Tuesday, May 20, 2025

Latest Posts

पांच दिवसीय माता मावली मेले का हुआ भव्य शुभारंभ

देव परिक्रमा और समागम ने बढ़ाई मेले की भव्यता

ग्रामीणों ने पारंपरिक रीति से की देव विग्रहों की अगवानी

रायपुर, 19 फरवरी 2025

देव परिक्रमा और समागम ने बढ़ाई मेले की भव्यता

देव परिक्रमा और समागम ने बढ़ाई मेले की भव्यता

देव परिक्रमा और समागम ने बढ़ाई मेले की भव्यता

छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति, देव आस्था और परंपरा का प्रतीक नारायणपुर जिले के ओरछा क्षेत्र का ऐतिहासिक माता मावली मेला आज श्रद्धा और उल्लास के साथ शुरू हुआ। पांच दिवसीय मेले की शुरूआत माता मावली मंदिर में पारंपरिक पूजा-अर्चना और परघाव (देवताओं के स्वागत की परंपरा) के साथ हुई। आसपास के गांवों से आए स्थानीय देवी-देवताओं के प्रतीक स्वरूप डंगई, लाठ, डोली और छत्र के साथ भव्य जुलूस निकाला गया। मेला स्थल पर पहुँचकर ढाई परिक्रमा की रस्म पूरी की गई, जिसमें श्रद्धालुओं ने पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना की।

मेला स्थल पर माता मावली, कोट गुड़ीन, शीतला माता, कोकोड़ी करीन, तेलवाड़ीन माता, कंकालीन माता, सोनकुंवर, भीमादेव सहित कई स्थानीय देवी-देवताओं का भव्य स्वागत किया गया। श्रद्धालुओं ने गहरे भाव से सिरहा, पुजारियों और गायता (पारंपरिक पुजारी वर्ग) के साथ मिलकर अनुष्ठानिक पूजाएं कीं। पूरे मेले में आस्था और भक्ति का माहौल बना हुआ है।

इस ऐतिहासिक मेले में 19 से 23 फरवरी 2025 तक हर शाम सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। 20 फरवरी को बस्तर संस्कृति ग्रुप लोक रंग (सिद्धार्थ महाजन), 21 फरवरी को अनुराग शर्मा स्टार नाइट एंड ग्रुप, 22 फरवरी को रास परब एंड ग्रुप, जगदलपुर, 23 फरवरी को मल्लखंब डांस एकेडमी और नितिन दुबे सुपर स्टार नाइट का कार्यक्रम होगा।

मावली मेला इस क्षेत्र का सबसे बड़ा लोकोत्सव होने के कारण इस बार भी इसकी भव्यता देखते ही बन रही है। मेला स्थल पर मीना बाजार, विभिन्न प्रकार के झूले, दैनिक उपयोग की वस्तुओं की दुकानें, फैंसी बाजार, मिठाई की दुकानें लोगों को आकर्षित कर रही हैं। भारी संख्या में ग्रामीण और पर्यटक मेले का आनंद ले रहे हैं।

मावली मेले में सुरक्षा, पेयजल, बिजली और पार्किंग की पुख्ता व्यवस्थाएं जिला प्रशासन द्वारा सुनिश्चित की गई हैं। मेला स्थल पर पुलिस बल तैनात किया गया है। पर्याप्त संख्या में पेयजल टैंकर और अस्थायी शौचालयों की व्यवस्था की गई है। पूरे मेला क्षेत्र में हाई-पावर लाइट और जनरेटर लगाए गए हैं। सुचारू यातायात प्रबंधन और वाहनों के लिए विशेष पार्किंग जोन बनाए गए हैं।

आदिवासी संस्कृति, परंपराओं और धार्मिक आस्था का प्रतीक

छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ क्षेत्र में आयोजित होने वाला ऐतिहासिक मावली मेला आदिवासी संस्कृति, परंपराओं और धार्मिक आस्था का प्रतीक है। यह मेला छत्तीसगढ़ के आदिवासी समाज की गहरी धार्मिक मान्यताओं से जुड़ा हुआ है। यह मेला माता मावली देवी के सम्मान में मनाया जाता है, जिन्हें स्थानीय आदिवासी समुदाय अपनी कुल देवी मानते हैं। इस मेले की विशेषता यह है कि विभिन्न गांवों से श्रद्धालु अपने देवी-देवताओं को लकड़ी की पालकियों में लेकर आते हैं और भव्य शोभायात्रा (जात्रा) निकालते हैं। इस दौरान भक्तगण परिक्रमा कर देवी मावली की पूजा-अर्चना करते हैं।

माना जाता है कि यह मेला सदियों पुरानी परंपरा का हिस्सा है, जिसमें गोंड, मुरिया और अन्य आदिवासी समुदायों के लोग सामूहिक रूप से अपनी परंपराओं का प्रदर्शन करते हैं। इस अवसर पर लोक नृत्य, पारंपरिक वाद्ययंत्रों की ध्वनि, अनुष्ठानिक पूजा और मेल-मिलाप का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। यह मेला सिर्फ धार्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी आदिवासी समाज को जोड़ने का महत्वपूर्ण माध्यम है।

Latest Posts

spot_imgspot_img

Don't Miss

Stay in touch

To be updated with all the latest news, offers and special announcements.