कहते हैं कि किसी भी समाज की ताकत उसकी महिलाओं के स्वास्थ्य पर निर्भर करती है। यही दृष्टि लेकर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की स्वस्थ नारी, सशक्त परिवार अभियान छत्तीसगढ़ में उम्मीदों से कहीं अधिक सकारात्मक परिणाम दे रही है। केवल तीन दिनों में 10,000 से अधिक स्वास्थ्य शिविरों के माध्यम से लगभग 3.98 लाख नागरिकों ने निःशुल्क परामर्श और उपचार पाया, जिनमें 2.80 लाख महिलाएँ शामिल रहीं। यह आँकड़ा न केवल सक्रिय महिला सहभागिता को दर्शाता है बल्कि जनस्वास्थ्य व्यवस्था पर नए विश्वास का भी प्रतीक है।
महिलाओं की सेहत पर विशेष फोकस
अभियान की सबसे बड़ी ताकत इसका व्यापक दृष्टिकोण है। उच्च रक्तचाप, डायबिटीज़, कैंसर, टीबी और सिकल सेल जैसी गंभीर बीमारियों की जाँच बड़े पैमाने पर की गई। गर्भवती महिलाओं की 33,773 एएनसी जाँचें, 13,884 बच्चों का समय पर टीकाकरण, और 1.10 लाख लोगों की एनीमिया जाँच इस दिशा में ऐतिहासिक उपलब्धियाँ हैं। खासकर एनीमिया की रोकथाम राज्य के लिए एक निर्णायक कदम है, क्योंकि यह लंबे समय से महिलाओं में छिपी महामारी रही है।
जागरूकता ही सशक्तिकरण की कुंजी
यह पहल केवल इलाज तक सीमित नहीं है। पोषण, संतुलित आहार, आयरन एवं फोलिक एसिड सेवन, स्वच्छता और जीवनशैली में बदलाव जैसे विषयों पर महिलाओं को परामर्श दिया जा रहा है। 2.24 लाख नागरिकों को संरचित काउंसलिंग प्रदान की गई। यह प्रयास स्वास्थ्य सेवा को लेन-देन की प्रक्रिया से आगे ले जाकर सामूहिक स्वास्थ्य संस्कृति गढ़ने की दिशा में बड़ा कदम है।
समाज निर्माण का आधार
अभियान का संदेश स्पष्ट है: जब महिलाएँ स्वस्थ होती हैं तो परिवार मजबूत होता है और परिवार से ही समाज का ढांचा सुदृढ़ बनता है। यही कारण है कि बुजुर्गों को आयुष्मान वय वंदना स्वास्थ्य कार्ड देकर 75 वर्ष से ऊपर के 6,869 वरिष्ठ नागरिकों को सुरक्षित और सस्ती चिकित्सा उपलब्ध कराई जा रही है।
छत्तीसगढ़ का यह अभियान केवल स्वास्थ्य कार्यक्रम नहीं, बल्कि सामाजिक सशक्तिकरण की नई संरचना है। स्वस्थ नारी से सशक्त परिवार और सशक्त परिवार से मजबूत समाज की यह यात्रा आने वाले वर्षों में राज्य ही नहीं, पूरे देश के लिए आदर्श बन सकती है।