जयपुर, अक्टूबर। राजस्थान विधान सभा अध्यक्ष श्री वासुदेव देवनानी ने राज्य लेखा सेवा के प्रशिक्षु अधिकारियों का आव्हान किया है कि वे ईमानदारी और निष्ठा से कार्य करके राज्य सेवाओं की प्रतिष्ठा बढ़ाये। उन्होंने कहा कि जीवन में सफलता और संतुष्टि का आधार भी ईमानदारी और निष्ठा से कार्य निर्वहन ही है।
श्री देवनानी मंगलवार को विधान सभा में राज्य लेखा सेवा के प्रशिक्षु अधिकारियों से चर्चा कर रहे थे। विधान सभा अध्यक्ष ने प्रत्येक प्रशिक्षु अधिकारी का परिचय लिया। श्री देवनानी ने सभी प्रशिक्षु अधिकारियों को राज्य सेवा में चयन होने की बधाई एवं शुभकामनाएं दी। श्री देवनानी ने कहा कि राजस्थान विधान सभा लोकतंत्र का पवित्र स्थल है। सदन में चर्चा होने के पश्चात ही बजट पारित होता है। उन्होंने कहा कि विधान सभा नियमों, विनियमों और श्रेष्ठ परम्पराओं से चलती है। श्री देवनानी ने कहा कि राष्ट्र सर्वोपरि है।
विधान सभा के प्रमुख सचिव श्री भारत भूषण शर्मा, विशिष्ट सहायक श्री के. के. शर्मा, उप सचिव श्री संजीव शर्मा और वितीय सलाहकार श्री अपूर्व जोशी ने प्रशिक्षु अधिकारियों को राजस्थान विधान सभा के कार्य संचालन एवं नियमों के बारे में जानकारी दी। हरिश्चन्द्र माथुर लोक प्रशासन संस्थान में गत 9 सितम्बर से प्रशिक्षण ले रहे राज्य लेखा सेवा में नव चयनित 32 अधिकारियों के दल ने राजस्थान विधान सभा के राजनीतिक आख्यान संग्रहालय, पुस्तकालय सहित विभिन्न शाखाओं का अवलोकन किया। इस मौके पर संस्थान के अतिरिक्त निदेशक (लेखा) कोमल आगरी, उप निदेशक सुरभी सिंह, सहायक प्रोफेसर डॉ. प्रियंका व्यास, सहायक निदेशक धर्मेन्द्र गुप्ता और सरिता बत्रा भी मौजूद थे।