न-  उपभोक्ता  को  सोलर  प्लांट  लगाने  के  लिये,  वेंडर  का  चुनाव  किस  आधार  पर  करना चाहिऐ ?

उत्तर- सामान्यतः वेंडर चुनने में निम्न बातों का ध्यान रखेंः-

;1            वेंडर का उस शहर में या समीप कहीं कार्यालय हो ताकि जरूरत पड़ने पर वह आपके प्लांट को जल्दी एटेण्ड कर सकें।

;2            म.प्र.म.क्षे.वि.वि.कं.लि.  की  वेबसाईट  पर  जाकर  सोलर  वेंडर  रेटिंग  अंतर्गत  अच्छे  नम्बर हासिल करे हुऐ वेंडर को प्राथमिकता दें।

;3            वेंडर वह चुने, जिसकी फर्म वित्तीय रूप से आपको स्थिर और भरोसे के लायक लगती है। अगर मान ले कि दो-तीन वर्ष उपरांत वेंडर की फर्म दिवालिया हो जाती है तो वो आपको मेन्टेनेन्स और वांरटी की सुविधायें पांच वर्ष तक कैसे दे पायेगा ?

;4            वेंडर  वह  चुने  जिसकी  कई  सोलर  प्लांट  लगाने  का  अनुभव  हो  और  जिसकी  प्लांट निर्माण की गति अच्छी होने की ख्याति हो।

;5            अगर  आपको  लोन  लेकर  प्लांट  लगवाना  हो  तो  ऐसा  वेंडर  चुने  जो  आपको  किसी राष्ट्रीय बैंक से लोन दिलवाने में मदद करने को तत्पर हो। पी.एम. सूर्य घर योजना के अंतर्गत अब सरकारी पोर्टल पर ही कुछ 08-09 राष्ट्रीयकृत बैंक की सूची दर्शाई है जो कि सात प्रतिशत के आस पास की ब्याज दर पर 03 किलोवाट क्षमता तक के सोलर संयंत्र  हेतु  लोन  देंगें।  यह  लोन  प्रक्रिया  पोर्टल  (https://pmsuryaghar.gov.in)  के माध्यम से ही संभव हो जा सकेगी।

;6            वेंडर  चयन  से  पूर्व  यह  जांच  अवश्य  करें  कि  वेंडर  नेशनल  पोर्टल  पर  रजिस्टर्ड  है अथवा नहीं। नेशनल पोर्टल पर रजिस्टर्ड वेंडर के माध्यम से ही सोलर प्लांट लगवायें।

  1. प्रश्न-  नेशनल पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन की ज़िम्मेदारी क्या प्लांट लगवाने के इचछुक उपभोक्ता की होती है ?

उत्तर- जी हां, उपभोक्ता को स्वयं सोलर प्लांट लगाने हेतु खुद का रजिस्ट्रेषन करवाना होता है। अगर  वह  किसी  कियोस्क  वाले  या  वेंडर  की  मदद,  रजिस्ट्रेशन  के  वास्ते  लेता  है  तो  भी  पूर्ण उत्तरदायित्व स्वयं उपभोक्ता का ही रहता है। उपभोक्ता के किस बैंक एकाउंट में सब्सिडी राशि आना है वह खाता क्रमांक सही डलना चाहिये। कितने किलोवॉट  का प्लांट लगाना है  वह क्षमता सही डलनी चाहिये। स्वयं का ही मोबाईल नम्बर रजिस्ट्रेशन दौरान डालें किसी दूसरे का नहीं डल जाये  अन्यथा  यह  बहुत  बड़ी  चूक  होगी।  अगर  किसी  कारणवश  आप  किसी  अन्य  की  मदद रजिस्ट्रेशन हेतु लेते है तो पोर्टल पर समस्त एन्ट्रियाँ आप स्वयं अपने सामने ही करवायें।

  1. प्रश्न-  प्रस्तावित  घरेलू  सोलर  प्लांट  की  व्यवहार्यता  (फीजिबिलिटी)  रिपोर्ट  मिलने  के  उपरांत  क्या प्लांट पूर्ण रूप से निर्मित होने की कोई समय सीमा  है ?

उत्तर- जी हां- यह समय सीमा व्यवहार्यता रिपोर्ट याने की फीजिबिलिटी रिपोर्ट मिलने के उपरांत 60  दिन  की है। अगर समय सीमा तक  ॅब्त् याने कार्य पूर्णता रिपोर्ट पोर्टल पर नही डली तो आपका रजिस्ट्रेशन निरस्त (कैसिंल) किया जा सकता है और आप सब्सिडी प्राप्त करने से वंचित हो  जायेंगें। पी.एम.  सूर्य  घर  योजना  अंतर्गत  अब  10  किलोवॉट   तक  के  घरेलू  सोलर  संयंत्र  पर फीजिबिलिटी रिपोर्ट की आवश्यकता हटा दी गई है।

  1. प्रश्न-  अपने घर सोलर प्लांट लगवाने और उसके लाभ अर्जित करने हेतु क्या घर में वाई-फाई आवश्यक है ?

