‘‘भारत में नवाचारों का व्यवसायीकरण बढ़ाने के लिये प्रौद्योगिकी हस्तांतरण केन्द्र’’ शीर्षक से एक अध्ययन 11 मार्च 2024 को जारी किया गया। यह अध्ययन पंजाब यूनिवर्सिटी के डीएसटी – नीति अनुसंधान केन्द्र द्वारा किया गया।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी (डीएसटी) विभाग में वरिष्ठ सलाहकार डा. अखिलेश गुप्ता ने यह रिपोर्ट जारी की जिसका उद्देश्य उनकी संरचना और कार्य कलापों, प्रशासनिक प्रक्रियाओं और शासन ढांचे, क्षमता निर्माण जरूरतों और चुनौतियों की जांच परख कर भारत में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण कार्यालयों (टीटीओ) और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण प्रक्रियाओं में सुधार लाना है।
डा. गुप्ता ने रिपोर्ट जारी करते हुये बताया, ‘‘इस रिपोर्ट में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण केन्द्रों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया गया है जो कि नये विचारों को अनुसंधान प्रयोगशालाओं से बाजारों तक पहुंचाने के काम में तेजी लाते हैं।’’ रिपोर्ट नेट-जीरो उत्सर्जन और उर्जा क्षेत्र में बदलाव लक्ष्यों को हासिल करने के लिये नवोन्मेष बढ़ाने के लिये विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और नवाचार को समर्थन और मजबूती देने के भारत सरकार की पहलों को समर्थन देती है।
प्रौद्योगिकी हस्तांतरण कार्यालयों की भूमिका पर प्रकाश डालते हुये डा. गुप्ता ने कहा कि नये विचारों और खोजों को व्यवसायिक उपयोग में लाने में ये कार्यालय महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये उन नये विचारों को समाज के लाभ के लिये वास्तविक उत्पादों और सेवाओं में बदलने का काम करते हैं।
यह अध्ययन निम्न कार्बन प्रौद्योगिकी तैनाती सुविधा (एफएलसीटीडी) के तहत पंजाब विश्वविद्यालय के डीएसटी – नीति अनुसंधान केन्द्र द्वारा किया गया जिसे संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संगठन (यूनिडो), नयी दिल्ली का समर्थन प्राप्त था।
रिपोर्ट अकादमिक और उद्योग के बीच की दूरी को पाटने में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण कार्यालयों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालती है। रिपोर्ट शैक्षणिक क्षेत्र से उद्योग तक प्रौद्योगिकी को सफलतापूर्वक हस्तांतरित करने में काम आने वाली प्रक्रियाओं और उपकरणों पर प्रकाश डालती है।
रिपोर्ट नीति निर्माताओं को मूल्यवान सुझाव और अंतर्दृष्टि प्रदान करते हुये उन्हें उन क्षेत्रों की पहचान कराने में मदद करती है जहां देश में नवोन्मेष और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को सुविधाजनक बनाने के लिये पूरी प्रक्रिया को मजबूत बनाने पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
रिपोर्ट में इस बारे में भी सिफारिशें दी गई हैं कि प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के काम को किस प्रकार से मजबूत बनाया जाये और उद्योग और शैक्षणिक क्षेत्र के बीच भागीदारी को अधिक गहरा बनाया जाये, इसके साथ ही प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिये व्यापक नीतिगत पारिस्थितिकी तंत्र, घरेलू नवाचार और जमीनी स्तर को समर्थन देने के लिये हितधारकों के नेटवर्क को व्यापक बनाने पर भी इसमें जोर दिया गया है।
यूनिडो-एफएलसीटीडी के राष्ट्रीय परियोजना प्रबंधक श्री संदीप टंडन, पंजाब विश्वविद्यालय के डीएसटी-नीति अनुसंधान केन्द्र के समन्वयक और जैव प्रौद्योगिकी विभाग के प्रोफेसर डा. कश्मीर सिंह और उर्जा दक्षता ब्यूरो और डीएसटी के अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
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