Monday, August 4, 2025

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करौली की कहानी: बिहान योजना से ग्रामीण महिलाओं की आर्थिक क्रांति

छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले का करौली गांव आज एक नई पहचान गढ़ रहा है—एक ऐसा गांव जो कभी पारंपरिक सामाजिक ढांचों में जकड़ा था, अब महिलाओं की आर्थिक स्वायत्तता और सामूहिक उद्यमशीलता का उदाहरण बन चुका है। इस बदलाव की बुनियाद रखी है राज्य सरकार की बिहान योजना, जिसने गांव की महिलाओं को आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर किया है।

इस परिवर्तन की नायक बनी हैं श्रीमती सरोज और उनके नेतृत्व में बना हिग्लेश्वरी स्व-सहायता समूह। पहले बिखरी हुई पांच अलग-अलग महिला समूहों को एकजुट कर 28 महिलाओं ने मिलकर एक प्रोड्यूसर ग्रुप का गठन किया, जो अब स्थानीय स्तर पर सरसों तेल निर्माण और विपणन का कार्य कर रहा है।

पूर्ण उत्पादन चक्र में महिलाओं की भागीदारी

इस समूह की सबसे बड़ी ताक़त है—सम्पूर्ण उत्पादन चक्र पर महिलाओं का नियंत्रण। बीज की सफाई से लेकर तेल निकालने की प्रक्रिया, भंडारण, पैकेजिंग और बाज़ार में बिक्री तक, हर चरण में महिलाएं न सिर्फ़ शामिल हैं, बल्कि नेतृत्व कर रही हैं। यह केवल आजीविका का साधन नहीं, बल्कि स्वाभिमान और निर्णय लेने की क्षमता का सशक्त प्रदर्शन है।

आर्थिक सफलता और सरकारी सहयोग

हर महिला को प्रतिदिन 200 रुपये की मज़दूरी मिल रही है, और पूरे समूह को प्रतिमाह लगभग ₹50,000 से ₹60,000 की शुद्ध आय हो रही है। यह सफलता संभव हुई है सरकारी सहयोग से—जहाँ आधुनिक मशीनें, कार्यस्थल और बाज़ार तक पहुँच सुनिश्चित की गई। उत्पाद की शुद्धता और गुणवत्ता के कारण इसकी माँग दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है, जिससे समूह की विस्तार की संभावनाएं भी सशक्त हो रही हैं।

परंपराएं टूटती हैं, नए रास्ते बनते हैं

जहाँ कभी महिलाएं सिर्फ़ घर की चहारदीवारी तक सीमित थीं, आज वही महिलाएं गांव की आर्थिक रीढ़ बन चुकी हैं। श्रीमती सरोज की यह स्वीकारोक्ति कि केंद्र और राज्य सरकार दोनों ने इस यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, यह दर्शाता है कि नीतिगत समर्थन और संसाधनों की उपलब्धता महिलाओं के लिए क्या कुछ संभव बना सकती है।

एक मॉडल जो पूरे देश के लिए प्रेरणा है

करौली की यह कहानी कोई अपवाद नहीं, बल्कि सकारात्मक परिवर्तन का खाका है। यह सिद्ध करता है कि यदि ग्रामीण महिलाओं को सही मार्गदर्शन, संसाधन और अवसर मिलें, तो वे आर्थिक विकास की अग्रदूत बन सकती हैं। यह नीति निर्माताओं के लिए एक संदेश है—कि सशक्त राष्ट्र की नींव, सशक्त महिला और सशक्त गांव से ही रखी जा सकती है।


निष्कर्ष

बिहान योजना के तहत शुरू हुई करौली की सरसों तेल इकाई, सिर्फ़ एक व्यावसायिक पहल नहीं है—यह आर्थिक परतंत्रता से आत्मनिर्भरता की यात्रा है, सामाजिक बंधनों से स्वतंत्रता की कहानी है, और ग्रामीण भारत के नव निर्माण की मिसाल है। यह बताती है कि यदि महिलाओं को अवसर मिले, तो वे सिर्फ़ अपना नहीं, पूरे समाज का भविष्य बदल सकती हैं।

 

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