उत्तर-  नहीं। नेट मीटर या स्मार्ट मीटर में मोडेम तथा सिम की सुविधा होने के कारण डाटा वह स्वयं सर्वर पर भेज लेता है।

  1. प्रश्न-  उपभोक्ता  द्वारा  पोर्टल  पर  रजिस्ट्रेशन  दौरान  व  प्लांट  निर्माण  नेटमीटरिंग  की  प्रक्रिया  के समय क्या म.क्षे.वि.वि.कं.लि. को कोई राशि देना होती है ?

उत्तर-  हाँ  नेट  मीटर  लगाने  से  पूर्व  रू.1000/-  की  राशि  उपभोक्ता  को   म.क्षे.वि.वि.कं.लि.  को रजिस्ट्रेशन शुल्क के रूप में आनलाइन जमा करानी होती है।

  1. प्रश्न-  सोलर प्लांट में लागत की राशि सामान्यतः कितने समय में उपभोक्ता को लाभ के ज़रिये लौट आती है ?

उत्तर-  इसमें 05 से 06 वर्ष लग जाते है। यह अवधि उपभोक्ता के स्वयं के खपत पर भी निर्भर करती है।

  1. प्रश्न- उपभोक्ता को प्लांट के संबंध में क्या कोई अनुबंध करना होता है ? अगर हां तो किससे ?

उत्तर-  हां।  उपभोक्ता  को  स्वयं  के  चयनित  वेंडर  से  अनुबंध  करना  होता  है  जिसमें  कितने किलोवॉट   का  प्लांट  निर्मित  होगा,  कितना  खर्चा  तय  हुआ  है,  किस  समय  में  निर्मित  होना  है  व कब-कब  (निर्माण  की  किस  स्टेज  पर)  कितनी  कितनी  राषि  उपभोक्ता  वेंडर  को  देगा,  कौन  सी मेक/क्षमता की पैनल व इनर्वटर लगेंगे आदि सभी पहलू स्पष्ट सम्मिलित होने चाहिये। अगर प्लांट हेतु राशि किश्तों में (कार्य स्टेज अनुसार) देना तय हुआ है तो कब-कब कितनी राशि देय है यह स्पष्ट होना चाहिये।

  1. प्रश्न-  सोलर प्लांट लगाने हेतु अगर यह देखा जाय की छत की फर्श पर सीढ़ी टावर या अन्य वजह से कोई छाया निरंतर पड़ रही हो तो प्लांट लगाना उचित होगा ? क्या कोई उपाय है ?

उत्तर-  ऐसी अवस्था में सामान्यतः प्लांट लगाना उचित नहीं होगा। परंतु सोलर वेंडर फर्श से 06 फीट की ऊँचाई पर भी सोलर पैनल लगाते है और अगर उस ऊँचाई पर छाया ना आ रही हो तो प्लांट अवश्य लगवायें। आवश्यक होने पर कुछ अधिक खर्चे (रू. 6000/- से 10000/-) पर वेंडर 10 फीट की ऊँचाई पर भी पैनल लगाते हैं। इसलिये ये सरल उपाय हैं।

  1. प्रश्न- सोलर प्लांट लगाने में वेंडर कितने दिन लगाते है ?

उत्तर-  अगर  निर्धारित  पेमेंट  उपभोक्ता  से  वेंडर  को  तय  अनुसार  प्राप्त  हो  जाये  तो  दो  या अधिकतम तीन दिन में वेंडर प्लांट लगा देते है। कभी कभी सोलर पैनल या इनवर्टर की उपलब्धता सीमित होने पर विलम्ब संभव है।

  1. प्रश्न- एक रूफ टाॅप सोलर प्लांट औसत कितनी बिजली बनाता है ?

उत्तर-  यह उसकी क्षमता पर निर्भर है। औसतन, रूफ टाॅप सोलर प्लांट रोज 04 युनिट बिजली प्रति किलोवॉट  (क्षमता) बनाता है। उदाहरण के तौर पर अगर प्लांट 3 किलोवॉट  क्षमता का है तो वो प्रतिदिन 12 युनिट बनायेगा जो कि मौसम के अनुसार घट/बढ़ सकते हंै।

  1. प्रश्न- सोलर प्लांट लगवाने के बाद उसका मेन्टेनेस किस तरह करना चाहिये?

