मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का विकासात्मक संकल्प
कभी-कभी बुनियादी ढांचा केवल उपयोगिता तक सीमित नहीं रहता, बल्कि प्रगति का प्रतीक बन जाता है। जशपुर जिले में इब नदी पर केराकोना-बैगाटोली मार्ग पर बनने वाले उच्च स्तरीय पुल का शुभारंभ इसी श्रेणी की उपलब्धि है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में स्वीकृत यह 5.22 करोड़ रुपये की परियोजना केवल इंजीनियरिंग कार्य नहीं, बल्कि उन ग्रामीण समुदायों के लिए विश्वास का पुनर्निर्माण है, जो वर्षों से बारिश के दिनों में swollen नदी के खतरों को झेलते आ रहे थे।
भौगोलिक कठिनाइयों पर जीत
इस क्षेत्र के लोगों ने लंबे समय तक मौसमी अलगाव झेला है। बरसात के दिनों में छात्र स्कूल नहीं पहुँच पाते, मरीज अस्पताल तक देरी से पहुँचते और किसान अपने उत्पाद समय पर मंडियों तक नहीं ले जा पाते। यह पुल केवल लोहे और सीमेंट का ढांचा नहीं, बल्कि सम्मान, सुविधा और अवसर का सेतु है।
निर्धारित समय, कठोर संकल्प
सरकार ने अप्रैल 2026 तक निर्माण पूरा करने का लक्ष्य तय किया है। गुणवत्ता पर समझौता न करने और समयसीमा का कड़ाई से पालन करने के स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं। यह मुख्यमंत्री साय की उस सोच को दर्शाता है कि विकास केवल घोषणाओं का विषय नहीं, बल्कि समय पर परिणाम देने का संकल्प है।
परिवर्तन का व्यापक असर
जब यह पुल और इसी तरह के दर्जनभर अन्य स्वीकृत पुल पूरे होंगे, तो जशपुर का सामाजिक-आर्थिक मानचित्र बदल जाएगा। गाँव जो अब तक उपेक्षित थे, वे शिक्षा, स्वास्थ्य और व्यापार की मुख्यधारा से जुड़ेंगे। कल्पना कीजिए, अब किताबों के साथ बच्चे नाव नहीं बल्कि पुल पार करेंगे, एंबुलेंस बिना बाधा पहुँचेगी और किसान अपनी उपज समय पर मंडी तक ले जाएंगे।
वास्तविक राजनीति, ठोस परिणाम
भारत की विकास यात्रा अक्सर अधूरी परियोजनाओं और टलते वादों से बाधित रही है। लेकिन इब नदी पर बन रहा यह पुल दिखाता है कि राजनीति का असली मूल्य केवल भाषणों में नहीं बल्कि धरातल पर पूरे किए गए वादों में है। यह केवल कंक्रीट का ढांचा नहीं, बल्कि शासन की जवाबदेही और नागरिकों के साथ बने विश्वास का प्रतीक है।
भविष्य की ओर बढ़ता कदम
स्थानीय समुदायों की सहज कृतज्ञता इस तथ्य की गवाही है कि यह पुल उनके जीवन की धारा बदल देगा। असली महत्व यह है कि राज्य अब ग्रामीण कठिनाइयों का अस्थायी समाधान नहीं, बल्कि स्थायी ढांचे खड़े कर रहा है।
यदि पुल रूपक हैं, तो इब नदी पर बन रहा यह पुल उत्तर प्रदेश (चूंकि संदर्भ छत्तीसगढ़ है, इसे “छत्तीसगढ़” करना चाहिए) की आकांक्षाओं को जोड़ने वाला, समावेश और प्रगति का सशक्त प्रतीक है।