देहरादून, मई 2025 — उत्तराखंड की अनूठी भौगोलिक स्थिति, प्राकृतिक विविधता और विकासात्मक सीमाओं को केंद्र में रखते हुए मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को सचिवालय में 16वें वित्त आयोग के प्रतिनिधिमंडल के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की। इस अवसर पर उन्होंने राज्य की वित्तीय संरचना, पर्यावरणीय जिम्मेदारियाँ और भविष्य की जरूरतों को सामने रखते हुए ठोस सुझाव प्रस्तुत किए।
बैठक में आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया के साथ सदस्या श्रीमती एनी जॉर्ज मैथ्यू, डॉ. मनोज पांडा, डॉ. सौम्या कांति घोष सहित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। मुख्यमंत्री ने राज्य स्थापना के रजत जयंती वर्ष में आयोग की देवभूमि में उपस्थिति का स्वागत करते हुए कहा, “पिछले 25 वर्षों में उत्तराखंड ने न केवल बुनियादी ढांचे में बल्कि वित्तीय अनुशासन और लक्ष्य आधारित योजनाओं में भी उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल की हैं।”
मुख्यमंत्री ने खासतौर पर “ईको सर्विस कॉस्ट” का हवाला देते हुए कहा कि राज्य का 70% भूभाग वनों से आच्छादित है, जिससे विकास कार्यों पर प्रतिबंध लगते हैं और संरक्षण पर भारी व्यय करना पड़ता है। उन्होंने “इनवायरनमेंटल फेडरलिज़्म” की अवधारणा के तहत उचित क्षतिपूर्ति और वन आच्छादन भार को कर हस्तांतरण में 20% तक बढ़ाने की मांग रखी।
इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने सुझाव दिया कि जल विद्युत क्षेत्र, जो कभी राज्य की आर्थिकी का मुख्य स्तंभ था, आज नियमों की बंदिशों में जकड़ा है। इस कारण, राजस्व हानि के साथ-साथ रोजगार अवसरों में भी गिरावट आई है। उन्होंने प्रभावित परियोजनाओं के लिए मुआवज़ा मॉडल तैयार करने का आग्रह किया।
धामी ने यह भी रेखांकित किया कि “लोकेशनल डिसएडवांटेज” के चलते राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों में शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी सेवाओं में निजी क्षेत्र की भूमिका नगण्य है, जिससे सरकार को अतिरिक्त बजटीय दबाव झेलना पड़ता है। स्मार्ट क्लास, टेलीमेडिसिन और क्लस्टर स्कूल जैसे उपायों के जरिए इन चुनौतियों का समाधान ढूंढा जा रहा है।
राज्य में प्राकृतिक आपदाओं की संवेदनशीलता को देखते हुए मुख्यमंत्री ने दृढ़ आपदा प्रबंधन ढांचे के लिए स्थायी आर्थिक सहयोग की आवश्यकता जताई। उन्होंने “भागीरथ एप” और “सारा” जैसे नागरिक-सहभागिता वाले जल संरक्षण प्रयासों पर भी विशेष सहायता देने का अनुरोध किया।
बैठक के दौरान वित्त सचिव श्री दिलीप जावलकर ने एक विस्तृत प्रजेंटेशन के माध्यम से राज्य की आर्थिक स्थिति, व्यय संरचना, और विभिन्न विकास परियोजनाओं की आवश्यकता को प्रस्तुत किया।
बैठक के अंत में डॉ. अरविंद पनगढ़िया ने कहा, “उत्तराखंड ने कई क्षेत्रों में तेजी से प्रगति की है। राज्य की प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि और गिरती बेरोजगारी दर इस बात की पुष्टि करती है कि यहां योजनाएं धरातल पर उतर रही हैं। हम पर्वतीय राज्यों की जमीनी चुनौतियों को पूरी गंभीरता से समझेंगे और 31 अक्टूबर 2025 तक केंद्र को अपनी सिफारिशें सौंपेंगे।”