उपराष्ट्रपति ने कहा है कि भ्रष्टाचार और संरक्षण युवा प्रतिभा के सबसे बुरे हत्यारे हैं, जो योग्यता और स्थिरता के विपरीत हैं
कानून के समक्ष समानता लोकतांत्रिक शासन के लिए सर्वोत्कृष्ट है – उपराष्ट्रपति
कानून के सम्मान का अर्थ राष्ट्रवाद, लोकतंत्र और गुणवानों को महत्व देने वाले समाज के प्रति सम्मान है – उपराष्ट्रपति
‘अमृत काल’ के युवा भारत@ 2047 के मैराथन धावक हैं–उपराष्ट्रपति
भारत ग्लोबल साउथ की आवाज बन गया है और हमारी आवाज वैश्विक मंचों पर मायने रखती है – उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति ने हिंदू कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय के 125वें संस्थापक दिवस समारोह को संबोधित किया
उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने आज दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज के 125वें संस्थापक दिवस समारोह को संबोधित करते हुए जोर देकर कहा कि भ्रष्टाचार और संरक्षण युवा नवोन्वेषी दिमागों के सबसे बुरे हत्यारे हैं और ये योग्यता और स्थिरता के विपरीत हैं। उन्होंने आगे कहा कि युवा लोग भ्रष्टाचार से नफरत करते हैं, क्योंकि वे भाई-भतीजावाद और पक्षपात से अपने को ठगा हुआ महसूस करते हैं।
श्री धनखड़ ने अपने संबोधन में बल देकर कहा कि कानून के सामने समानता लोकतांत्रिक शासन के लिए सबसे अपरिहार्य विशेषता है। हाल के घटनाक्रमों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि अब कोई भी कानून से ऊपर नहीं है और कानून के लंबे हाथ हर किसी तक पहुंच रहे हैं, खासकर उन लोगों तक जिन्होंने कभी नहीं सोचा था कि उन्हें कानून के प्रति जवाबदेह ठहराया जाएगा।
कानून के शासन का सम्मान करने के महत्व पर जोर देते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि कानून का सम्मान राष्ट्रवाद का सम्मान है, कानून का सम्मान लोकतंत्र का सम्मान है और कानून का सम्मान योग्यता के आधार पर चीजों के मिलने का सम्मान है तथा कानून का सम्मान भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना है।
अफ्रीकी संघ को जी20 के स्थायी सदस्य के रूप में शामिल करने का उल्लेख करते हुए, श्री धनखड़ ने जोर देकर कहा कि अब भारत की आवाज वैश्विक स्तर पर सुनी जाती है और हमारे राष्ट्र की वैश्विक छवि बेहतर हुई है। उन्होंने आगे कहा कि भारत ग्लोबल साउथ की आवाज बनकर उभरा है।
चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग और संसद और राज्यों विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण को अनिवार्य करने वाले ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ के पारित होने जैसी कई हालिया उपलब्धियों का जिक्र करते हुए, उपराष्ट्रपति ने बल देकर कहा कि लंबे समय के बाद हम आशा और संभावनाओं के युग में हैं… अब स्वतंत्रता के फूल खिलने का समय है।
छात्रों और युवाओं को भारत@2047 का मैराथन धावक बताते हुए, उपराष्ट्रपति ने इस बात पर प्रकाश डाला कि हमारा भारत उन बहुत कम देशों में से है, जिन्होंने क्वांटम कंप्यूटिंग और हरित हाइड्रोजन मिशन जैसी डिस्रप्टिव प्रौद्योगिकियों की क्षमता को चैनलाइज़ करने में अग्रणी भूमिका निभाई है।
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