मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की दूरदर्शी पहल
पेटलावद की धरती इस बार केवल एक राजनीतिक मंच नहीं बनी, बल्कि जनकल्याण के उत्सव की गवाह बनी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने यहाँ लाड़ली बहना योजना के तहत 1.26 करोड़ महिलाओं को एक ही क्लिक से 1,541 करोड़ रुपये की राशि वितरित की। यह महज़ आंकड़ा नहीं, बल्कि उस बदलते मध्यप्रदेश की झलक है जहाँ राज्य अपने नागरिकों के जीवन में सीधे, पारदर्शी और भरोसेमंद ढंग से हस्तक्षेप कर रहा है।
सीधे लाभ, सीधे विश्वास
डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) की व्यवस्था ने मध्यप्रदेश में विश्वास की नई नींव रखी है। पहले जहाँ योजनाओं का लाभ दलालों और बिचौलियों के जाल में अटक जाता था, वहीं आज सहायता सीधे बहनों के खाते में पहुँच रही है। इससे न केवल पारदर्शिता आई है, बल्कि महिलाओं के आत्मसम्मान में भी अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। मुख्यमंत्री का यह संदेश स्पष्ट है—“राज्य की बहनों का सम्मान और समृद्धि ही हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता है।”
कल्याण और विकास साथ-साथ
डॉ. यादव की सोच केवल नकद हस्तांतरण तक सीमित नहीं है। पेटलावद में ही 345 करोड़ रुपये की विकास योजनाओं का शुभारंभ और लोकार्पण हुआ—नई सड़कें, पुल, बस स्टैंड, पानी की योजनाएँ और भविष्य का मेडिकल कॉलेज। यह इस बात का प्रमाण है कि सरकार केवल आज की ज़रूरत नहीं, बल्कि कल की संभावनाओं को भी समान महत्व देती है।
सांस्कृतिक धरोहर और संवेदनशीलता
जिले की पारंपरिक औषधीय विरासत को संजोने के लिए ‘झाबुआ के संजीवक’ ग्रंथ का विमोचन करना हो या दिव्यांगजन को विशेष चारपहिया मोटरसाइकिलें उपलब्ध कराना—मुख्यमंत्री ने दिखा दिया कि विकास का अर्थ केवल कंक्रीट की इमारतें नहीं, बल्कि मानवीय गरिमा और सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण भी है।
महिलाओं का आत्मबल, राज्य का आत्मबल
लाड़ली बहना योजना केवल आर्थिक मदद नहीं है। यह महिलाओं के आत्मबल का संचार है। जिस परिवार की बहनें और बेटियाँ मजबूत होंगी, वही समाज और वही राज्य मज़बूत होगा। मुख्यमंत्री का यह कहना सार्थक है कि “बहनों की खुशी ही हमारी खुशी है।” उनकी यह सोच मध्यप्रदेश की राजनीतिक संस्कृति को नई दिशा दे रही है।
निष्कर्ष
डॉ. मोहन यादव ने साबित किया है कि राजनीति केवल सत्ता का खेल नहीं, बल्कि समाज के कमजोर वर्गों को सशक्त बनाने का साधन है। लाड़ली बहना योजना के ज़रिए उन्होंने महिलाओं को सम्मान दिया है, पेंशन और गैस सब्सिडी के ज़रिए सुविधा दी है, और विकास योजनाओं के ज़रिए भविष्य की नींव रखी है।
आज जब मध्यप्रदेश के कोने-कोने में महिलाएँ आत्मविश्वास के साथ कह सकती हैं कि “सरकार हमारे साथ खड़ी है,” तो यह मुख्यमंत्री की सबसे बड़ी उपलब्धि है। निश्चय ही, यह वह मॉडल है जो समावेशी विकास और आत्मनिर्भर भारत के सपने को और सशक्त करेगा।