प्रविष्टि तिथि: 29 JUL 2024 नवीनतम भारत वन स्थिति रिपोर्ट (आईएसएफआर)-2021 के अनुसार , देश का कुल वन क्षेत्र 7,13,789 वर्ग किलोमीटर है जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का 21.71 प्रतिशत है। यह रिपोर्ट देहरादून स्थित भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआई) द्वारा प्रकाशित की गई है। महाराष्ट्र सहित देश के कुल वन क्षेत्र का राज्यवार विवरण अनुलग्नक-I में दिया गया है।
सरकार ने, हरित भारत के लिए राष्ट्रीय मिशन (जीआईएम), वन्यजीव आवासों का एकीकृत विकास, प्रतिपूरक वनीकरण निधि प्रबंधन और योजना प्राधिकरण (कैम्पा), नगर वन योजना (एनवीवाई) और तटीय आवासों और मूर्त आय के लिए मैंग्रोव पहल (एमआईएसएचटीआई) आदि विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के अंतर्गत धनराशि उपलब्ध कराई है। इस धनराशि का उपयोग राज्य और केंद्र शासित प्रदेश वन क्षेत्रों के भीतरी और बाहरी क्षेत्रों में वन लगाने, वन परिदृश्य बहाल करने, आवास में सुधार करने, मृदा और जल संरक्षण और सुरक्षा के उपाय करने और इसके ज़रिए पारिस्थितिकी की बहाली के लिए कर रहे हैं।
मंत्रालय द्वारा महाराष्ट्र सहित विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पिछले पांच वर्षों और चालू वर्ष के दौरान ग्रीन इंडिया मिशन, कैम्पा, वन्यजीव आवास विकास, नगर वन योजना और मिष्टी आदि के अंतर्गत उपलब्ध कराई गई धनराशि का विवरण क्रमशः अनुलग्नक-II से अनुलग्नक-VI में दिया गया है।
जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय अनुकूलन कोष (एनएएफसीसी) की स्थापना भारत के संवेदनशील राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में जलवायु परिवर्तन अनुकूलन परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए की गई थी, जिसमें नाबार्ड राष्ट्रीय कार्यान्वयन इकाई (एनआईई) के रूप में कार्य कर रहा है। एनएएफसीसी के तहत विभिन्न राज्यों में कुल 30 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। 2022 में एनएएफसीसी को योजना से गैर-योजना में बदल दिया गया।
पृथ्वी के तापमान में हो रही वृद्धि की पृष्ठभूमि में देश के विभिन्न भागों में मौसम में चरम बदलाव देखे जा रहे हैं। गर्म होते पर्यावरण और क्षेत्रीय मानवजनित प्रभावों के बीच जटिल अंतर्क्रियाओं के कारण स्थानीय स्तर पर भारी वर्षा की घटनाओं, सूखे और बाढ़ की घटनाओं और उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की तीव्रता में वृद्धि हुई है।
भारत सरकार जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपीसीसी) सहित अपने कई कार्यक्रमों और योजनाओं के माध्यम से जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए प्रतिबद्ध है। जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना जलवायु संबंधी सभी कार्यों के लिए व्यापक रूपरेखा है। विभिन्न राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) ने जलवायु परिवर्तन से संबंधित राज्य के विशिष्ट मुद्दों को ध्यान में रखते हुए एनएपीसीसी के अनुरूप जलवायु परिवर्तन पर अपनी राज्य कार्य योजनाएं (एसएपीसीसी) तैयार की हैं। किसी आपदा की स्थिति में कुशल प्रतिक्रिया और राहत सुनिश्चित करने के लिए आपदा प्रबंधन पर राष्ट्रीय नीति है। आपदा प्रबंधन योजना आपदा जोखिम प्रबंधन में राज्य सरकारों सहित सभी हितधारकों की सहायता के लिए तैयार की गई है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने कई चरम मौसमी और जलवायु संबंधी घटनाओं पर दिशा-निर्देश जारी किए हैं। भारत ने आपदा रोधी अवसंरचना तैयार करने में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सहयोग को बढ़ावा देने में भी सक्रिय और अग्रणी भूमिका निभाई है।