बशर अल-असद के पतन के बाद पश्चिम एशिया में उथल-पुथल
सीरिया में बशर अल-असद का शासन नाटकीय रूप से समाप्त हो गया है, जिससे क्षेत्र में अस्थिरता पैदा हो गई है और देश के भविष्य को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। अबू मोहम्मद अल-गोलानी और उनकी हयात तहरीर अल-शाम (HTS) गुट द्वारा नेतृत्व किए गए विद्रोही बलों की तेजी से हुई प्रगति ने असद परिवार के छह दशकों के अधिनायकवादी शासन को समाप्त कर दिया। सीरिया की सड़कों पर जश्न का माहौल है, लेकिन विभाजित राष्ट्र के पुनर्निर्माण की चुनौतियां अभी भी सामने हैं।
असद शासन का अंत
बशर अल-असद, जिन्होंने सीरिया पर सख्ती से शासन किया, अब रूस में शरण ले चुके हैं, जहां उन्हें और उनके परिवार को शरण दी गई है। अल्पसंख्यक अलावी शिया समुदाय से संबंधित असद परिवार ने वर्षों तक सुन्नी-बहुल देश में ईरान और रूस के समर्थन से अपनी पकड़ बनाए रखी। खासकर अरब स्प्रिंग के दौरान, असद का कार्यकाल हिंसक दमन से चिह्नित था, जिसने एक क्रूर गृह युद्ध का रूप ले लिया। इस संघर्ष में 5 लाख से अधिक लोगों की जान गई, लाखों लोग विस्थापित हुए, और सीरिया खंडहर में बदल गया।
अबू मोहम्मद अल-गोलानी, जिनका कभी अल-कायदा से संबंध था, अब विद्रोही आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं, और उन्होंने जिहाद के बजाय राष्ट्रीय स्वतंत्रता पर जोर दिया है। तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन द्वारा समर्थित उनके उदय ने बदलाव की उम्मीदें जगाई हैं, लेकिन क्षेत्र में संभावित अस्थिरता को लेकर चिंताएं भी बढ़ा दी हैं।
क्षेत्रीय शक्ति संतुलन में बदलाव
असद के पतन ने मध्य पूर्व में लंबे समय से स्थापित शक्ति ढांचे को बदल दिया है:
- ईरान का प्रभाव कमजोर हुआ: असद का समर्थन करने वाला ईरान अब कई मोर्चों पर चुनौतियों का सामना कर रहा है, जिनमें इजरायल के साथ बढ़ते तनाव शामिल हैं। असद के बिना, ईरान ने एक महत्वपूर्ण सहयोगी और लेबनान में हिज़्बुल्लाह को हथियार आपूर्ति के लिए एक प्रमुख मार्ग खो दिया है।
- रूस की सीमित क्षमता: यूक्रेन युद्ध पर ध्यान केंद्रित करने के कारण रूस की सीरिया में प्रभाव डालने की क्षमता कम हो गई है, जिससे अन्य शक्तियों को इस शून्य को भरने का मौका मिल सकता है।
- अमेरिका और इजरायल की भूमिका: अमेरिका पहले ही सीरिया में ISIS के अवशेषों को लक्षित करने के लिए अपने अभियान तेज कर चुका है, जबकि इजरायल क्षेत्रीय सुरक्षाI
सीरिया के सामने चुनौतियां
असद शासन के अंत ने एक नए आरंभ का द्वार खोल दिया है, लेकिन स्थिरता की राह में कई बाधाएं हैं। नए नेतृत्व के सामने प्राथमिकताएं होंगी:
- बुनियादी ढांचे का पुनर्निर्माण: संघर्ष के वर्षों ने अस्पतालों, स्कूलों और आवास समेत देश के बुनियादी ढांचे को नष्ट कर दिया है। इनका पुनर्निर्माण आवश्यक होगा।
- सामाजिक सामंजस्य: सांप्रदायिक तनावों को दूर करना और समावेशिता सुनिश्चित करना भविष्य में संघर्षों को रोकने के लिए महत्वपूर्ण होगा।
- आर्थिक पुनरुद्धार: सीरिया की बर्बाद अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करना और विस्थापित नागरिकों के लिए आजीविका के साधन बनाना लंबे समय तक स्थिरता के लिए आवश्यक होगा।
वैश्विक हितधारकों की भूमिका
अंतरराष्ट्रीय समुदाय सीरिया के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। अमेरिका और इजरायल, जिनके क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता में निहित स्वार्थ हैं, देश की दिशा को प्रभावित कर सकते हैं। इसी बीच, भारत, जिसने सीरिया के साथ ऐतिहासिक रूप से दोस्ताना संबंध बनाए रखा है, सीरियाई नेतृत्व वाली शांति प्रक्रिया की वकालत कर रहा है और स्थिति पर करीब से नजर रख रहा है।
बेहतर भविष्य की उम्मीद
असद के पतन ने दशकों के दमन का अंत कर दिया है, लेकिन सीरिया का भविष्य अब भी अनिश्चित है। जिन लोगों ने अपार पीड़ा सहन की है, वे शांति और समृद्धि का जीवन जीने के हकदार हैं। सीरिया के नए नेतृत्व की सफलता इस पर निर्भर करेगी कि वह देश की तत्काल आवश्यकताओं को कैसे पूरा करता है और आगे के विभाजनों से बचने में कितना सक्षम है।
दुनिया की नजरें अब सीरिया पर टिकी हैं। सीरिया का पुनर्निर्माण उसकी कहानी को फिर से लिखने और उसके लोगों के लिए आशा बहाल करने का एक अवसर प्रदान करता है। आने वाले वर्ष यह तय करेंगे कि इस अवसर का लाभ उठाया गया या यह व्यर्थ चला गया।