रायपुर | 08 मार्च 2025: छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में गर्भवती महिलाओं और उनके गर्भस्थ शिशुओं के पोषण को ध्यान में रखते हुए ‘मोदक लड्डू’ योजना शुरू की गई है। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के मार्गदर्शन में जिला प्रशासन की इस अभिनव पहल के तहत हर दिन लगभग दो हजार गर्भवती महिलाओं को पौष्टिक ‘मोदक लड्डू’ वितरित किए जा रहे हैं।
स्वस्थ मातृत्व के लिए पोषणयुक्त पहल
इस योजना का उद्देश्य जच्चा-बच्चा के पोषण स्तर को बेहतर बनाना और कम वजन के नवजातों की समस्या को कम करना है। गर्भवती माताओं को संतुलित आहार उपलब्ध कराने के लिए यह पहल कोरिया कलेक्टर श्रीमती चंदन त्रिपाठी की दूरदर्शी सोच का परिणाम है। योजना के तहत हर गर्भवती महिला को 15 दिनों के लिए 30 मोदक लड्डू (प्रति दिन दो) उपलब्ध कराए जाते हैं। ये लड्डू आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से वितरित किए जाते हैं, और जो महिलाएँ केंद्र तक नहीं पहुंच सकतीं, उनके लिए ‘पोषण संगवारी’ समूह की महिलाएँ घर-घर जाकर लड्डू पहुंचाती हैं।
मोदक लड्डू: स्वास्थ्य और परंपरा का संगम
बैकुंठपुर विकासखंड के ग्राम आनी में महिला स्व-सहायता समूहों की 25 महिलाएँ प्रतिदिन 9,000 से 10,000 मोदक लड्डू तैयार कर रही हैं। इन लड्डुओं को पारंपरिक और पोषणयुक्त सामग्री से बनाया गया है, जिसमें सत्तू, रागी, बाजरा, ज्वार, गोंद, सोंठ, तिल, मूंगफली, इलायची और घी शामिल हैं। प्रत्येक लड्डू 30 ग्राम वजन का होता है और यह 139 कैलोरी ऊर्जा, 3.2 ग्राम प्रोटीन, 45 मिलीग्राम कैल्शियम और 0.6 मिलीग्राम आयरन जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्वों से भरपूर होता है। यह पोषण गर्भवती महिलाओं और उनके गर्भस्थ शिशुओं के लिए अत्यंत लाभकारी है।
‘मोदक’ नाम रखने का विशेष कारण
जिला प्रशासन ने इस पौष्टिक लड्डू को ‘मोदक’ नाम दिया है। डॉ. आशुतोष चतुर्वेदी (मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत) ने बताया कि मोदक केवल एक मिठाई नहीं, बल्कि आयुर्वेद में औषधि के रूप में भी वर्णित है। चरक संहिता में अभयादि मोदक और शतावरी मोदक का उल्लेख किया गया है, जो स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी माने जाते हैं। गुड़ से बने मोदक पाचन में सहायक होते हैं और मेटाबॉलिज्म को तेज करते हैं।
गर्भवती महिलाओं की विशेष देखभाल
कलेक्टर श्रीमती चंदन त्रिपाठी ने बताया कि कोरिया जिले की अधिकांश गर्भवती महिलाओं को संतुलित आहार की आवश्यकता है। गर्भावस्था की पहली तिमाही में सभी महिलाओं की एंटीनेटल केयर (ANC) जांच सुनिश्चित की जा रही है ताकि प्रसव के दौरान संभावित जटिलताओं का समय रहते पता चल सके और मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाई जा सके।
इसके साथ ही उच्च जोखिम (हाई-रिस्क) वाली गर्भवती महिलाओं की विशेष निगरानी की जा रही है। इसमें एनीमिया, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, कम वजन आदि समस्याओं से पीड़ित महिलाओं की देखभाल की जा रही है, ताकि नवजातों का वजन जन्म के समय ढाई किलो से अधिक हो और माँ-बच्चा दोनों स्वस्थ रहें।
महिलाओं को रोजगार का अवसर
यह योजना केवल गर्भवती माताओं के पोषण और नवजातों के स्वास्थ्य तक सीमित नहीं है, बल्कि यह ग्रामीण महिलाओं के लिए रोजगार का एक नया अवसर भी लेकर आई है। महिला स्व-सहायता समूहों को ‘मोदक लड्डू’ तैयार करने का कार्य सौंपा गया है, जिससे वे आत्मनिर्भर बन रही हैं और आर्थिक रूप से सशक्त हो रही हैं।
कुपोषण के उन्मूलन की दिशा में अहम कदम
जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ. आशुतोष चतुर्वेदी का कहना है कि सरकार की प्राथमिकता कुपोषण को जड़ से खत्म करना है। गर्भ में पल रहे शिशु का अच्छा स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के लिए यह पहल एक मजबूत बुनियाद तैयार करेगी, जिससे आने वाली पीढ़ी शारीरिक और मानसिक रूप से सक्षम बन सके।
‘मोदक लड्डू’ योजना सिर्फ एक पोषण कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक समग्र सामाजिक पहल है, जो न केवल मातृत्व स्वास्थ्य में सुधार लाएगी, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी सशक्त बनाएगी।