Monday, November 24, 2025

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“घर से ऑस्कर तक” : मध्यप्रदेश की सिनेमाई उड़ान

मध्यप्रदेश एक बार फिर वैश्विक सिनेमा के आकाश पर चमक रहा है। फिल्म “होमबाउंड” का 98वें ऑस्कर (2026) में भारत की आधिकारिक प्रविष्टि के रूप में चयन, न सिर्फ़ भारतीय सिनेमा के लिए गौरवपूर्ण क्षण है बल्कि यह प्रदेश के लिए भी अभूतपूर्व उपलब्धि है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का यह कहना बिल्कुल सही है कि यह सम्मान मध्यप्रदेश को अंतरराष्ट्रीय सिनेमाई मानचित्र पर स्थायी स्थान दिलाता है।

फ़िल्मी परदे से परे

यह पहली बार नहीं है जब प्रदेश का नाम ऑस्कर से जुड़ा हो। 2024 में “लापता लेडीज़” भी ऑस्कर की लॉन्गलिस्ट तक पहुँची थी। अब “होमबाउंड”, जिसे नीरज घेवन ने धर्मा प्रोडक्शन्स के बैनर तले बनाया है और जिसमें ईशान खट्टर, विशाल जेठवा व जान्हवी कपूर मुख्य भूमिकाओं में हैं, मध्यप्रदेश की वैश्विक यात्रा को एक नई ऊँचाई पर ले गया है। भोपाल और उसके आसपास की लोकेशनों में फिल्माई गई यह कृति इस बात का प्रमाण है कि प्रदेश की धरती अब विश्व सिनेमा की स्थायी प्रेरणा बन रही है।

नीति और कला का संगम

यह उपलब्धि संयोग नहीं है। प्रदेश की फ़िल्म पर्यटन नीति 2025 ने फिल्म निर्माण को सुगम और आकर्षक बनाया है। सिंगल विंडो क्लीयरेंस, पारदर्शी अनुमति प्रक्रिया और आर्थिक प्रोत्साहन ने बड़े प्रोडक्शन्स को आकर्षित किया है। इसी नीति के तहत अब तक 350 से अधिक फ़िल्में और वेब सीरीज़ की शूटिंग हो चुकी है। 24 करोड़ रुपये से अधिक की सब्सिडी और भारत सरकार से मिला “मोस्ट फ़िल्म फ्रेंडली स्टेट” का ख़िताब इस नीति की सफलता का प्रमाण हैं।

सिर्फ़ शूटिंग ही नहीं, बल्कि खानपान, परिवहन, स्थानीय कलाकारों, आतिथ्य और रचनात्मक उद्योगों के लिए भी नए अवसर पैदा हुए हैं। भोपाल, महेश्वर और खजुराहो जैसे नगर अब केवल पर्यटन स्थल नहीं बल्कि फ़िल्मी और सांस्कृतिक अर्थव्यवस्था के केन्द्र भी बन रहे हैं।

सांस्कृतिक कूटनीति का नया आयाम

“होमबाउंड” की सफलता केवल आर्थिक दृष्टि से नहीं, बल्कि सांस्कृतिक कूटनीति के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है। हर अंतरराष्ट्रीय स्क्रीनिंग मध्यप्रदेश की समृद्ध धरोहर, प्राकृतिक सौंदर्य और बहुरंगी पहचान का परिचय है। यह संदेश जाता है कि भारतीय सिनेमा सिर्फ़ मुंबई तक सीमित नहीं, बल्कि प्रदेश की नदियाँ, किले और गलियाँ भी विश्व मंच पर कथा कहने में सक्षम हैं।

उपलब्धि और ज़िम्मेदारी

लेकिन यह मान्यता स्थायित्व की माँग करती है। नीतियों में निरंतरता, सहज अनुमति व्यवस्था और फिल्मिंग से जुड़ी आधारभूत संरचना का विस्तार ही प्रदेश की विश्वसनीयता को मज़बूत करेगा। एक ऑस्कर नामांकन गर्व दिला सकता है, लेकिन दीर्घकालिक पहचान निरंतरता और उत्कृष्टता से ही संभव होगी।

निष्कर्ष

फिलहाल, मध्यप्रदेश को जश्न मनाने का पूरा हक है। “होमबाउंड” का ऑस्कर तक पहुँचना केवल फ़िल्मकारों की सफलता नहीं बल्कि उस मिट्टी की जीत है, जिसने अपनी सांस्कृतिक धरोहर और प्रगतिशील नीतियों से दुनिया का ध्यान खींचा है। यह उपलब्धि बताती है कि अगर नीति और कला साथ चलें तो प्रदेश का नाम विश्व सिनेमा के पन्नों में सुनहरे अक्षरों से लिखा जा सकता है।

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