आगामी वीकेंड यादगार छुट्टियां मनाने का बेहतरीन मौका है। चाहे आप इंदौर की जबर्दस्त एनर्जी का अनुभव करना चाहते हों या फिर उज्जैन के अलौकिक आध्यात्म में डूबना चाहते हों, हमारी लिस्ट में हर यात्री के लिये कुछ न कुछ जरूर है। इस वीकेंड को मौज-मस्ती और सांस्कृतिक खोज का संगम बना दीजिये। भोपाल से अपने वीकेंड गेटवे पर खुशनुमा यादों को संजोन की तैयारी कीजिए।
भोपाल से आप नीचे दी गई जगहों पर जा सकते हैं:
इंदौर- इंदौर एक फलता-फूलता महानगर है, जो मध्यप्रदेश के बीच में स्थित है। यह शहर आधुनिकता और समृद्ध ऐतिहासिक धरोहर के एक सौहार्द्रपूर्ण संगम से मेहमानों को आकर्षित करता है। वहाँ की जीवंत गलियों में भ्रमण करते हुए स्ट्रीट फूड की सुगंध बहुत ललचाती है। हर मोड़ पर शहर की पाककला का खजाना मिलता है। राजवाड़ा पैलेस की भव्यता में खो जाइये। यह वास्तुशिल्प की एक शानदार कृति है, जो आपको होलकर शासकों के वैभवशाली युग में लेकर जाती है। खजराना गणेश मंदिर का शांत वातावरण आपको आशीर्वाद और आत्मिक शांति पाने का अनुभव देगा। हलचल से भरे बाजारों में आपको उत्तम हस्तशिल्प, भड़कीले परिधान और स्थानीय आधार पर बनने वाली सौगातें मिलेंगी, जो इंदौर की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाती हैं।
उज्जैन- पवित्र क्षिप्रा नदी के किनारे बसा उज्जैन शहर प्राचीन परंपराओं और आध्यात्मिक महत्व से ओत-प्रोत है। यह शाश्वत गंतव्य आगंतुकों को अपना समृद्ध सांस्कृतिक चित्रपट दिखाने के लिये आमंत्रित करता है, जो हिन्दु पौराणिक गाथाओं और वास्तुशिल्पीय कृतियों से बना है। श्रेष्ठतम महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की तीर्थयात्रा कीजिये, जोकि भारत के सबसे पूजनीय शिव मंदिरों में से एक है। यहाँ भक्तों को आशीर्वाद और आत्मिक शांति मिलती है। इधर गोपाल मंदिर काफी आकर्षक है, जिसकी भव्यता भगवान कृष्ण को समर्पित है। पेचीदा नक्काशी और सुंदर भित्तिचित्र इसकी शोभा बढ़ाते हैं। भैरो घाटी के चटकीले रंगों और जीवंत वातावरण में स्थानीय और बाहर से आने वाले लोगों की चहलकदमी देखते ही बनती है। यहाँ शहर की जीवंत परंपराओं और पाककला की सौगातों का नजारा भी मिलता है।
देवास- मध्यप्रदेश के दिल में बसा यह नगीना अपने क्षेत्र के समृद्ध सांस्कृतिक चित्रपट और वास्तुशिल्पीय गौरव का अनुभव लेने के लिये मेहमानों को बुलाता है। चामुंडा माता मंदिर के आध्यात्मिक वातावरण में खो जाइये। यह एक श्रेष्ठ हिन्दु तीर्थ है, जो देवी माँ के भयंकर अवतार को समर्पित है। यहाँ पेचीदा नक्काशी और जीवंत भित्तिचित्र हैं। इधर दत्ता मंदिर एक शानदार मंदिर संकुल है, जिसकी वास्तुशिल्पीय भव्यता श्रद्धेय संत दत्तात्रेय को दिया गया सम्मान है। यहाँ भी पत्थरों पर आकर्षक कारीगरी और पेचीदा नक्काशी मिलती है। जबकि बाज बहादुर पैलेस की ऐतिहासिक सुंदरता इंडो-इस्लामिक वास्तुशिल्प का एक यादगार उदाहरण है। यहाँ आपको देवास के रोचक अतीत की झलक मिलती है। जीवंत स्थानीय बाजारों के चटकीले परिधान, सुगंधित मसाले और हाथ से बनी सौगातें आपको रिझाने का इंतजार करती हैं। यहाँ देवास की जीवंत परंपराओं और स्नेह से भरे आतिथ्य का नजारा दिखता है।
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