बदलाव की चौखट पर खड़ा मध्यप्रदेश
मध्यप्रदेश का हृदयस्थल विंध्य आज केवल राजनीतिक घोषणाओं का मंच नहीं, बल्कि विकास की नयी पटकथा का केंद्र बन रहा है। त्योंथर में तमसा नदी के किनारे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जो संकल्प प्रस्तुत किए हैं, वे केवल पत्थर की नींव या बजट की घोषणाएँ नहीं, बल्कि एक “विकास यज्ञ” की परिकल्पना हैं। 400 एकड़ का औद्योगिक क्षेत्र, 100 शैय्याओं वाले सिविल अस्पताल का विस्तार, 162 करोड़ की योजनाओं का शुभारंभ और 125 करोड़ की लागत से बनने वाला निजी कम्प्रेस्ड बायोगैस संयंत्र ये सब मिलकर विंध्य के भविष्य की रूपरेखा तय करते हैं।
संस्कृति और विकास का संगम
डॉ. यादव की घोषणाओं को अलग बनाता है उनका सांस्कृतिक आधार। “राम वन गमन पथ” और प्रस्तावित “श्रीकृष्ण पथ” केवल पर्यटन या सड़क परियोजनाएँ नहीं हैं, बल्कि इस भूमि की स्मृति और आस्था से जुड़े आयाम हैं। तमसा किनारे नदी कॉरिडोर का विचार आधुनिक विकास को परंपरा से जोड़ने का प्रयास है। यह वही रणनीति है जिसने भारतीय राजनीति में “डबल इंजन सरकार” की कार्यशैली को एक विशिष्ट पहचान दी है जहाँ सांस्कृतिक विरासत और आर्थिक निवेश साथ-साथ चलते हैं।
कृषि और ऊर्जा का नया समीकरण
विंध्य लंबे समय से ऊर्जा उत्पादन का केंद्र रहा है। अब बायोगैस संयंत्र से किसानों की पराली को ऊर्जा के स्रोत में बदलने का प्रयास उल्लेखनीय है। यह पहल न केवल स्वच्छ हवा और खेतों की सफाई सुनिश्चित करेगी, बल्कि किसानों की आय में भी इज़ाफा करेगी। जिस पराली को अब तक बेकार माना जाता था, वही हरित अर्थव्यवस्था की नींव बन सकती है।
शिक्षा और युवा आकांक्षा
आईटीआई से लेकर छात्रवृत्तियों तक, मुख्यमंत्री का विशेष जोर युवाओं और शिक्षा पर रहा। विंध्य जैसे क्षेत्रों में जहाँ रोज़गार और अवसर की कमी अक्सर पलायन को जन्म देती है, ऐसे निवेश स्थानीय युवाओं को आशा और विकल्प प्रदान करते हैं। यदि औद्योगिक गलियारे का विस्तार त्योंथर तक वास्तविक रूप से पहुँचता है, तो यह क्षेत्र भोपाल और इंदौर जैसे शहरी केंद्रों से पीछे नहीं रहेगा।
चुनौती और अपेक्षा
घोषणाएँ जितनी बड़ी हैं, उतनी ही बड़ी उनकी कसौटी भी होगी। किसान यह देखेंगे कि क्या वास्तव में पराली का उचित मूल्य उन्हें मिला। रोगी यह देखेंगे कि त्योंथर का अस्पताल गुणवत्ता पूर्ण इलाज दे पा रहा है या नहीं। और उद्योगपति तभी आगे आएँगे जब औद्योगिक भूखंड केवल कागज़ पर नहीं, बल्कि वास्तविक फैक्टरियों में बदलेंगे।
निष्कर्ष: संभावनाओं का विंध्य
विंध्य को ऊर्जा राजधानी ही नहीं, बल्कि एकीकृत क्षेत्रीय विकास के मॉडल के रूप में खड़ा करने की महत्वाकांक्षा स्पष्ट है। परंतु यह तभी संभव है जब सांस्कृतिक प्रतीकों को ठोस पर्यटन ढांचे से जोड़ा जाए और स्वास्थ्य, शिक्षा व कृषि योजनाओं को ईमानदारी से लागू किया जाए।
डॉ. यादव ने विंध्य की जनता से एक वादा किया है कि विकास का कारवाँ रुकेगा नहीं। अब अगली परीक्षा इस बात की होगी कि यह कारवाँ केवल तमसा किनारे की गूंज बनकर न रह जाए, बल्कि विंध्य की धरती पर रोज़मर्रा की ज़िंदगी में साकार हो।