पीलीभीत जिले में जिलाधिकारी संजय सिंह की अध्यक्षता में एफपीओ को विभिन्न योजनाओं और लाइसेंसों से संतृप्तीकरण अभियान चलाए जाने के सम्बन्ध में बैठक गांधी सभागार में हुई। उप कृषि निदेशक ने बताया कि आत्मनिर्भर कृषक समन्वित विकास योजना के अन्तर्गत गठित एफपीओ और स्वनिर्मित एफपीओ को इनपुट लाइसेंस (खाद्, बीज एवं कीटनाशी), जीएसटी लाइसेंस, मण्डी लाइसेंस, एफएसएसआई लाइसेंस, मार्केट लिंकेज के लिए ऑनलाइन मार्केटिंग प्लैटफाॅर्म जैसे ओएनडीसी, ई-नाम से जोड़ने के लिए संतृप्तीकरण अभियान चलाया जा रहा है।
उप कृषि निदेशक, पीलीभीत ने बताया कि जनपद में कुल 52 एफपीओ गठित है, जिनको उक्त लाइसेंस जारी किये जाने हैं। बैठक में समस्त एफपीओ संचालकों को बताया गया कि कृषि विभाग से उर्वरक, बीज एवं कीटनाशक लाइसेंस जारी किये जाते हैं। इनका आवेदन शुल्क क्रमशः 1251 रुपया, 1000 एवं 1500 रुपये ग्रामीण क्षेत्र, एवं शहरी क्षेत्र के लिए 7500 रुपया निर्धारित है। एफपीओ अपना आवेदन आनलॉइन कर सकते हैं। एक माह के अन्दर उनके लाइसेंस निर्गत कर दिये जायेंगे। उप कृषि निदेशक द्वारा बताया गया कि नेशनल सीड सर्टीफिकेशन से बीज विक्रय डीलरशीप के लिए फॉर्म ओ प्राप्त कर नैशनल सीड काॅर्पोरेशन से बीज डीलरशीप का लाइसेंस जारी किया जाएगा।
बैठक में उपस्थित मण्डी सचिव, द्वारा बताया गया कि मंडी लाइसेंस के लिए आवेदन ऑनलाइन व्यवस्था के तहत किया जाएगा। इसको एक माह के अंदर निर्गत कर दिया जायेगा। जीएसटी लाइसेंस के सम्बन्ध में उपायुक्त, व्यापार कर के द्वारा अवगत कराया गया कि जीएसटी लाइसेंस के लिए कोई शुल्क नहीं है। इसको किसी भी जनसेवा केन्द्र से ऑनलाइन कर प्राप्त किया जा सकता है। खाद्य पदार्थों की बिक्री के लिए एफएसएसएओई का लाइसेंस ऑनलाइन व्यवस्था के तहत एक माह के अन्दर निर्गत कर दिया जायेगा।
जिलाधिकारी ने समस्त एफपीओ संचालकों को निर्देशित किया गया कि निर्धारित प्रक्रिया के तहत समस्त एफपीओ उक्त लाइसेंस प्राप्त करने के लिए तत्काल आवेदन करेंगे। उनके द्वारा यह भी निर्देशित किया गया कि समस्त एफपीओ अपनी ग्रेडिंग एफपीओ शक्ति पोर्टल पर तत्काल करा लें और प्रत्येक एफपीओ न्यूनतम 300 सदस्य अपने एफपीओ में सम्मिलित करना सुनिश्चित करें। जिला विकास प्रबन्धक नाबार्ड के द्वारा एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर फण्ड के बारें में समस्त एफपीओ को अवगत कराया गया कि भारत सरकार द्वारा संचालित एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड के माध्यम से भंडारण एवं प्राथमिक प्रसंस्करण के लिए कार्य योजना तैयार कर भारत सरकार से ब्याज में 3 प्रतिशत एवं राज्य सरकार से ब्याज में 3 प्रतिशत अनुदान प्राप्त किया जा सकता है।