हाल ही में स्कॉच अवॉर्ड्स 2025 में मध्यप्रदेश सरकार को मिले अनेक सम्मान केवल औपचारिक उपलब्धियाँ नहीं हैं, बल्कि यह राज्य की उस बदली हुई कार्यसंस्कृति का प्रमाण हैं, जहाँ शासन का आधार पारदर्शिता, जवाबदेही और तकनीकी नवाचार बन चुका है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा विभागों को बधाई देना इस बात का संकेत है कि अब जनता की नज़र में सरकार की विश्वसनीयता ही असली राजनीतिक पूँजी है।
संपदा 2.0: डिजिटल पारदर्शिता की नई भाषा
संपदा 2.0 को मिला स्वर्ण पुरस्कार बताता है कि किस तरह पंजीकरण प्रक्रिया का डिजिटलीकरण और रीयल टाइम मॉनिटरिंग ने भ्रष्टाचार की गुंजाइश घटाई और नागरिकों की थकाऊ प्रक्रियाओं को सरल बनाया। जहाँ अक्सर शासन पर नीति अच्छी, क्रियान्वयन कमजोर का आरोप लगता है, वहीं मध्यप्रदेश ने दिखाया है कि पारदर्शिता और दक्षता साथ-साथ चल सकती हैं।
आयुष: जवाबदेही की नई संरचना
आयुष विभाग की ई- मॉनिटरिंग प्रणाली ने स्वास्थ्य सेवाओं का चेहरा बदल दिया है। ओपीडी मरीजों की संख्या आठ लाख से बढ़कर बाईस लाख प्रति माह पहुँचना केवल आंकड़ा नहीं बल्कि जनता के विश्वास की वापसी है। यह उदाहरण है कि प्रशासनिक इच्छाशक्ति और तकनीक मिलकर किस तरह सामान्य नागरिक को गरिमा प्रदान कर सकती हैं।
खेती से मंडी तक सुधार
ई मंडी ऐप और एमपी फार्म गेट को मिले सम्मान किसानों के सशक्तिकरण की मिसाल हैं। 259 मंडियों और 32 लाख से अधिक किसानों को जोड़ने वाला ई मंडी सिस्टम खरीद की हर प्रक्रिया में पारदर्शिता लाता है। वहीं, फार्म गेट ऐप ने 8.5 लाख किसानों को यह अधिकार दिया है कि वे अपनी उपज सीधे घर से उचित मूल्य पर बेच सकें। यह केवल राहत नहीं बल्कि वास्तविक सशक्तिकरण है।
गुना: गुलाबों की नई पहचान
“गुना टुवर्ड्स द सिटी ऑफ रोज़ेज़” पहल बताती है कि कल्पनाशील नीतियाँ कैसे पिछड़े कृषि क्षेत्रों को उच्च मूल्य वाली फ्लोरिकल्चर की ओर मोड़ सकती हैं। पॉलीहाउस तकनीक से उगते गुलाब सिर्फ फूल नहीं, बल्कि ग्रामीण आकांक्षाओं और आर्थिक अवसरों का प्रतीक हैं।
सम्मानों से आगे: एक शासन दर्शन
इन उपलब्धियों को केवल पुरस्कारों तक सीमित समझना भूल होगी। इन सबके केंद्र में यह दर्शन है कि शासन दिखना भी चाहिए और महसूस भी होना चाहिए। आज जब राजनीति का विमर्श अक्सर टकरावों में उलझा रहता है, मध्यप्रदेश यह याद दिला रहा है कि लोकतंत्र की मजबूती बहस से नहीं बल्कि डिलीवरी से होती है।
यदि गुलाब गुना की मिट्टी में खिल सकते हैं, तो भरोसे और पारदर्शिता की कली शासन व्यवस्था में क्यों नहीं खिल सकती? मध्यप्रदेश ने यह साबित किया है कि ईमानदारी और नवाचार संगठित हों तो सुशासन सिर्फ आदर्श नहीं, बल्कि ठोस हकीकत बन सकता है।