जशपुर में विकास की नई राह
छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय द्वारा कोकिया नदी पर उच्च स्तरीय पुल निर्माण की घोषणा केवल बजट की एक पंक्ति नहीं, बल्कि वर्षों से मौसमी अलगाव झेल रहे ग्रामीण जीवन के लिए आशा की किरण है। भलूमुंडा–खेजुरघाट मार्ग पर 3.32 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला यह पुल, फर्साबहार ब्लॉक के हजारों लोगों को हर बरसात में आने वाली कठिनाइयों से स्थायी राहत दिलाएगा।
नदी का नाम, लेकिन बाधा का रूप
दशकों से यह नदी जीवनदायिनी से अधिक अवरोधक सिद्ध हुई है। बारिश आते ही स्कूल जाते बच्चे नदी पार फँस जाते, बीमार मरीज अस्पताल तक नहीं पहुँच पाते और किसान अपनी उपज बाज़ार तक ले जाने में असमर्थ हो जाते। ऐसे में यह पुल केवल सीमेंट और लोहे का ढांचा नहीं, बल्कि गरिमा, निरंतरता और स्वतंत्रता का प्रतीक है।
गाँवों को जोड़ने से भविष्य जुड़ता है
इस पुल का प्रभाव दर्जनों गाँवों तक फैलेगा। कोरंगामाल, भलूमुंडा, पेटामेरा, अंकीरा, खरिबाहर, जुदेइन, सगाजोर और परेवाड़ा जैसे गाँव सीधे ओडिशा से जुड़ेंगे। वहीं रेडाघाट, सोनाजोरी, बैंकहेता और माटीहेजा जैसी बस्तियाँ ब्लॉक मुख्यालय से सहज जुड़ाव पा सकेंगी। वास्तव में इस 3.32 करोड़ रुपये की कीमत को गिनना हो, तो इसे गिनीए बच्चों के पूरे हुए स्कूल-दिनों में, समय पर मिली स्वास्थ्य सेवाओं में और किसानों के खुले बाजारों में।
प्रतीक और परिवर्तन का संगम
जशपुर लंबे समय से संसाधनों से समृद्ध होते हुए भी संपर्क-सुविधाओं की कमी से पिछड़ा रहा है। मुख्यमंत्री का यह निर्णय संदेश देता है कि हाशिए पर खड़े इलाक़े अब मुख्यधारा से जुड़ेंगे। किंतु यह तभी सार्थक होगा जब निर्माण गुणवत्तापूर्ण और समयबद्ध हो। अधूरे काम, कमजोर निर्माण और लापरवाही जैसी कमज़ोरियों ने ग्रामीण भारत की अनेक योजनाओं को खोखला कर दिया है। जशपुर की जनता को अब केवल शिलान्यास नहीं, बल्कि वादों की ईमानदार पूर्ति चाहिए।
आगे की राह
यदि यह पुल ईमानदारी और दक्षता से बनता है, तो यह केवल इंजीनियरिंग का काम नहीं होगा, बल्कि एक व्यापक रूपक बन जाएगा स्थानीयता को क्षेत्रीयता से, हाशिए को मुख्यधारा से और आज की आकांक्षाओं को कल के अवसरों से जोड़ने वाला। बड़े-बड़े मेगा प्रोजेक्ट्स सुर्ख़ियों में छाए रहते हैं, लेकिन अक्सर ऐसे छोटे, स्थानीय और ठोस हस्तक्षेप ही ग्रामीण जीवन में सबसे गहरी क्रांति लाते हैं।
निष्कर्ष
कोकिया नदी पर बनने वाला यह पुल सिर्फ दो किनारों को जोड़ने का वादा नहीं है, यह सरकार और जनता के बीच विश्वास का पुल भी बन सकता है। यदि यह वादा जमीनी हकीकत में बदलता है, तो जशपुर की विकास यात्रा एक नए अध्याय में प्रवेश करेगी जहाँ भौगोलिक दूरी ही नहीं, बल्कि अवसरों की खाई भी पाटी जाएगी।