उत्तर-  सोलर वेंडर हर तीन माह उपरांत (5 वर्ष तक) उपभोक्ता से पूर्व में फोन के माघ्यम से दिन (व समय) निर्धारित करके, सोलर प्लांट की सफाई करते है। अधिकांश वेंडरों द्वारा यह सेवा निशुल्क प्रदत्त की जाती है। परंतु उपभोक्ता का उत्तरदायित्व है कि वह भी सप्ताह-दस दिन में एक बार तेज पानी की धार, पानी के पाईप से बनाके, पैनल पर डाल कर उन्हे धो दें ताकि धूल आदि उन पर से साफ हो जाये।

इस दौरान निम्न बातो का ध्यान रखना आवश्यक हैः-

1)  पानी की धार के साथ अगर पैनल पर हाथ चला कर सफाई करें तो हाथ में पहनी अंगूठी या हथेली  पर  पहना  कड़ा  कभी  भी  पैनल  पर  जरा  सा  भी  रगड़  ना  खाये  अन्यथा  पैनल  खराब  हो सकती है।

2) पैनल पर सफाई गरम पानी से कभी न करें।

3)  पैनल पर कपडे़ वाला वाईपर हल्के हाथ से पानी के साथ चला सकते है परन्तु इसे हर पैनल पर एक बार चलाने के बाद अवश्य धोयें ताकि अगर कोई (पत्थरीला) कण इसमें आ जाये तो वह धुलने से निकल जाये और पैनल पर रगड़ ना खाये। प्लास्टिक फाईबर मुँह वाला वाईपर थोड़े सख्त मटेरियल का होता है अतः उसका उपयोग न करना बेहतर होगा क्योकि अगर इसमें कण आया तो वाईपर के स्वाईप से पैनल खराब हो जायेगा। नरम प्लास्टिक बालों वाला वाईपर फिर भी इस कार्य के लिये चल जाऐगा।

4) किसी दिन अगर धूल भरी आंधी चली तो शाम को उस दिन या अगले दिन भोर के समय पैनल साफअवश्य कर लेना चाहिए।

5) पैनल की सफाई का समय शाम को सूरज ढलने के बाद या प्रातः भोर की बेला में उचित रहता है।

  1. प्रश्न- नेट मीटर की सामान्यतः कितनी उपलब्धता रहती है, और वो कौन लगवाता है ?

उत्तर-  नेट मीटर वेंडर स्वयं लाता है एवं वि.वि.कंपनी के लैब में मीटर टेस्ट करवा कर स्वयं के पास एक स्टाॅक बना कर रखता है। इसलिए सामान्यतः नेट मीटर की उपलब्धता की समस्या नही होती। नेट मीटर का कनेश्न करने हेतु वेंडर  संबंधित बिजली के कार्यालय में कागजा़त प्रस्तुत करता  है  जिसके  उपरांत  वहां  से  लाईन  स्टाफ  आकर  मीटर  उपभोक्ता  के  परिसर  में  लगा  कर कनेक्षन चालू कर देता है।

  1. प्रश्न- उपभोक्ता को यह कैसे पता चले कि सोलर प्लांट में कोई तकनीकी समस्या आ गई है और वह ठीक से कार्य नहीं कर रहा है ?

उत्तर-  किसी  भी  धूप  वाले  दिन  में  औसतन  04  यूनिट  प्रति  किलोवॉट   क्षमता  का  प्लांट  का जेनरेशन होता है। उदाहरण के तौर पर अगर 02 किलोवॉट  का प्लांट हैं तो अच्छी धूप वाले दिन में वह प्लांट शाम तक 08 यूनिट का जेनरेशन देगा। अगर यह जेनरेशन निरंतरता में अधिक घटा दृष्टिगत हुआ तो या तो पैनल में या इनवर्टर में कोई तकनीकी खामी इसका कारण हो सकती है। कितने यूनिट प्लांट ने बनाये ये मोबाइल पर ऐप के ज़रिये दिखाई देते है। ये यूनिट इनवर्टर पर भी हर समय दृष्टिगत होतेे है।

  1. प्रश्न-  उपभोक्ता को अगर भविष्य में छत पर एक मज़िल औैर निर्मित करनी हो तो सोलर प्लांट का क्या होगा ?

उत्तर-  ऐसी अवस्था आने पर उपभोक्ता सोलर प्लांट को अस्थाई रूप से अलग हटवा कर अपने घर में ही कही रखवा सकता है और मकान की मज़िल निर्मित होने के उपरांत, वह नई मज़िल की छत पर सोलर प्लांट शिफ्ट करवा सकता है। इस कार्य हेतु उसे सोलर वेंडर से  संपर्क कर यह विस्थापना आदि कार्य क्रियान्वित करना पडे़गा जिस वास्ते उपभोक्ता द्वारा वेंडर को कुछ राशि देय होगी।

  1. प्रश्न-  सोलर पैनल लगवाने के हिसाब से यह जानकारी दे कि किस दिशा में पैनल का मुहं होने से सबसे अधिक सूर्य किरण उसे मिलती है ?

