Thursday, September 18, 2025

Latest Posts

हर घर जल: बदले हुए भविष्य की धारा

साल 2019 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लालकिले की प्राचीर से जल जीवन मिशन की घोषणा की थी, तब यह केवल एक कल्याणकारी योजना नहीं थी। यह एक सभ्यता का संकल्प था हर ग्रामीण घर तक सुरक्षित पेयजल पहुँचाने का वादा। उस भारत में, जहाँ तपती गर्मियों में सूखे कुएँ, घटते भूजल और जलजनित बीमारियाँ ग्रामीण जीवन का हिस्सा रही हैं, यह संकल्प जितना साहसिक था, उतना ही पवित्र भी।

आज छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय इस राष्ट्रीय स्वप्न को स्थानीय धरातल पर साकार कर रहे हैं। लक्ष्य स्पष्ट है हर घर, हर स्कूल, हर आंगनबाड़ी, हर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को नल जल से जोड़ना। यह केवल पाइपलाइन और टंकी का काम नहीं, बल्कि गरिमा, स्वास्थ्य और समानता का प्रवाह है, जो गाँव-गाँव में पहुँच रहा है।

एक छोटे गाँव से बड़ी तस्वीर

जशपुर जिले के ठुठियाम्बा ग्राम पंचायत के प्रादंतोली बस्ती को ही लें। कुछ समय पहले तक यहाँ की दिनचर्या पानी की तलाश से बंधी थी। महिलाएँ और बच्चे घंटों दूर-दराज़ के हैंडपंप और कुओं तक जाते, थकान और बीमारी उनके जीवन की स्थायी साथी थी। लेकिन आज हालात बदल चुके हैं। अब घर-घर पानी पहुँचता है शुद्ध, परखा हुआ और सौर ऊर्जा से संचालित ओवरहेड टंकी से आपूर्ति किया गया। यह टंकी केवल संरचना नहीं, बल्कि परिवर्तन का प्रहरी है।

महिलाओं की मुक्ति

बुधनी बाई और बसंती बाई जैसी महिलाओं की गवाही किसी व्यक्तिगत राहत की कहानी नहीं, बल्कि सामूहिक पीढ़ीगत आहट है। अब गर्मियों में हैंडपंप सूखने का डर नहीं, न ही बरसात में जलजनित रोगों का आतंक। जिस श्रमसाध्य बोझ ने पीढ़ियों तक महिलाओं को जकड़ रखा था, वह अब एक नल के घुमाव से हल्का हो गया है। यह केवल पानी का प्रवाह नहीं, बल्कि समय और अवसर की मुक्ति है।

तकनीक और भागीदारी का संगम

योजना की खासियत यही है कि इसमें केवल ढांचा नहीं, बल्कि सतत स्वास्थ्य निगरानी, सामुदायिक भागीदारी और नवीकरणीय ऊर्जा का भी समावेश है। ग्रामीण अब केवल लाभार्थी नहीं, बल्कि अपने संसाधनों के संरक्षक भी हैं। यही कारण है कि यह मिशन पूर्ववर्ती योजनाओं से अलग खड़ा होता है।

प्रतीक और परिवर्तन

पानी, जिसे अक्सर संघर्ष और विवाद का कारण माना जाता है, यहाँ एकजुटता का माध्यम बन रहा है। “हर घर जल” का सपना अब ठोस हकीकत में बदलकर यह दिखा रहा है कि असली शासन वही है जो अपनी चमकदार घोषणाओं को गाँव-गाँव की धूल में साकार करता है। यह योजना साबित करती है कि लोकतंत्र का मूल्यांकन आँकड़ों से नहीं, बल्कि उन नलों से होना चाहिए जिनसे गरीबों के घरों में गरिमा बहती है।

लोकतंत्र की धाराएँ

भारत की विकास बहस अक्सर महानगरों तक सीमित रहती है। लेकिन असली क्रांति उन गाँवों में है जहाँ अब महिलाओं के सिर पर मटके नहीं, बल्कि घर के आँगन में बहता पानी है। यदि शासन की सफलता को इस पैमाने से मापा जाए कि वह आमजन के जीवन को कितना आसान बनाता है, तो यह जल जीवन मिशन किसी योजना से अधिक है यह लोकतंत्र की जीवंत धारा है।

Latest Posts

spot_imgspot_img

Don't Miss

Stay in touch

To be updated with all the latest news, offers and special announcements.