Thursday, March 27, 2025

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केजरीवाल बनाम मोदी: क्या 2025 में दिल्ली की सत्ता का समीकरण बदलेगा?

दिल्ली में विधानसभा चुनाव 2025 का रणभेरी बज चुका है। आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच यह मुकाबला राजनीतिक और रणनीतिक स्तर पर दिलचस्प होने वाला है।

मोदी का अतीत: अपराजेयता और झटके

2014 में लोकसभा चुनावों में ऐतिहासिक जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि अजेय नेता की बनी। महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड, और जम्मू-कश्मीर में BJP की जीत ने इसे और मजबूत किया। लेकिन 2015 में दिल्ली विधानसभा चुनावों में AAP ने मोदी को अप्रत्याशित हार का सामना कराया। 70 में से 67 सीटें जीतकर AAP ने BJP को मात्र तीन सीटों पर सीमित कर दिया।

2020 में यह परिदृश्य दोहराया गया। AAP ने 62 सीटें जीतकर BJP को फिर से पराजित किया, जबकि मात्र छह महीने पहले हुए लोकसभा चुनावों में BJP ने 303 सीटों के साथ इतिहास रचा था। लोकसभा चुनाव में AAP का प्रदर्शन कमजोर रहा, लेकिन विधानसभा चुनावों में यह 53.41% वोट शेयर के साथ विजयी रही।

2025 का समीकरण: कौन आगे?

BJP इस बार कमजोर राष्ट्रीय उपस्थिति और 2024 लोकसभा चुनाव में बहुमत पाने के संघर्ष के बीच मैदान में उतरेगी। सवाल यह है कि क्या मोदी AAP के विजयी रथ को रोक पाएंगे?

आंकड़ों की कहानी

तीन चुनावों—लोकसभा, विधानसभा, और MCD—के आंकड़े BJP और AAP के प्रदर्शन में स्पष्ट अंतर दिखाते हैं।

  • लोकसभा चुनाव:
    AAP दिल्ली में अब तक कोई लोकसभा सीट नहीं जीत पाई है। 2014 में इसका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 32.9% वोट शेयर के साथ रहा, लेकिन यह सीट जीतने के लिए पर्याप्त नहीं था। 2019 और 2024 में BJP ने क्रमशः 56.88% और 54.35% वोट शेयर के साथ बाज़ी मारी।
  • विधानसभा चुनाव:
    AAP ने 2015 और 2020 में शानदार प्रदर्शन किया, 54% और 53.41% वोट शेयर हासिल किए। लेकिन लोकसभा के मुकाबले इसका प्रदर्शन विधानसभा चुनावों में बेहतर रहा।
  • MCD चुनाव:
    2017 में BJP ने AAP को हराते हुए 36.3% वोट शेयर के साथ 181 सीटें जीतीं। लेकिन 2022 में AAP ने 42.05% वोट शेयर के साथ 134 सीटें जीतकर BJP को 104 सीटों पर सीमित कर दिया।

AAP की चुनौतियां

  1. राष्ट्रीय पहचान की कमी:
    AAP अब भी राष्ट्रीय राजनीति में एक मजबूत खिलाड़ी के रूप में उभरने में असफल रही है। लोकसभा चुनावों में इसकी उपस्थिति नगण्य है।
  2. स्थायी वोट बैंक का अभाव:
    BJP का वोट बैंक 32% से 39% के बीच स्थिर रहता है, जबकि AAP का वोट शेयर विधानसभा और अन्य चुनावों में अस्थिर रहता है।
  3. केजरीवाल की छवि पर चोट:
    BJP ने केजरीवाल की छवि को प्रभावित करने के लिए कथित शराब घोटाले और आलीशान बंगले जैसे मुद्दों को उठाया। हालांकि, इनका असर कितना होगा, यह देखने वाली बात होगी।

BJP के लिए रणनीति

BJP को केजरीवाल के “कल्ट स्टेटस” को कमजोर करना होगा। उनकी विश्वसनीयता और कार्यशैली पर सवाल उठाकर जनता का भरोसा तोड़ने का प्रयास जारी है।

निष्कर्ष

दिल्ली का मतदाता विधानसभा चुनावों में केजरीवाल को चुनता है, लेकिन लोकसभा चुनावों में मोदी को। AAP को विधानसभा में अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए अपने वोटरों के विश्वास को दोबारा जीतना होगा। दूसरी ओर, BJP को अपने वोट बैंक को मजबूत रखते हुए केजरीवाल की लोकप्रियता को चुनौती देनी होगी।

2025 का दिल्ली चुनाव केवल सत्ता का संघर्ष नहीं, बल्कि दो विचारधाराओं के बीच का निर्णायक युद्ध साबित हो सकता है।

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