भारत के ग्रामीण परिदृश्य में आज भी लाखों किसान ऐसे हैं जिनके पास बमुश्किल एक एकड़ ज़मीन है। ये वे लोग हैं जो मौसम की मार, कर्ज़ के बोझ और बाज़ार की अनिश्चितताओं के बीच अपने खेत और परिवार दोनों को संभालने की जद्दोजहद में लगे रहते हैं। ऐसे ही एक किसान हैं — श्री मानसिंह आनंद, छत्तीसगढ़ के बेमेतरा ज़िले के मंजगांव निवासी। उनकी कहानी, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN) योजना की प्रभावशीलता की जीवंत मिसाल बन गई है।
जब ₹2,000 की किस्त बनी उम्मीद की शुरुआत
सिर्फ 0.71 हेक्टेयर ज़मीन वाले मानसिंह आनंद ने जून 2019 में योजना के तहत रजिस्ट्रेशन कराया। शुरुआती देरी के बावजूद अब तक उन्हें 19 किस्तें नियमित रूप से मिल चुकी हैं। इन सीधे बैंक खाते में पहुंचने वाली राशियों ने मानसिंह जैसे किसानों को बार-बार कर्ज़ के दरवाज़े खटखटाने से रोका है। वे कहते हैं, “यह योजना हमारे जैसे छोटे किसानों के लिए छांव जैसी है—धूप भरी जिंदगी में थोड़ी राहत, थोड़ी हिम्मत।”
इन पैसों से वे बीज, खाद, दवा खरीदने में सक्षम हुए। लेकिन इससे भी बढ़कर, उन्होंने अपने बच्चों की पढ़ाई को नियमित किया — क्योंकि अब किताब और स्कूल ड्रेस की चिंता कम हो गई है।
यह सिर्फ मदद नहीं, भरोसे का ढांचा है
PM-KISAN की सबसे बड़ी विशेषता इसकी पारदर्शिता और नियमितता है। किसान अब जानते हैं कि हर कुछ महीने में उन्हें ₹2,000 मिलेंगे — बिना दलाल, बिना रिश्वत। यह भरोसा ही वह बीज है जिससे आत्मनिर्भरता की फसल उग रही है। योजना सरकार और किसान के बीच एक नए सामाजिक अनुबंध की तरह है, जिसमें सम्मान और सहभागिता दोनों हैं।
बदलती सोच, बदलती भूमिका
इस योजना ने किसानों को सिर्फ आर्थिक राहत नहीं दी, बल्कि उन्हें यह भी सिखाया कि वे अब सिर्फ “लाभार्थी” नहीं, बल्कि नीतियों के सहभागी और निर्णायक हैं। जब एक छोटा किसान अपने खर्च की प्राथमिकताएं खुद तय करता है, तो वह अपने जीवन की बागडोर अपने हाथ में ले रहा होता है।
क्या आगे की राह और मज़बूत होगी?
PM-KISAN की सफलता यह बताती है कि अगर योजना की पहुँच सरल, समयबद्ध और पारदर्शी हो, तो वह ग्रामीण अर्थव्यवस्था की नींव को बदल सकती है। लेकिन यह तभी और प्रभावी होगी जब इसे कृषि बीमा, सिंचाई योजनाओं, और बाज़ार संपर्क जैसी सेवाओं से जोड़ा जाए।
निष्कर्ष: एक छोटी राशि, बड़ी क्रांति
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना भारत के करोड़ों छोटे किसानों के लिए नम्र किंतु निर्णायक हस्तक्षेप है। यह योजना यह सिद्ध करती है कि जब सरकार निचले स्तर के किसान को सम्मान देती है — तो वह किसान भी अपने खेत और परिवार के लिए नई उम्मीद बोता है।
श्री मानसिंह आनंद की तरह हर किसान, जो अब तक केवल “आंकड़ों” का हिस्सा था, अब इस देश के विकास-गाथा का सक्रिय नायक बन रहा है।