Saturday, August 9, 2025

Latest Posts

टमाटर, मिर्च लगाकर ग्राम झोडि़याबाड़म की दीदियां बदल रही है अपनी जिंदगी की तस्वीर

दंतेवाड़ा दंतेवाड़ा, 28 सितंबर 2024

टमाटर, मिर्च लगाकर ग्राम झोडि़याबाड़म की दीदियां बदल रही है अपनी जिंदगी की तस्वीरकृषि प्रधान छत्तीसगढ़ में कृषि कार्य अब लाभकारी हो चुका है, राज्य सरकार ने विगत  वर्ष में कृषि क्षेत्र को प्राथमिकता देकर विभिन्न योजनाओं को संचालित किया है और इसका सीधा प्रभाव आज यथार्थ के धरातल पर परिलक्षित है। परंपरागत खेती में कई बदलावों के साथ अब राज्य के लोग आधुनिक एवं उन्नत तकनीक के साथ  व्यावसायिक तौर पर खेती कर रहे हैं। इसका सीधा लाभ कृषकों को हो रहा है। मुख्यतः धान की खेती के लिए प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ राज्य अब शाक सब्जियों की खेती का भी गढ़ बन रहा है। राज्य में सब्जी की खेती का फैलाव अब मैदानी इलाकों से निकलकर पहाड़ों तक हो चला है। खास तौर पर शाक सब्जियों की खेती के साथ वनांचलों के ग्रामीण भी जुड़ रहे हैं। शाक सब्जियों की खेती वर्तमान में बेहद मुनाफे की खेती में परिवर्तित हो गई है। यही नहीं शाक सब्जियों की खेती में स्व सहायता समूहों की महिलाओं को जोड़े जाने के पहल ने भी कृषि क्षेत्र में भी कई बदलाव लाए है। अगर इसे फायदे के दृष्टिकोण से देखा जाएं तो महिलाओं के बड़े समूहों को घर बैठे रोजगार मिलने के साथ-साथ आर्थिक आमदनी में वृद्धि हुई है इसके अलावा गैर परम्परागत कृषि को प्रोत्साहन मिला। इस क्रम में जिले के ग्राम पंचायत- झोडि़याबाड़म (कलार पारा) जय मां दंतेश्वरी स्व सहायता समूह (बिहान) की दीदी श्रीमती पीला बाई सेठिया, एवं श्रीमती मालेश्वरी सेठिया ने भी समूह से जुड़कर अपने कृषि कार्य को एक नयी दिशा दी है। ये दीदियां भी अन्य ग्रामीण महिलाओं की तरह पारंपरिक खेती पर निर्भर थी। स्पष्ट है कि इससे उनकी आय भी सीमित रहती थी। फिर उन्होंने बिहान योजना से जुड़ कर बैंक लिंकेज करवाकर ने अपनी आय बढ़ाने और खेती में कुछ नया करने का निर्णय लिया।

सर्वप्रथम उन्होंने उन्नत किस्म के टमाटर, मिर्ची को अपनाया जो अधिक उत्पादक और कीटों के प्रति प्रतिरोधी थीं। फिर ड्रिप इरिगेशन तकनीक माध्यम से उन्होंने पानी की बचत और पौधों को सही मात्रा में पानी देने की विधि अपनाई इससे ने केवल उत्पादन में वृद्धि हुई साथ ही साथ पानी का सही उपयोग भी हुआ। इसके अलावा श्रीमती पीलाबाई एवं श्रीमती मालेश्वरी सेठिया ने ऑर्गेनिक खेती की तरफ भी ध्यान दिया और उन्होंने रासायनिक उर्वरकों की जगह जैविक खाद का उपयोग शुरू किया, जिससे उनकी फसल की गुणवत्ता बेहतर हुई और बाजार में उनके उगाए टमाटर की मांग बढ़ी।

इसके साथ ही उन्होंने ’’मल्चिंग तकनीक’’ (प्लास्टिक कवर का उपयोग) विधि अपना कर टमाटर, मिर्च की क्यारियों में मिट्टी की नमी को बनाया रखकर खरपतवार नियंत्रित भी किया। इससे भूमि की उर्वरता बनाए रखने में मदद मिली और उनकी टमाटर, मिर्च की फसल को अतिरिक्त लाभ हुआ। इन महिलाओं के कृषि पहल से प्रेरित होकर समूह के अन्य दीदियां भी लघु स्तर पर शाक सब्जियों की खेती कर रही है। बहरहाल इन दीदियों ने शाक सब्जियों के खेती में अपने लिए अतिरिक्त आय का जरिया को तलाश कर  एक प्रगतिशील महिला कृषक का दर्जा हासिल कर लिया है।

Latest Posts

spot_imgspot_img

Don't Miss

Stay in touch

To be updated with all the latest news, offers and special announcements.