Sunday, August 24, 2025

Latest Posts

राजस्थान विश्वविद्यालय का 33 वां दीक्षांत समारोह आयोजित – राज्यपाल श्री मिश्र ने राजस्थान विश्वविद्यालय में संविधान पार्क का किया लोकार्पण –

कहा , कृत्रिम बुद्धिमत्ता के समक्ष मानवीय मूल्य बचाए रखने की चुनौती स्वीकार करते कार्य हों – जल संकट बड़ी चुनौती, जलसंरक्षण के प्रति जागरूकता के लिए शैक्षिक क्षेत्र में हो पहल

जयपुर,19 जून। राज्यपाल एवं कुलाधिपति श्री कलराज मिश्र ने कहा है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता के समक्ष मानवीय मूल्य बचाए रखने की आज बड़ी चुनौती है। अंधाधुंध जल-दोहन से राजस्थान ही नहीं देशभर में जल संकट की स्थितियां बन रही हैं। विश्वविद्यालय इन चुनौतियों के आलोक में शैक्षिक पहल करते हुए कार्य करे। उन्होंने कहा कि वही शिक्षा सार्थक है जो विद्यार्थी को पाठ्यपुस्तकों के साथ परिवेश की समझ से जोड़े। उन्होंने कहा कि रटन्त शिक्षा डिग्री प्रदान कर सकती है पर जीवन में आगे नहीं बढ़ा सकती।
श्री मिश्र बुधवार को राजस्थान विश्वविद्यालयके 33वें दीक्षांत समारोह और वहां निर्मित संविधान पार्क के लोकार्पण पश्चात आयोजित कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने सभी विश्वविद्यालयों को नई शिक्षा नीति को पूरी तरह से अपने यहां लागू करने और ऐसे पाठ्यक्रम बनाने पर जोर दिया जिनसे भारत विकास की राह पर तेजी से अग्रसर हो सके। उन्होंने कहा कि संविधान से जुड़ी सोच देश के उज्ज्वल भविष्य के लिए आवश्यक उपकरण है। उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाली नई पीढ़ी संविधान के मर्म को समझे, इसी उद्देश्य से राजभवन की पहल पर विश्वविद्यालयों में संविधान पार्क निर्मित करने की पहल हुई है।उन्होंने संविधान की मूल प्रति पर उकेरे चित्रों की चर्चा करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति के उदात्त मूल्यों को इनसे समझा सकता है। उन्होंने कहा कि डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने शांति निकेतन के प्रसिद्ध कलाकार नंदलाल बोस को बुलाकर संविधान की मूल प्रति पर रेखांकन करवाए। इसमें राजस्थान के कलाकार स्व. कृपाल सिंह शेखावत की भी महती भूमिका रही है।
राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालय शोध और अनुसंधान में मौलिकता की संस्कृति के लिए कार्य करे। ऐसे शोध और अनुसंधान हों, जिनका वृहद स्तर पर समाज और राष्ट्र को लाभ मिले। उन्होंने विश्वविद्यालय के शिक्षक वैज्ञानिक डॉ.दिनेश कुमार को स्विट्ज़रलैंड स्थित यूरोपीय संघ की न्यूक्लिअर रिसर्च की विजिटिंग फेलोशिप के लिए सराहना की तथा पैरा ओलम्पिक में स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाली विश्वविद्यालय की छात्रा अवनी लखेरा की सराहना की।
राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालय युवाओं को समय और अधुनातन आवश्यकताओं के अनुरूप तैयार करें ताकि वे देश के मूल्यवान नागरिक बन सके। उन्होंने पाठ्यक्रमों में नवाचारों के रूप में शिक्षा के साथ कौशल संवर्धन को शामिल किए जाने पर भी जोर दिया और कहा कि किताबी ज्ञान के साथ-साथ अपने परिवेश और आसन्न स्थितियों को समझना पड़ेगा और नए ज्ञान को सीखने के लिए हमेशा तत्पर रहना होगा।
श्री मिश्र ने विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में इसकी स्थापना से जुड़े श्री सी.राजगोपालाचारी और उनके शिक्षादर्शन का भी स्मरण किया। उन्होंने कहा कि दीक्षांत विद्यार्थी के लिए नव जीवन का आरंभ है। कार्यक्रम के आरंभ में उन्होंने सभी को संविधान की उद्देशिका और मूल कर्तव्यों का वाचन करवाया।
उप-मुख्यमंत्री व उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा ने कहा कि शिक्षा जीवन को संस्कारित करती है। उन्होंने राज्य सरकार द्वारा उच्च शिक्षा के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी देते हुए कहा कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।
विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. अल्पना कटेजा ने विश्वविद्यालय का प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। इस अवसर पर राज्यपाल एवं कुलाधिपति श्री मिश्र ने विश्वविद्यालय में अध्ययन करने वाले एक लाख 66 हज़ार 139 विद्यार्थियों को उपाधियां प्रदान की। विभिन्न संकायों के 467 विद्यार्थियों को पी. एच. डी. की उपाधि व विभिन्न परीक्षाओं में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाले 126 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक प्रदान किए। उन्होंने 102 स्वर्णपदक छात्राओं को और 24 स्वर्ण पदक छात्रों को प्रदान किए। छात्राओं के इस प्रदर्शन की उन्होंने सराहना की और कहा कि अवसर मिलते हैं तो बालिकाएं तेजी से विकास की ओर आगे बढ़ती है। महिला शिक्षा से ही राष्ट्र और समाज का तेजी से विकास होता है। इससे पहले उन्होंने विश्वविद्यालय में निर्मित संविधान उद्यान का लोकार्पण किया और कहा कि उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले युवाओं को संविधान संस्कृति से जोड़ने की दिशा में यह महती सौगात है।
——
राजेश व्यास/सपना

Latest Posts

spot_imgspot_img

Don't Miss

Stay in touch

To be updated with all the latest news, offers and special announcements.