Saturday, June 28, 2025

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कोयला क्षेत्र में स्वदेशी विनिर्माण और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा कई उपाय किए जा रहे हैं

कोयला मंत्रालय (एमओसी) सरकार के आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप, कोयला खनन क्षेत्र में मेक इन इंडिया एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। स्वदेशी विनिर्माण और आत्मनिर्भरता के महत्व को देखते हुए, कोयला मंत्रालय घरेलू उत्पादन और नवाचार को बढ़ावा देने वाली नीतियों और पहलों को लागू करने के लिए हितधारकों के साथ सक्रिय रूप से सहयोग कर रहा है।

कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) के सहयोग से, कोयला मंत्रालय ने स्वदेशी विनिर्माण को बढ़ावा देने और स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं का समर्थन करने के लिए कई उपाय किए हैं। घरेलू निर्माताओं को सीआईएल में परीक्षण आदेशों के माध्यम से अपनी क्षमताओं को प्रदर्शित करने और कोयला खनन क्षेत्र के विकास में योगदान करने के अवसर दिए जा रहे हैं। व्हील डोजर, क्रॉलर डोजर, मोटर ग्रेडर और टायर हैंडलर सहित विभिन्न उपकरणों के लिए परीक्षण निविदाएं जारी की गई हैं, जिनसे घरेलू निर्माताओं को भाग लेने और क्षेत्र के विकास में योगदान करने का अवसर मिला है।

इसके अलावा, कोयला मंत्रालय खरीद प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने और घरेलू निर्माताओं को प्रोत्साहित करने के लिए सीपीएसई के साथ मिलकर काम कर रहा है। इस प्रयास के एक हिस्से के रूप में, सुरक्षा जमा राशि, परिसमाप्त क्षति और जोखिम खरीद में छूट को परीक्षण आदेशों में शामिल किया गया है, जिससे नए स्रोतों के विकास के लिए अनुकूल वातावरण तैयार हुआ है।

इसके अतिरिक्त, सरकार ने सभी निविदाओं में उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) द्वारा जारी प्राथमिकता खरीद नीति – मेक इन इंडिया (पीपीपी-एमआईआई) दिशानिर्देशों को अनिवार्य कर दिया है। यह नीति श्रेणी-I स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं को प्राथमिकता देती है, घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहित करती है और कोयला खनन क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देती है।

वर्तमान में, कोल इंडिया लिमिटेड के बेड़े में 4,747 मशीन हैं, जिनमें 4,120 विभिन्न प्रकार और क्षमताओं की स्वदेशी हेवी अर्थ मूविंग मशीनरी (एचईएमएम) इकाइयां शामिल हैं। अनुमान है कि सीआईएल की आवश्यकता बढ़कर 20,155 इकाइयों की हो जायेगी, जिसमें स्वदेशी एचईएमएम की अस्थायी आवश्यकता 19,035 इकाइयों की होगी।

मंत्रालय ने मेक इन इंडिया पहल पर समितियों द्वारा दी गई निम्नलिखित सिफारिशों को शामिल करना अनिवार्य कर दिया है, जिन्हें कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) द्वारा कार्यान्वित किया गया है:

•          भविष्य के परीक्षण निविदाओं में उच्च क्षमता वाले उपकरणों के लिए न्यूनतम गारंटी उपलब्धता में छूट।

•          दुनिया भर में परिचालित किये जा रहे मॉडल के स्वदेशी निर्माण के लिए सिद्धता मानदंड में छूट।

•          शर्तों में छूट के साथ, यूजी खदानों में बिना सिद्धता के नव विकसित बड़े पैमाने पर उत्पादन के तकनीक (एमपीटी) वाले स्वदेशी उपकरण किराए पर लेने के लिए अलग से परीक्षण निविदाएं।

•          निर्माताओं को खुले (ओसी) खदानों में खान विकास सह संचालक  (एमडीओ) निविदाओं के राजस्व साझाकरण मॉडल में भाग लेने का विकल्प प्रदान किया गया है।

ये उपाय कोयला क्षेत्र में स्वदेशी विनिर्माण और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए सरकार के संकल्प को रेखांकित करते हैं। कोयला मंत्रालय, सीपीएसई और अन्य हितधारकों के बीच सहयोगात्मक प्रयासों के माध्यम से, सरकार का लक्ष्य सतत विकास को बढ़ावा देना, नवाचार को प्रोत्साहन देना और कोयला खनन क्षेत्र में रोजगार के अवसरों का सृजन करना है, जिनसे देश के आर्थिक विकास और आत्मनिर्भरता में योगदान मिलेगा।

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