अवैध टैक्सी और ऑटो के खिलाफ बुलंद हुई आवाज, एचआरटीसी से लेकर पंजीकृत ऑटो तक को हो रहा नुकसान, एक मंच पर आए प्राइवेट बस, टैक्सी और ऑटो ऑपरेटर्स।
हिमाचल प्रदेश में मोबाइल ऐप के माध्यम से चल रही यातायात एप बला बला और गैर पंजीकृत ऑटो रिक्शा को लेकर बड़ा बवाल खड़ा होता दिखाई दे रहा है। सोमवार को ऊना जिला मुख्यालय के आईएसबीटी में निजी बस, टैक्सी और ऑटो ऑपरेटरों ने संयुक्त बैठक करते हुए इस मोबाइल ऐप के साथ-साथ बिना टैक्स अदा किया चलने वाले सभी ऑटो रिक्शा का विरोध किया। बैठक की अध्यक्षता निजी बस ऑपरेटर्स यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष राजेश पराशर ने की, जबकि जिला अध्यक्ष महेंद्र मनकोटिया सहित टैक्सी और ऑटो ऑपरेटर यूनियन के लोग भी मौजूद रहे। यूनियन ने सीधे और स्पष्ट शब्दों में मोबाइल एप बला-बला एप के माध्यम से हो रहे राजस्व नुकसान का मुद्दा उठाया। उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग की है कि जल्द इस मोबाइल एप्लीकेशन के अवैध धंधे को बंद करने के साथ-साथ गैर पंजीकृत ऑटो रिक्शा पर भी नकेल कसी जाए।
लोगों को यातायात की सुविधा देने वाली मोबाइल एप्लीकेशन बला बला और ऊना जिला में चलने वाले करीब 1000 गैर पंजीकृत ऑटो रिक्शा को लेकर बड़ा बवाल खड़ा होने लगा है। सोमवार को इन्हीं मुद्दों को लेकर आईएसबीटी में प्राइवेट बस, टैक्सी और ऑटो ऑपरेटर्स यूनियनों की संयुक्त बैठक का आयोजन किया गया। बैठक की अध्यक्षता निजी बस ऑपरेटर्स यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष राजेश पराशर ने की जबकि जिला अध्यक्ष महेंद्र मनकोटिया भी विशेष रूप से बैठक में पहुंचे। राजेश पराशर ने कहा कि मोबाइल एप्लीकेशन बला-बला के करण प्राइवेट बस ऑपरेटर ही नहीं बल्कि टैक्सी ऑपरेटरों को भी नुकसान उठाना पड़ रहा है। इस एप्लीकेशन के माध्यम से अपनी गाड़ी में दिल्ली तक जाने वाला कोई भी व्यक्ति पैसे लेकर सवारियों को ढोने का काम कर रहा है। जिसका सीधा असर प्रदेश सरकार के राजस्व को होने के साथ-साथ लाखों रुपए खर्च करके कमर्शियल वाहनों का संचालन कर रहे ऑपरेटरों को भी भुगतना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि इस मोबाइल एप्लीकेशन के कारोबार के कारण सरकार को प्रतिवर्ष लाखों रुपए का टैक्स अदा करने वाले प्राइवेट बस ऑपरेटर नुकसान उठाने को मजबूर हो चुके हैं, जबकि दिल्ली तक टैक्सी लेकर जाने वाले लोग भी अब कम किराए में इस मोबाइल एप्लीकेशन के माध्यम से भारी रिस्क उठाकर जाने लगे हैं। उन्होंने कहा कि जिला भर में पंजाब नंबर के ऐसे कई ऑटो रिक्शा भी चलाये जा रहे हैं जिनके यहां पर पंजीकरण ही नहीं है। इन ऑटो संचालकों की गुंडागर्दी ऐसी है कि लोकल रूट पर चलने वाली बस के चालक परिचालक को भी यात्रियों को बिठाने से मना करने लगे हैं।
जिसका खामियाजा टैक्स अदा करके ऑटो का संचालन करने वाले लोगों को भुगतना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर इस मोबाइल एप्लीकेशन और अनैतिक ऑटो संचालन से हर प्रकार के टैक्स अदा करते हुए काम करने वाले लोगों को अपने परिवारों का पालन पोषण करना भी मुश्किल हो चुका है। बाइट — राजेश पराशर (प्रदेशाध्यक्ष, निजी बस ऑपरेटर यूनियन)
वहीं निजी बस ऑपरेटर्स यूनियन के जिला अध्यक्ष महेंद्र मनकोटिया ने कहा कि प्रदेश सरकार अवश्य इस मामले को सहानुभूति पूर्वक विचार करेगी और सरकार के राजस्व को चूना लगाने वाले इस प्रकार के धंधे पर भी लगाम कसी जाएगी।