Monday, July 28, 2025

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प्रकृति परीक्षण अभियान से, आयुर्वेद के प्रति आएगी जन जागृति- आयुष मंत्री श्री परमार

आयुर्वेद से होगी “निरोगी काया एवं स्वस्थ जीवन शैली” की संकल्पना साकार
पं. खुशीलाल शर्मा आयुर्वेद संस्थान में, “देश का प्रकृति परीक्षण अभियान” का संवेदीकरण कार्यक्रम संपन्न

आयुर्वेद से “निरोगी काया एवं स्वस्थ जीवन शैली” की संकल्पना साकार होगी। आयुर्वेद को विश्वमंच पर सर्वव्यापी एवं सर्वस्पर्शी बनाने के लिए संकल्प के साथ, परिश्रम की आवश्यकता है। इसके लिए समाज में भारतीय विधा आयुर्वेद के प्रति विश्वास का भाव जागृत करना होगा। यह बात उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं आयुष मंत्री श्री इन्दर सिंह परमार ने बुधवार को भोपाल के पं. खुशीलाल शर्मा आयुर्वेद संस्थान में, “देश का प्रकृति परीक्षण अभियान” के प्रदेश में संवेदीकरण कार्यक्रम का शुभारंभ कर कही।

आयुष मंत्री श्री परमार ने कहा कि समाज में विश्वास का भाव जागृत करने का माध्यम यह प्रकृति परीक्षण बनेगा। आयुर्वेद, हमारी जीवन पद्धति और श्रेष्ठ पैथी है, इसे विश्वमंच पर पुनर्स्थापित करने की आवश्यकता है। कोविड के संकटकाल में, हम सभी ने आयुर्वेद के महत्व को अनुभव किया है। आयुर्वेद ऐसी पैथी है, जो रोग होने से बचाव और निदान दोनों के लिए कारगर है। श्री परमार ने बताया कि प्रत्येक मनुष्य की एक विशिष्ट प्रकृति होती है, जो गर्भाधान से मृत्यु पर्यंत नियत रहती है। यह आयुर्वेद का मौलिक सिद्धांत है और प्रकृति का ज्ञान व्यक्ति के स्वास्थ्य रक्षण एवं चिकित्सा के लिए महत्वपूर्ण एवं अत्यावश्यक होता है। प्रकृति के ज्ञान के आधार पर दिनचर्या को आयुर्वेदिक परामर्श के साथ समाहित कर, स्वस्थ जीवन शैली निर्धारित की जा सकती है। श्री परमार ने कहा कि प्रकृति परीक्षण के इस अभियान को संकल्प के साथ तीव्र गति से पूर्ण करें। उन्होंने कहा कि मुझे पूर्ण विश्वास है कि आयुर्वेद चिकित्सकों एवं विद्यार्थियों के परिश्रम एवं जनसामान्य की सहभागिता से यह अभियान प्रदेश में समग्र, सर्वस्पर्शी एवं सर्वव्यापी होगा और हमारा प्रदेश इस अभियान में राष्ट्रीय स्तर पर अग्रणी होगा।

मंत्री श्री परमार ने इस राष्ट्रव्यापी अभियान के अन्तर्गत स्वयं का प्रकृति परीक्षण करवाकर “संकल्प स्वास्थ्य का, आधार आयुर्वेद का” स्लोगन का वाचन कर आयुर्वेद आधारित स्वास्थ्य का संकल्प लिया।

केंद्रीय आयुष मंत्रालय की सलाहकार समिति के सदस्य श्री अशोक वार्ष्णेय ने देश का प्रकृति परीक्षण अभियान द्वारा आयुर्वेद को जन-जन तक स्थापित करने के लिए तथा आयुर्वेद की स्वीकारोक्ति को बढ़ावा देने के उददेश्य को स्पष्ट किया। साथ ही नेशनल सेम्पल सर्वे आर्गेनाइजेशन (NSSO) के आंकड़ों के माध्यम से भारत में आयुर्वेद के प्रति लोगों का विश्वास तथा स्वास्थ्य सेवाओं में आयुर्वेद के बढ़ते योगदान को प्रकाशित किया।

मध्यप्रदेश सहित सम्पूर्ण देश भर में यह अभियान अगले एक माह दिसम्बर तक निरंतर चलेगा। कार्यक्रम में प्रकृति परीक्षण अभियान के महत्व को प्रकाशित कर इसके विधि-विधान, इसमें भागीदारी को स्पष्ट कर बताया गया कि इस अभियान के द्वारा गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड के माध्यम से कुछ विश्व कीर्तिमान स्थापित करने का भी संकल्प लिया गया है, जिससे विश्व में भी आयुर्वेद के प्रति जनजागृति बढेगी।

अभियान के राज्य समन्वयक एवं संस्थान के प्रधानाचार्य डॉ. उमेश शुक्ला एवं सह-समन्वयक डॉ. एस.एन. पांडे सहित विविध आयुर्वेदाचार्य, आयुष चिकित्सक, विभागीय अधिकारीगण, संस्थान के प्राध्यापक एवं विद्यार्थी उपस्थित थे। कार्यक्रम समन्वयक डॉ. शुचि दुबे ने इस अभियान के संबंध में संक्षिप्त रूपरेखा प्रस्तुत की और कार्यक्रम का संचालन डॉ. अलीशा प्रकाश ने किया।

ज्ञातव्य है कि नवम् राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के उपलक्ष्य पर, भारतीय विधा आयुर्वेद को सर्वव्यापी एवं सर्वस्पर्शी बनाने के लिए, प्रधानमंत्री श्री मोदी के मार्गदर्शन में “देश का प्रकृति परीक्षण अभियान” का सृजन हुआ। इस राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम का शुभारंभ 26 नवम्बर को संविधान दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति श्रीमति द्रौपदी मुर्मु के प्रकृति परीक्षण के साथ हुआ। यह अभियान 26 नवम्बर 2024 संविधान दिवस से 25 दिसम्बर 2024 सुशासन दिवस तक चलेगा।

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