कपास की राजधानी बनने की ओर मध्यप्रदेश
धार जिले की धरती पर स्थापित हो रहा पहला पीएम मित्रा पार्क केवल एक औद्योगिक परियोजना नहीं है, बल्कि यह मध्यप्रदेश के आर्थिक भविष्य का नया अध्याय है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी विजन और मुख्यमंत्री मोहन यादव की प्रतिबद्धता ने मिलकर इस सपने को हकीकत का रूप दिया है। कपास के खेतों से लेकर फैशन उद्योग तक का यह सीधा सफर मध्यप्रदेश को देश की कॉटन कैपिटल बनाने की ओर अग्रसर है।
लंबे समय से मध्यप्रदेश देश में जैविक कपास उत्पादन में अग्रणी रहा है। कुल उत्पादन का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा अकेले प्रदेश की मिट्टी से आता है। इंदौर, धार, खरगोन, बड़वानी, खंडवा, बुरहानपुर और आदिवासी अंचल झाबुआ-आलीराजपुर के किसान कपास की मेहनत से न केवल प्रदेश बल्कि पूरे देश को गौरवान्वित करते रहे हैं। लेकिन अब तक किसानों का पसीना केवल मंडियों और बिचौलियों तक ही सीमित रहा। मित्रा पार्क इस चक्र को तोड़ेगा और किसानों की मेहनत सीधे कपड़े और परिधान बनकर वैश्विक बाजारों तक पहुँचेगी।
औद्योगिक कृषि का नया मॉडल
2,158 एकड़ में फैले इस पार्क में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, इफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट, सोलर यूनिट्स, प्लग एंड प्ले इंडस्ट्रियल कॉम्प्लेक्स और श्रमिकों के लिए आवास जैसी सुविधाएँ इसे सिर्फ एक औद्योगिक एस्टेट नहीं बल्कि आत्मनिर्भर वस्त्र पारिस्थितिकी तंत्र बना रही हैं। लगभग 27,000 करोड़ रुपये के निवेश का वादा बताता है कि भारत का वस्त्र मानचित्र अब मालवा की ओर निर्णायक रूप से झुक रहा है। मुख्यमंत्री यादव ने सही कहा है, “किसानों की आमदनी अब दोगुनी कीमत पाएगी।”
चुनौतियों का ईमानदार स्वीकार
मुख्यमंत्री यादव के नेतृत्व में सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह परियोजना केवल निवेश आकर्षित करने तक सीमित नहीं होगी, बल्कि यहाँ कुशल श्रमिकों की तैयारी, पर्यावरणीय मानदंडों का पालन और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर टिकाऊ उत्पादन की कसौटी पूरी करना भी प्राथमिकता होगी। कपास उत्पादन में हालिया गिरावट राज्य के लिए चेतावनी भी है और अवसर भी। सरकार वैज्ञानिक खेती, कीट प्रबंधन और जलवायु अनुकूल तकनीकों को बढ़ावा देकर इस कमी को पूरा करने का रोडमैप तैयार कर रही है।
पहचान से समृद्धि तक
यदि यह प्रयोग सफल होता है तो धार का मित्रा पार्क केवल कपास उद्योग का केंद्र नहीं, बल्कि खेत से लेकर फैशन तक के मॉडल का प्रतीक बनेगा। यहाँ किसान केवल आपूर्तिकर्ता नहीं, बल्कि मूल्य सृजन की प्रक्रिया के भागीदार होंगे।
निष्कर्ष
मध्यप्रदेश आज अपने किसान और उद्योग दोनों को जोड़कर खेत और कारखाने की दूरी मिटाने की ओर बढ़ रहा है। यह न केवल राज्य की अर्थव्यवस्था को नई ऊँचाइयों पर ले जाएगा, बल्कि यह पूरे भारत के लिए एक आदर्श स्थापित करेगा। अगर धार का सपना साकार हुआ, तो मध्यप्रदेश का कपास केवल शरीर नहीं, बल्कि भारत की समृद्धि और आत्मनिर्भरता की पहचान भी पहनाएगा।




