Saturday, May 10, 2025

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मध्यप्रदेश में अब मिलेंगे केले के रेशों से बने सौख्यं सैनिटरी नैपकिन्स

इसके लिए सौख्यं संस्था प्रदेश के ग्रामीण आजीविका मिशन और बुरहानपुर जिला प्रशासन के साथ मिलकर काम कर रही है

आज भोपाल शहर में आयोजित एक बैठक में अंजू बिष्ट, पैड वुमन ऑफ़ इंडिया, ने बताया कि कैसे केरल के माता अमृतानंदमयी मठ का एक मुख्य प्रोजेक्ट अब मध्य प्रदेश में हज़ारों लड़कियों और महिलाओं को लाभान्वित कर रहा है |

मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले में इन पैड्स का निर्माण हो रहा है | बुरहानपुर जिले में जय्सिंघ्पुरा एवं खकनार में महिलाओं के समूह इनका निर्माण कर रहे हैं | यह जिले की वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट योजना के तहत न केवल बुरहानपुर में बल्कि आस पास के जिलों में एवं अन्य राज्यों में हज़ारों को किफायती एवं सुरक्षित सैनिटरी नैपकिन्स पंहुचा रहे हैं |

“हमारे शहरों में और जो ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं, बड़ी संख्या में वह औरतें रीयूसेबल पैड्स का इस्तेमाल करने लगी हैं | हमे ख़ुशी है की वही पैड हमने ग्रामीण इलाकों में उपलब्ध कराया है,” बुरहानपुर  डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर , भव्य मित्तल, आईएएस ने कहा |

इंदौर की सुजाता शर्मा पिछ्ले दो सालों से सौख्यं का इस्तेमाल कर रही हैं | उन्होंने अपने अनुभव विस्तार में बताये | सैनिटरी नैपकिन्स से उनको बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता था | उन्होंने मेंस्ट्रुअल कप का भी इस्तेमाल किया पर रहत उनको मिली जब सौख्यं पैड्स इस्तेमाल करना शुरू किया | अब माहवारी के समय न ही पेट में दर्द होता है और न पीठ में | पीरियड्स भी ठीक समय पर हर महीने आ जाते हैं | भला सौख्यं सैनिटरी पैड्स से ऐसा बदलाव कैसे संभव है ?

“केले के रेशों का है यह कमल, बहुत साड़ी लड़कियों का अनुभव है की उनके माहवारी का अनुभव बेहतर हो जाता है, रशेस और क्रैम्प्स से छुटकारा मिल जाता है,” अमृता हॉस्पिटल्स के श्री प्रवीण बिष्ट ने बताया | सौख्यं की टीम अमृता स्कूल ऑफ़ आयुर्वेदा के साथ मिलकर रिसर्च कर रही है जिस से यह पता चल सके की ऐसा क्यों होता है |

डॉ केदार सिंह आय ए एस, सी ई ओ मध्यप्रदेश ग्रामीण आजीविका मिशन ने भी टिपणी की। “लगभग एक साल पहले आजीविका सौख्यं एम् ओ यू पर हस्ताक्षर किया गया था, तब यह काम शुरू हुआ | आने वाले कल में लाखों बहनों और बेटियों को इस से लाभ होगा |”

भारत द्वारा पुन : प्रयोज्य  मासिक धर्म प्रोडक्ट के लिए आय एस ओ के मानकों (IS 17514:2021) को 2021 में अपनाया गया | सौख्यं को राष्ट्रीय और अंतर राष्ट्रीय स्तरों पर बहुत सारे ईनामों से नवाज़ा गया है | नीति आयोग द्वारा वीमेन ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया पुरस्कार (यानी भारत में औरतों में बदलाव लाने का पुरस्कार) और आयी आयी टी के ग्लोबल कॉन्फ्रेंस यानी विश्व गोष्ठी में इम्पेक्ट इन्नोवेशन चैलेंज पुरुस्कार।

सौख्यं पुन : प्रयोज्य पेड़ ३ वर्ष तक चलता है | जल्द ही यह दुकानों में भी उपलब्ध कराया जाएगा | इनमे शामिल हैं मध्य प्रदेश के ग्राम्य स्टोर्स एवं आजीविका मिशन के स्टोर्स | भारत में और पूरे विश्व में  ५ लाख से ऊपर महिलाओं और लड़कियों ने सौख्यं पैड्स को अपनाया है |  इस से लगभग ४३७५० टन गैर बायोडिग्रेडेबल मासिक धर्म से उत्पन्न अवशेष भी ख़त्म किया गया है।

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