चाँदली की हिंगलाज माता मंदिर को नेत्र ज्योति देने वाली माता जी माना जाता है… ऊंची पहाड़ी पर मौजूद यह मंदिर है भारत का हिंगलाज माता मंदिर….
पाकिस्तान के बलूचिस्तान के बाद भारत मे हिंगलाज माता जी यह मंदिर टोंक जिले के चाँदली गांव में ऊंची पहाड़ी पर मौजूद है जंहा सेकड़ो सालो से अखंड ज्योत जल रही है तो वही हिंगलाज माता के इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि यह माता लोगो को नेत्र ज्योति देती है और यही कारण है कि श्रदालु इस मंदिर को नेत्र ज्योति देने वाले मंदिर के नाम से पुकारते है यही कारण है कि जब भी किसी भक्त की मनोकामना पूरी होती है तो वह चांदी की आंखे मंदिर में चढ़ाते है इस मंदिर की पूजा अर्चना का काम प्रजापति समाज के लोग मंदिर की स्थापना के समय से ही करते आ रहे है देखिये यह रिपोर्ट ।
रामदेव प्रजापति,पुजारी बाईट 02 रामधन प्रजापति,पुजारी बाईट 03 विनोद शर्मा,श्रदालु टोंक जिले का चाँदली में मौजूद हिंगलाज माता मंदिर को लेकर मान्यता है कि यह भारत का एकमात्र हिंगलाज माता जी मंदिर है और पाकिस्तान के बलूचिस्तान में भी ऐसा ही एक ओर मंदिर मौजूद है जिसको लेकर श्रदालुओ की अपार आस्था देखने को मिलती है धार्मिक मान्यताओं और लोक किदवंतियो के अनुसार एक ऊंची पहाड़ी पर मौजूद यह मंदिर लगभग 700 साल पुराना मंदिर है वह इस मंदिर को चांदली माता जी के नाम के साथ ही नेत्र ज्योति देने वाली। माताजी के नाम से भी जाना जाता है यह प्राचीन मंदिर हिन्दू आस्थाओं का प्रमुख केंद्र है वह श्रदालुओ की भीड़ यंहा सालभर देखने को मिलती है वही साल के दोनो नवरात्रों के दिनों में इस मंदिर में भक्तों का सैलाब उमड़ता है ।
मनोकामना पूर्ण होने पर भक्त चढ़ाते है चांदी की आंखे :- टोंक जिले के चाँदली में मौजूद हिंगलाज माता जी मंदिर में वैसे तो सालभर भक्त चांदी की आंखे चढ़ाते हैं. मगर नवरात्र के दिनों में दानपुण्य का सिलसिला काफी बढ़ जाता है. सालभर में माता की प्रतिमा के लिए भक्त 600 से 700 चांदी की आंखे भेंट के रूप में चढ़ाते है. और मनोकामना पूर्ण होने के बाद माता के दरबार में श्रद्धा अनुसार भेंट और भोग चढ़ाते है वह सवामणि का भोग लगाते है ।
प्रजापति समाज के परिवार वाले करते है माता की पूजा अर्चना :- चांदली की हिंगलाज माता जी की प्रतिमा के बारे में मान्यता है कि यह प्रतिमा स्वयं प्रकट हुई थीं. जो कि सालों पहले प्रजापति परिवार के स्वप्न के बाद पहाड़ पर प्रकट हुई थीं. यहां पर लगभग साल 1893 से सरोवर के पास ऊंची पहाड़ी पर पूजा अर्चना शुरू हुई. यह मंदिर जमीन से लगभग 150 फिट की ऊँचाई पर है. आज यह मंदिर काफी भव्य है. यहाँ सालभर में दो मेलो का आयोजन भी किया जाता है । नेत्र ज्योति देने वाले मन्दिर के नाम से है पहचान :- मन्दिर को लेकर आस्था वह चमत्कार की बात अगर की जाए तो आसपास के ग्रामीणों की ही नही दूर दूर से आने वाले भक्तों की मान्यता है कि हिंगलाज माता जी के चांदली गांव में पहाड़ी पर मौजूद इस मंदिर में भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है ओर सबसे खास बात इस मंदिर को लेकर यह है कि यह माता नेत्र ज्योति प्रदान करने वाली माता है मान्यता तो यह तक है कि मंदिर की पहाड़ी ओर प्रांगण में बिखरे पत्थरो को घिसकर यहां जलने वाली ज्योत का काजल लगाने से नेत्र ज्योति वापस आती है यही कारण है कि लोग माता के दरबार मे चांदी की आंखे भेंट करते है ।
नोकरी लगने पर कोई चढ़ाता है पहली तनख्वाह तो कोई आता है पैदल माता के दरबार मे :- हिन्दू आस्था के केंद्र इस मंदिर में भक्त अपनी मनोकामनाये लेकर आते है और देखने को मिलता है कि सरकारी नोकरी की मुराद पूरी होने और भक्त अपनी पहली तन्खवाह भी माता के दरबार मे चढ़ाते है तो कई भक्त अपनी मुराद पूरी होने पर पैदल यात्रा कर मंदिर तक पंहुचते है वह सालभर यंहा दूर-दूर से पैदल यात्राएं भी पंहुचती है । मन्दिर में सालो से जल रही है अखंड ज्योति :- नेत्र ज्योति देने वाली चांदली माता जी के इस प्राचीन मंदिर में पिछले 100 सालों से भी अधिक समय से अखंड ज्योत जल रही है वह ऐसा माना जाता है कि भक्त एक ज्योत के लिए लगभग 10 किलो घी चढ़ाते हैं वह इस मंदिर में लगभग 11 ज्योत हर समय जलती रहती है यही कारण है कि चाँदली माता मंदिर में सालभर में सैकड़ों किलो घी का चढ़ावा भी आता है वह मंदिर में जलने वाली अखंड ज्योत का काजल लगाने से नेत्र ज्योति आती है और नेत्र रोगियों को फायदा होता है. वहीं असाध्य रोगियों की भी मनोकामना पूर्ण होती है ।