मध्यप्रदेश में कलेक्टर और पुलिस की निर्णायक भूमिका
मध्यप्रदेश में सुशासन और जनसुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने एक बार फिर यह स्पष्ट किया है कि कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक (एसपी) जिले की प्रशासनिक एवं कानून-व्यवस्था की रीढ़ हैं। भोपाल में आयोजित कलेक्टर-कमिश्नर सम्मेलन 2025 के समापन सत्र में मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी घटना या दुर्घटना की सूचना मिलते ही अधिकारी स्वयं मौके पर पहुँचें और तुरंत नियंत्रण स्थापित करें। समय पर हस्तक्षेप ही संकट की गंभीरता को रोक सकता है।
त्वरित प्रतिक्रिया और बेहतर समन्वय
मुख्यमंत्री ने जिलों में मजबूत सूचना तंत्र विकसित करने पर बल दिया ताकि किसी भी स्थिति में त्वरित अलर्ट और फील्ड एक्शन सुनिश्चित हो सके। उन्होंने निर्देश दिए कि कलेक्टर और एसपी के बीच निरंतर संवाद बना रहे तथा संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान कर ऐसे इलाकों में ज़ोनल एक्शन प्लान तैयार किया जाए, जहाँ संकरी सड़कों या अवरोधों के कारण सुरक्षा बलों की आवाजाही बाधित होती है।
नक्सल मुक्त मध्यप्रदेश की दिशा में
डॉ. यादव ने वर्ष मार्च 2026 तक मध्यप्रदेश को पूर्णत: नक्सल-मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा है। बालाघाट, मंडला और डिंडोरी जैसे प्रभावित जिलों के अधिकारियों को विशेष रणनीति के साथ अभियान तेज करने के निर्देश दिए गए। उन्होंने बालाघाट जिले की सराहना की, जहाँ हाल के वर्षों में नक्सली गतिविधियों में उल्लेखनीय कमी आई है। मुख्यमंत्री ने बताया कि 200 से अधिक युवाओं को रोजगार देकर उन्हें मुख्यधारा से जोड़ा गया है। इस वर्ष हुई 8 मुठभेड़ों में 10 नक्सलियों के निष्प्रभावी होने को उन्होंने राज्य पुलिस की बड़ी उपलब्धि बताया।
अवैध प्रवास और नशे के खिलाफ सख्ती
मुख्यमंत्री ने अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों की पहचान और निर्वासन की प्रक्रिया को तेज करने का निर्देश दिया, जिनमें अब तक 19 व्यक्तियों को वापस भेजा जा चुका है। साथ ही, औद्योगिक इलाकों में नशीले पदार्थों की तस्करी और दुरुपयोग पर रोक लगाने के लिए विशेष सतर्कता बरतने को कहा। उन्होंने खासतौर पर ‘कोरेक्स’ कफ सिरप और शेड्यूल-एच ड्रग्स की बिक्री पर सख्त निगरानी और फार्मासिस्टों द्वारा संपूर्ण रिकॉर्ड रखने के निर्देश दिए।
जनसुरक्षा और संवेदनशील पुलिसिंग
मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस की भूमिका केवल अपराध नियंत्रण तक सीमित नहीं है, बल्कि जनविश्वास निर्माण भी उतना ही आवश्यक है। इसके लिए उन्होंने स्कूलों और कॉलेजों में सीसीटीवी निगरानी प्रणाली, महिला सुरक्षा के लिए सामाजिक संगठनों के साथ सहयोग, और लंबित आपराधिक मामलों की समीक्षा जैसे उपाय सुझाए।
उन्होंने सरकारी कर्मचारियों पर हमले की घटनाओं को रोकने के लिए विभागीय समन्वय और त्वरित कार्रवाई की जरूरत पर भी बल दिया।
सड़क सुरक्षा और कृषि सहायता
मुख्यमंत्री ने सड़क सुरक्षा नियमों के सख्त पालन और जनजागरूकता अभियानों को बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस और प्रशासनिक सहयोग से किसानों को बीज और उर्वरक वितरण में कोई बाधा न हो, यह सुनिश्चित किया जाए।
उत्तरदायित्व और उत्कृष्टता की संस्कृति
सम्मेलन में मुख्य सचिव अनुराग जैन और डीजीपी कैलाश मकवाना सहित शीर्ष अधिकारियों ने भाग लिया। इस दौरान जीआईएस मैपिंग, ई-एचआरएमएस सिस्टम और सिंहस्थ 2028 की तैयारियों पर विशेष चर्चा हुई। सिंहस्थ के दौरान साइबर सुरक्षा के लिए ‘सिंहस्थ साइबर वॉरियर स्कीम’ के तहत युवाओं को प्रशिक्षण देने की योजना प्रस्तुत की गई।
विकास और सुरक्षा की साझा जिम्मेदारी
सम्मेलन के समापन पर मुख्यमंत्री ने कहा कि कलेक्टर और एसपी सरकार का चेहरा हैं। जनता के बीच सरकार की छवि उन्हीं के कार्य से बनती है। उन्होंने सभी अधिकारियों से अपेक्षा की कि वे निरंतर समीक्षा करें, समर्पण के साथ काम करें और जनता के जीवन में ठोस सुधार लाएँ।
डॉ. यादव का संदेश स्पष्ट था प्रशासनिक प्रतिबद्धता और समन्वित प्रयास ही मध्यप्रदेश को सुरक्षा, विकास और सुशासन के नए शिखर तक पहुँचाएंगे।