Wednesday, October 29, 2025

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Jashpur’s Educational Renaissance Under Chief Minister Vishnu Dev Sai

Revival Through Infrastructure

भारत की विकास यात्रा में कई बार नीतियाँ बड़ी-बड़ी घोषणाओं के रूप में सामने आती हैं, लेकिन असली बदलाव तब होता है जब पहलें ज़मीनी स्तर पर लोगों की ज़िंदगी को छूती हैं। जशपुर ज़िले में आठ स्कूलों के लिए ₹6.19 करोड़ की स्वीकृति, जिसे मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आगे बढ़ाया है, ऐसा ही एक कदम है। यह निर्णय केवल इमारतें खड़ी करने का नहीं बल्कि ग्रामीण शिक्षा को नई दिशा देने का संकेत है।

ईंट और गारे से आगे की नींव

यह राशि छत्तीसगढ़ स्टेट पावर ट्रांसमिशन कंपनी (CSPTCL) के कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) फंड से जारी की गई है। यह महज़ निवेश नहीं, बल्कि एक दृष्टि है। प्राथमिक विद्यालयों से लेकर उच्चतर माध्यमिक स्कूलों तक अलग-अलग ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए धनराशि का आवंटन इस बात का संकेत है कि शिक्षा में समानता और गुणवत्ता दोनों पर समान ज़ोर दिया जा रहा है।

धनराशि का हस्तांतरण डिजिटल माध्यम (RTGS और NEFT) से करना पारदर्शिता और दक्षता का प्रमाण है। वहीं, कार्यान्वयन की जिम्मेदारी स्थानीय एजेंसी ग्रामीण यांत्रिक सेवा को सौंपना यह दर्शाता है कि प्रशासन स्थानीय भागीदारी और जवाबदेही को भी मज़बूत करना चाहता है।

शिक्षा से ग्रामीण नवजागरण

ग्रामीण इलाकों में शिक्षा का ढांचा जितना सुदृढ़ होगा, समाज उतना ही मज़बूत बनेगा। आधुनिक स्कूल इमारतें अब सिर्फ़ पढ़ाई की जगह नहीं रह गईं, बल्कि वे जिज्ञासा, सोच और आत्मविश्वास को जन्म देने वाले केंद्र हैं। 20 लाख की छोटी प्राथमिक इकाई से लेकर 1.2 करोड़ की बड़ी उच्च माध्यमिक संरचना तक की राशि यह दिखाती है कि सरकार ने ज़मीनी ज़रूरतों को समझकर प्राथमिकता तय की है।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की पहल यह साबित करती है कि दूरदृष्टि और दृढ़ इच्छाशक्ति से ही ग्रामीण शिक्षा को सशक्त किया जा सकता है। यह राजनीति का वह रूप है जो केवल वादों तक सीमित नहीं रहता, बल्कि मानवीय पूँजी के निर्माण की ठोस नींव रखता है।

जशपुर से आगे: समावेशी विकास का रास्ता

यह पहल एक उदाहरण है कि जब CSR, राजनीतिक इच्छाशक्ति और प्रशासनिक दक्षता एक साथ काम करें, तो ग्रामीण शिक्षा जैसी बड़ी चुनौती का हल निकाला जा सकता है। इससे यह संदेश भी जाता है कि भारत का भविष्य केवल महानगरों में नहीं, बल्कि गाँवों और कस्बों में भी गढ़ा जा रहा है।

यदि इस योजना का ईमानदारी से क्रियान्वयन हुआ, तो यह आने वाली पीढ़ियों को भूगोल और सामाजिक सीमाओं से ऊपर उठने का अवसर दे सकती है।

निष्कर्ष: आशा की इमारत

जशपुर में बनने वाली ये नई इमारतें सिर्फ़ स्कूल नहीं होंगी, वे उम्मीद और संभावनाओं का प्रतीक बनेंगी। यह पहल दिखाती है कि राज्य की भूमिका सिर्फ़ अधिकार देने की नहीं, बल्कि अपने नागरिकों को वास्तविक अवसर उपलब्ध कराने की भी है।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने CSR और सरकारी इच्छाशक्ति को मिलाकर केवल निर्माण को मंज़ूरी नहीं दी, बल्कि एक ऐसी दृष्टि प्रस्तुत की है जिसमें ग्रामीण शिक्षा को समावेशी विकास का आधारस्तंभ माना गया है। भारत के न्यायपूर्ण और समृद्ध भविष्य के लिए इस तरह की पहलें न केवल महत्वपूर्ण हैं, बल्कि अपरिहार्य हैं।

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