Saturday, September 13, 2025

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हेलमेट और उम्मीदें: सुरक्षित भविष्य की ओर

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की दूरदर्शिता

भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में जब मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मेधावी विद्यार्थियों को स्कूटर की चाबी सौंपी, तो वह क्षण केवल पुरस्कार वितरण तक सीमित नहीं था। स्वयं हेलमेट पहनकर स्कूटर पर बैठना, विद्यार्थियों को यह संदेश देने का सशक्त माध्यम बना कि उपलब्धि के साथ जिम्मेदारी भी उतनी ही जरूरी है। विकास तभी सार्थक है जब उसमें सुरक्षा और अनुशासन की संस्कृति भी समाहित हो।

शिक्षा से लेकर सड़क तक सशक्तिकरण

मध्यप्रदेश सरकार ने प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करने के लिए लैपटॉप, साइकिल और अब स्कूटर जैसी योजनाएँ चलाई हैं। अब तक 23,000 से अधिक छात्र-छात्राएँ स्कूटर योजना का लाभ पा चुके हैं, जिसमें लगभग 247 करोड़ रुपये व्यय हुए हैं। यह केवल गतिशीलता नहीं, बल्कि युवाओं की मेहनत और प्रतिभा को सार्वजनिक सम्मान देने की पहल है।

लेकिन मुख्यमंत्री का स्पष्ट संदेश है कि यातायात अनुशासन इस योजना का अभिन्न हिस्सा है। परिवहन मंत्री उदय प्रताप सिंह द्वारा बताए गए नियम—हेलमेट का प्रयोग, ट्रैफिक लाइट और ज़ेब्रा क्रॉसिंग का पालन, मोबाइल फोन से दूरी—शहरी कानों को भले ही साधारण लगें, लेकिन ग्रामीण और कस्बाई क्षेत्रों में यह जीवन और मृत्यु का फर्क तय कर सकते हैं।

सुरक्षा: एक नागरिक संस्कार

हेलमेट पहनना केवल कानून मानना नहीं, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी का प्रतीक है। प्रत्येक मेधावी छात्र का यह स्कूटर सिर्फ़ साधन नहीं, बल्कि अवसर और उत्तरदायित्व का चलता-फिरता प्रतीक है। मुख्यमंत्री ने स्वयं हेलमेट पहनकर युवाओं को यह दिखाया कि सफलता का अर्थ लापरवाही नहीं, बल्कि अनुशासन और संयम है।

राज्य और नागरिक का अनुबंध

सरकार स्कूटर दे सकती है, लेकिन जीवन की सुरक्षा केवल व्यक्ति के सजग व्यवहार पर निर्भर करती है। यही कारण है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस योजना को केवल पुरस्कार वितरण तक सीमित नहीं रखा, बल्कि इसे सड़क सुरक्षा अभियान से जोड़ा। enforcement, शिक्षा और उदाहरण—इन तीन स्तंभों पर ही सुरक्षित यातायात की संस्कृति टिक सकती है।

निष्कर्ष

युवाओं को स्कूटर देना केवल गतिशीलता नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास का प्रतीक है। परंतु मुख्यमंत्री का यह संदेश और भी गहरा है: “सफलता वही है जो सुरक्षित हो, उपलब्धि वही है जो जिम्मेदारी से जुड़ी हो।” आज मध्यप्रदेश का हर मेधावी छात्र-छात्रा जब अपने नए स्कूटर पर सवार होगा, तो वह सिर्फ़ अपने भविष्य की ओर नहीं, बल्कि सुरक्षित और अनुशासित समाज की ओर भी कदम बढ़ाएगा।

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