Thursday, March 27, 2025

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चुनाव प्रचार में महिलाओं के खिलाफ घृणास्पद टिप्पणियां: राजनीति की शर्मनाक सच्चाई

भारतीय राजनीति में चुनाव प्रचार के दौरान महिलाओं के खिलाफ अपमानजनक और लैंगिक टिप्पणियां नई बात नहीं हैं। 2025 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी यही परिदृश्य दोहराया गया है, जहां AAP और कांग्रेस की महिला उम्मीदवारों को भाजपा नेताओं के sexist और misogynistic बयानों का सामना करना पड़ा।

महिलाओं के प्रति अभद्र टिप्पणियां

दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार आतिशी और कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी पर भाजपा के रमेश बिधूड़ी द्वारा की गई टिप्पणियां इसका ताजा उदाहरण हैं। बिधूड़ी ने आतिशी के नाम को लेकर अभद्र टिप्पणी करते हुए उनके चरित्र पर सवाल उठाए। प्रियंका गांधी पर भी उन्होंने “चीक्स जितनी स्मूद सड़कें” जैसी टिप्पणी कर sexist मजाक को हवा दी।

यह घटनाएं बताती हैं कि भारतीय राजनीति में, विशेषकर चुनाव के दौरान, महिलाओं को निशाना बनाकर की जाने वाली टिप्पणियां किस हद तक असंवेदनशील हैं।

महिलाओं की बढ़ती भागीदारी, लेकिन…

भले ही महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी बढ़ी है, लेकिन उनका प्रतिनिधित्व अभी भी सीमित है:

  • लोकसभा में महिलाओं का प्रतिशत: 2024 में यह मात्र 13.6% है।
  • राज्य विधानसभाओं में: यह आंकड़ा थोड़ा बेहतर है, लेकिन पर्याप्त नहीं।
  • स्थानीय निकायों में महिलाओं की भागीदारी: 72वें और 73वें संविधान संशोधनों के तहत सुनिश्चित की गई थी, लेकिन इनमें से अधिकांश महिलाएं परिवार के पुरुषों की “प्रॉक्सी” के रूप में कार्य करती हैं।

महिला मतदाताओं का बढ़ता प्रभाव

2024 के चुनावों में महिला मतदाताओं की संख्या में 1.8 करोड़ की वृद्धि दर्ज की गई। आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक जैसे राज्यों में महिला मतदाता बड़ी संख्या में सामने आईं। इसके बावजूद महिलाओं की सक्रिय राजनीतिक भागीदारी में यह उछाल देखने को नहीं मिला।

समस्या के मूल कारण

  1. मिसोजिनी और लैंगिक पूर्वाग्रह:
    राजनीति में पुरुष प्रधान मानसिकता हावी है। महिलाएं चुनाव लड़ने के लिए आर्थिक, सामाजिक, और मानसिक चुनौतियों का सामना करती हैं।
  2. पार्टी नेतृत्व की विफलता:
    राजनीतिक दल sexist टिप्पणियां करने वाले नेताओं को दंडित नहीं करते। यह प्रवृत्ति उन नेताओं को और अधिक साहसी बनाती है।
  3. नेतृत्व का अभाव:
    ज्यादातर महिला नेता वंशवाद से आती हैं। इसके चलते grassroots स्तर की महिला उम्मीदवारों को अवसर नहीं मिलते।

क्या होना चाहिए?

  • राजनीतिक संस्कृति में बदलाव:
    हर स्तर पर महिलाओं का सम्मान सुनिश्चित किया जाए। sexist टिप्पणियां करने वाले नेताओं को पार्टी से निष्कासित कर उदाहरण प्रस्तुत करना होगा।
  • महिला आरक्षण लागू करना:
    संसद और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक-तिहाई सीटें आरक्षित करना राजनीतिक भागीदारी में बड़ा बदलाव ला सकता है।
  • संवेदनशीलता बढ़ाना:
    पार्टियों के शीर्ष नेतृत्व को खुद से पहल करनी होगी। चुनाव और गैर-चुनावी समय में misogynistic भाषा का त्याग करना आवश्यक है।

निष्कर्ष

महिला मतदाताओं की संख्या बढ़ना इस बात का संकेत है कि वे राजनीति में अपनी जगह बनाने के लिए तैयार हैं। लेकिन misogynistic मानसिकता और sexist बयानों को समाप्त किए बिना इस बदलाव को स्थायी बनाना मुश्किल होगा। राजनीतिक दलों को यह समझना होगा कि महिलाओं को केवल संख्या नहीं, बल्कि सम्मान के साथ नेतृत्व देने की आवश्यकता है।

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