Sunday, September 14, 2025

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मध्यप्रदेश की महान वस्त्र छलांग

आज जब औद्योगिक कॉरिडोर और मेगा पार्कों की घोषणाएँ अक्सर कागज़ों से आगे नहीं बढ़ पातीं, तब मध्यप्रदेश के धार ज़िले के भैंसोला गाँव में जो हो रहा है, वह असाधारण है। देश का पहला और सबसे बड़ा पीएम मित्रा (मेगा इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल रीजन एंड अपैरल) पार्क अभी शिलान्यास के चरण तक पहुँचा भी नहीं था कि उससे पहले ही 91 कंपनियों को 1,294 एकड़ से अधिक भूमि आवंटित हो चुकी है। 20,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश सुनिश्चित हो चुका है। यह अब कोई वादा नहीं, बल्कि ज़मीन पर उतरता हुआ यथार्थ है, जिसमें पूंजी है, भूमि है और जल्द ही रोज़गार भी होगा।

परिवर्तन की गवाही देते आंकड़े

मध्यप्रदेश को अब तक 114 प्रमुख वस्त्र कंपनियों से 23,000 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश प्रस्ताव मिले हैं। वर्धमान टेक्सटाइल्स का 2,000 करोड़ रुपये का 190 एकड़ में निवेश और ट्राइडेंट लिमिटेड का 4,881 करोड़ रुपये का 180 एकड़ का प्रस्ताव इस सूची की गंभीरता दर्शाता है। छोटे-बड़े उद्योग मिलकर इस औद्योगिक पुनर्जागरण की तस्वीर गढ़ रहे हैं।

रोज़गार का गणित भी उत्साहजनक है। पहले चरण में ही 72,000 नौकरियाँ और पूर्ण विकसित होने पर लगभग तीन लाख रोजगार का अनुमान है। यह केवल आंकड़ा नहीं, बल्कि मालवा और विंध्य जैसे क्षेत्रों की घरेलू अर्थव्यवस्था को बदलने वाला तथ्य है। कपास और रेशम उत्पादकों के लिए यह अवसर है कि उनकी उपज अब केवल कच्चे माल तक सीमित न रहे, बल्कि धागे, कपड़े और परिधान बनकर वैश्विक बाज़ारों में पहुँचे।

खेत से करघे तक

पीएम मित्रा पार्क की सबसे बड़ी विशेषता इसकी एकीकृत सोच है—कपास से धागा, धागे से कपड़ा और कपड़े से परिधान—सब कुछ एक ही भूगोल में। इससे न केवल किसानों को उचित दाम मिलेगा, बल्कि बिचौलियों की पकड़ भी टूटेगी। यह परियोजना मध्यप्रदेश को केवल कपास उत्पादक राज्य से आगे बढ़ाकर देश की टेक्सटाइल राजधानी बनाने का विज़न रखती है।

चुनौती क्रियान्वयन की

हालांकि संख्याएँ और घोषणाएँ उत्साहित करती हैं, असली कसौटी क्रियान्वयन ही होगी। विश्वस्तरीय आधारभूत संरचना, समय पर सुविधाएँ, सुगम लॉजिस्टिक्स और पर्यावरणीय मानक ही तय करेंगे कि यह पार्क वास्तविक प्रगति का प्रतीक बनेगा या फिर किसी असफल विशेष आर्थिक क्षेत्र जैसा अतीत। सार्वजनिक-निजी भागीदारी को पारदर्शी बनाना राज्य सरकार के लिए सबसे बड़ी जिम्मेदारी होगी।

संभावनाओं का करघा

यदि धार सफल होता है, तो इसके प्रभाव मध्यप्रदेश की सीमाओं से कहीं आगे तक जाएंगे। यह पार्क कृषि-औद्योगिक समन्वय का राष्ट्रीय मॉडल बन सकता है, जहाँ गाँव के खेतों में उगे कपास से तैयार परिधान अंतरराष्ट्रीय फैशन मंचों तक पहुँचेंगे। यह केवल आर्थिक उपलब्धि नहीं, बल्कि एक दार्शनिक संदेश भी होगा—कि भारत का कृषि क्षेत्र औद्योगिक आधुनिकता से अलग नहीं, बल्कि उसका हृदय बन सकता है।

इस दृष्टि से पीएम मित्रा पार्क महज़ एक औद्योगिक पार्क नहीं, बल्कि मध्यप्रदेश की साहसिक ऐतिहासिक छलांग है। यह एक दांव है कि किसान, उद्योग और वैश्विक बाज़ार को एक सूत्र में पिरोकर प्रदेश ही नहीं, पूरे भारत की समृद्धि की नई कहानी लिखी जा सकती है। इसकी सफलता शासन, ईमानदार प्रयास और उन करघों की निरंतर गूंज पर निर्भर करेगी जो रोज़गार और समृद्धि दोनों बुन सकें।

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