Sunday, July 27, 2025

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शिवपुर में बड़ा भ्रष्टाचार घोटाला उजागर: आरोपियों पर FIR के आदेश

शिवपुर, दिसंबर 2024 शिवपुर के सहकारी विभाग और सिंचाई विभाग में बड़ा भ्रष्टाचार घोटाला उजागर हुआ है, जिसमें वर्षों से हो रहे अनियमितताओं, अवैध भूमि आवंटनों और गैरकानूनी निर्माण का मामला सामने आया है। इस मामले ने जिला प्रशासन को आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के आदेश देने पर मजबूर कर दिया है।

अवैध भूमि आवंटन का मामला

यह विवाद सिंचाई विभाग की संपत्तियों के आवंटन से शुरू हुआ। आरोप है कि विभाग की भूमि को मध्य प्रदेश सरकार की स्वीकृति के बिना आवासीय सहकारी समितियों को आवंटित किया गया। इसके बाद, मध्य प्रदेश जल संसाधन विभाग ने एक आदेश (संख्या 713, दिनांक 20/11/2003) जारी कर इन सभी आवंटनों को रद्द कर दिया। बावजूद इसके, सहकारी समितियां संदिग्ध लेन-देन करती रहीं।

इस घोटाले में मुख्य आरोपी शिवपुर हाउसिंग कोऑपरेटिव सोसाइटी के पूर्व अध्यक्ष कैलाश नारायण पराशर और पूर्व सचिव विमल तिवारी हैं। इन पर फर्जी सदस्यता पंजीकरण, एक ही भूखंड का दोहरा आवंटन और अवैध बिक्री जैसे गैरकानूनी कार्यों में लिप्त होने का आरोप है।

जांच और खुलासे

पिछले वर्षों में सहकारी विभाग, सिंचाई विभाग और जिला कलेक्टर समेत विभिन्न अधिकारियों द्वारा की गई जांचों में लगातार अनियमितताएं पाई गईं। इन जांचों में यह खुलासा हुआ:

  • फर्जी भूमि बिक्री और नगर एवं ग्राम योजना नियमों के खिलाफ अवैध निर्माण।
  • भूखंडों का दोहरा पंजीकरण, जो जानबूझकर धन की हेराफेरी की कोशिश दर्शाता है।
  • सहकारी विभाग द्वारा अनियमितताओं के सबूत होने के बावजूद कार्रवाई में विफलता।

अपर कलेक्टर डॉ. ए.के. रोहतगी और उप कलेक्टर यशवीर सिंह तोमर की अध्यक्षता में बनी समिति ने जांच कर पूर्व अध्यक्ष और सचिव की संलिप्तता की पुष्टि की।

कार्रवाई शुरू

जांच के आधार पर, जिला कलेक्टर ने एक आदेश (संख्या 11781, दिनांक 10/10/2024) जारी कर सहकारी विभाग को आरोपियों के खिलाफ FIR दर्ज करने का निर्देश दिया है। आदेश में कानून प्रवर्तन अधिकारियों को संबंधित दस्तावेज़ सौंपने का भी निर्देश दिया गया।

इसके अलावा, जांच में अवैध निर्माण का खुलासा हुआ, जिसके चलते मधुबन कॉलोनी में आवासीय भूखंडों की स्वीकृति रद्द कर दी गई।

सहकारी आयुक्त ने सहायक आयुक्त ध्रुव झारिया पर लापरवाही और आरोपियों को बचाने का भी आरोप लगाया है। एक वायरल वीडियो, जिसमें सहायक आयुक्त को कार्रवाई में देरी करते हुए दिखाया गया है, ने इस विवाद को और गहरा दिया है।

मुख्य निर्देश और समयसीमा

कलेक्टर और सहकारी आयुक्त ने निम्नलिखित समयबद्ध निर्देश दिए हैं:

  1. सात दिनों के भीतर आरोपियों के खिलाफ FIR दर्ज की जाए।
  2. सहकारी विभाग एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करे, जिसमें प्रस्तावित कार्रवाई का विवरण हो।
  3. समयसीमा के भीतर कार्रवाई न करने पर जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।

व्यापक आलोचना

कार्रवाई में देरी को लेकर प्रशासन पर मिलीभगत के आरोप लग रहे हैं। वायरल वीडियो, जिसमें सहायक आयुक्त को आरोपियों के साथ बातचीत करते हुए देखा गया, ने जनता का भरोसा और कमजोर कर दिया है।

आगे की राह

जांच आगे बढ़ने के साथ, प्रशासन पर पारदर्शी और तेज़ कार्रवाई सुनिश्चित करने का दबाव है। यह घोटाला न केवल प्रणालीगत भ्रष्टाचार को उजागर करता है, बल्कि सरकारी विभागों की जवाबदेही पर भी सवाल खड़े करता है।

शिवपुर के निवासियों ने न्याय की मांग की है और उम्मीद जताई है कि सार्वजनिक संस्थानों की साख बहाल करने के लिए कठोर कदम उठाए जाएंगे।

शिवपुर का यह भ्रष्टाचार मामला सतर्क प्रशासन और शक्ति के दुरुपयोग को रोकने के लिए मजबूत तंत्र की आवश्यकता की स्पष्ट याद दिलाता है। क्या न्याय होगा, यह तो समय ही बताएगा, लेकिन इस घटना ने निश्चित रूप से जिले की प्रशासनिक व्यवस्था को हिला कर रख दिया है।

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