उत्तर- दक्षिण दिशा की ओर पैनल का मुख रखने से अधिकतम जेनरेशन होता है। क्योकि सूरज ऊचाई पर (आसमान में) विद्यमान होता है अतः पैनल तिरछे (ज्पसजमकद्ध लगाये जाते हैं ताकि उन पर पूर्ण रूप से सूर्य की किरणे पडे़।

  1. प्रश्न-  सोलर प्लांट से स्थापित बिजली क्नेक्षन के लिये सामान्य मीटर की जगह नेट मीटर की आवश्यकता क्यों लगती है ?

उत्तर- सोलर प्लांट जो बिजली बनाता है वह इनवर्टर के माध्यम से ए.सी. बिजली में परिवर्तित हो जाती  है  और  विद्युत  कंपनी  की  ग्रिड  में  एक्सपोर्ट  के  नाम  से  डाल  दी  जाती  है।  जो  बिजली उपभोक्ता स्वयं के उपयोग हेतु इसी ग्रिड से (जैसे रात्रिकाल में जब सोलर जेनरेशन नही होता) लेता है वह इम्पोर्ट की गई बिजली कहलाती है। नेट मीटर के माध्यम से इम्पोर्ट व एक्सपोर्ट की बिजली के यूनिटो का हिसाब रखा जाता है और इनके अंतर को वो बतलाता है। बिल तदनुसार ही जनरेट होता है।

  1. प्रश्न-  सोलर पैनल कितने प्रकार के चलन में है एवं हर एक की क्या विशेषताएं हैं  ? प्लांट की अन्य सामग्री के मानक क्या है ?

उत्तर-  06-07 सोलर पैनल चलन में हैं  एवं इनके बारे में विवरण पृथक से वेबसाईट पर दिया गया है। प्लांट की अन्य सामग्री जैसे इनवर्टर, स्ट्रकचर आदि के न्यूनतम मानक पृथक से वेबसाईट पर उपलब्ध है। जो कि नेशनल पोर्टल पर भी दृष्टिगत हैं।

  1. प्रश्न- सोलर संयंत्र में इनवर्टर कीे क्या आवश्यकता होती है  ?

उत्तर- सोलर संयंत्र में जो बिजली बनती है वह डी.सी. होती है एवं ग्रिड में जो बिजली यूटीलिटी की होती है वह ए.सी. होती है। इनवर्टर डी.सी. बिजली को ए.सी. में परिवर्तित करता है। सोलर पैनल सामान्यतः 22 से 40 वोल्ट की बिजली बनाते है परंतु ग्रिड पर बिजली 220-240 वोल्ट की होती है। पैनल से बनी बिजली का वोल्टेज भी ग्रिड के समान करने में भी इनवर्टर काम आता है।

  1. प्रश्न-  पी.एम. घर  योजना के  अंतर्गत  उपभोक्ता  के  रजिस्ट्रेशन  की  प्रक्रिया  में  क्या  कोई  बदलाव आया है ?

उत्तर-  पी.एम. घर योजना के अंतर्गत उपभोक्ता के रजिस्ट्रेशन हेतु एक क्यू.आर.टी. ऐप सरकार द्वारा बनाया गया है जिसके माध्यम से कोई भी वोलियंटियर रजिस्ट्रर होकर अपने मोबाइल फोन से किसी भी उपभोक्ता के घर में जाकर उसका रजिस्ट्रेशन करवा सकता है। यह प्रक्रिया अब बहुत सरल हो गई है – अब फाॅर्म ऐप के जरिये मोबाइल फोन पर ही भरा जा सकेगा एवं उपभोक्ता हो आई.वी.आर.एस.  नं.  मात्र  डालने  से  काफी  कुछ  फाॅर्म  की  जानकारी  स्वयं  उस  पर  डल  जाऐगी। उपभोक्ता स्वयं का भी इस तरह खुद को घरेलू सोलर पैनल लगवाने हेतु रजिस्ट्रेशन कर सकता है। भोपाल शहर के उपभोक्ताओं के लिऐ एक अतिरिक्त लाभ ऐप में है – वह यह कि उनके घर की छत पर कितना सोलर पोटेंशियल विद्यमान है यह ऐप वहा के जी.पी.एस. कोर्डिनेट्स देखकर स्वयं आंकलित कर देगा।

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