पारदर्शिता, तकनीक और सुशासन से सशक्त हुआ खनन क्षेत्र
प्राकृतिक संपदा से समृद्ध छत्तीसगढ़ आज भारत के खनन क्षेत्र में एक आदर्श राज्य के रूप में उभरा है। संरचनात्मक सुधारों, तकनीकी नवाचार और पारदर्शी शासन के माध्यम से राज्य ने न केवल अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत की है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी एक पहचान बनाई है। लौह अयस्क, कोयला, चूना पत्थर, बॉक्साइट, टिन और अब नवनिर्धारित महत्वपूर्ण, रणनीतिक तथा दुर्लभ खनिजों की सफल खोज ने इस उपलब्धि को और सशक्त किया है।
आर्थिक और औद्योगिक प्रभाव
राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में खनन क्षेत्र का योगदान लगभग 10 प्रतिशत है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह देश के कुल खनिज उत्पादन का 17 प्रतिशत है। राज्य निर्माण के समय (2000) मात्र 429 करोड़ रुपये की खनिज आय अब 2024–25 में बढ़कर 14,592 करोड़ रुपये तक पहुँच गई है यह वृद्धि दर राज्य की मज़बूत खनिज नीति और निरंतर प्रशासनिक सुधारों का प्रमाण है।
खनिज (विकास एवं विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2015 और खनिज नीलामी नियम, 2015 के तहत छत्तीसगढ़ ने अब तक 60 खनिज खदान ब्लॉक सफलतापूर्वक नीलाम किए हैं जिनमें 15 लौह अयस्क, 14 बॉक्साइट, 18 चूना पत्थर और 13 रणनीतिक खनिज ब्लॉक शामिल हैं। वर्तमान में 5 नए ब्लॉकों 2 चूना पत्थर, 1 लौह अयस्क, 1 सोना और 1 बेस मेटल की नीलामी प्रक्रिया भी प्रारंभ हो चुकी है।
वैज्ञानिक अनुसंधान और साझेदारी
राज्य के भूगर्भ एवं खनिज निदेशालय ने आईआईटी मुंबई, आईआईटी (आईएसएम) धनबाद और कोल इंडिया लिमिटेड के साथ दीर्घकालिक समझौते किए हैं, ताकि वैज्ञानिक तकनीकों के माध्यम से महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों की खोज को गति दी जा सके। इन सहयोगों से भूवैज्ञानिक अनुसंधान और नई खोजों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
खनन से कल्याण तक: डीएमएफ की भूमिका
प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र विकास दिशानिर्देश 2024 के अनुरूप छत्तीसगढ़ ने जिला खनिज फाउंडेशन (DMF) ट्रस्ट नियम 2025 अधिसूचित किए हैं। अब तक राज्य को 16,119 करोड़ रुपये का डीएमएफ योगदान प्राप्त हुआ है। 1,05,653 स्वीकृत परियोजनाओं में से 74,454 परियोजनाएँ पूर्ण हो चुकी हैं, जिनमें बुनियादी ढाँचा, स्वास्थ्य, शिक्षा और सामुदायिक कल्याण के कार्य शामिल हैं।
DMF पोर्टल 2.0 के माध्यम से सभी प्रक्रियाएँ पारदर्शी और ट्रैक योग्य बनाई गई हैं, जिससे अनुमोदन और मॉनिटरिंग में उत्तरदायित्व सुनिश्चित हुआ है।
डिजिटल परिवर्तन और सुशासन
खनन प्रशासन को पूरी तरह डिजिटल बनाने के लिए राज्य ने “मिनरल ऑनलाइन 2.0 पोर्टल” शुरू किया है। यह प्रणाली मल्टी-लेयर्ड, सुरक्षित और उपयोगकर्ता अनुकूल है। रेत खदानों का आबंटन अब एमएसटीसी के साथ एमओयू के तहत पूरी तरह ऑनलाइन किया जा रहा है, जिससे मैनुअल हस्तक्षेप समाप्त हुआ है और पारदर्शिता तथा सुरक्षा को नई ऊँचाई मिली है।
सतत और उत्तरदायी खनन
माइनर मिनरल्स नियम, 2015 के तहत खदानों के मूल्यांकन के लिए स्टार रेटिंग प्रणाली लागू की गई है। अब तक 3 खदानों को 5 स्टार और 32 खदानों को 4 स्टार रेटिंग प्राप्त हो चुकी है। यह इस बात का संकेत है कि राज्य आर्थिक वृद्धि के साथ पर्यावरणीय जिम्मेदारी को भी समान महत्व देता है।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की दृष्टि
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का मानना है कि खनिज संसाधन केवल आर्थिक संपदा नहीं, बल्कि राज्य के समग्र विकास की आधारशिला हैं। उन्होंने कहा कि नीतिगत सुधार, डिजिटल पारदर्शिता और सतत खनन प्रथाओं ने छत्तीसगढ़ को राष्ट्रीय स्तर पर खनन शासन का अग्रणी मॉडल बना दिया है। यह एक ऐसा मॉडल है जो आर्थिक लचीलापन और पर्यावरणीय उत्तरदायित्व, दोनों को साथ लेकर चलता है।