छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले की टेमरी जैसी ग्राम्य स्कूलों की कक्षाओं में शिक्षा का एक नया सूरज उग रहा है। राज्य शासन की युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया यानि शिक्षकों की पुनर्नियोजन योजना के चलते अब यहां हर विषय के लिए विशेषज्ञ शिक्षक उपलब्ध हैं, जिससे ग्रामीण छात्रों के भविष्य को नई दिशा मिल रही है।
विषय विशेषज्ञों से बदल रही पढ़ाई की तस्वीर
याद कीजिए वो वक्त, जब विज्ञान जैसे कठिन विषय बच्चों के लिए पहाड़ चढ़ने जैसा लगता था। कक्षा 11वीं के छात्र सोमनाथ निषाद की बात बेहद साक्षात्कारपूर्ण है—”पहले जीवविज्ञान को समझाना सीनियर छात्रों या दूसरे विषय के शिक्षकों के भरोसे था। अब हमें विषय विशेषज्ञ शिक्षक मिले हैं तो विज्ञान भी आसान लग रहा है, पढ़ाई में खुद आत्मविश्वास बढ़ गया है।”
शिक्षकों के पुनर्नियोजन से आई क्रांतिकारी बदलाव
शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला टेमरी में अब श्रीमती दीप्ति मालवीय जैसे विषय-विशेषज्ञ शिक्षक पदस्थ हैं। उनकी मौजूदगी ने न केवल विद्यार्थियों की जिज्ञासा को बढ़ाया, बल्कि बच्चों की उपस्थिति भी बढ़ी। हर बच्चे को विज्ञान की जटिल बातों का गहन और सरल मार्गदर्शन अब कक्षा में ही मिल रहा है।
प्रशासनिक दूरदृष्टि ने खोले नए रास्ते
विद्यालय प्रबंधन और प्राचार्य का मानना है कि शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण से शिक्षा के स्तर में अभूतपूर्व सुधार आया है। अब कोई भी छात्र विषय समझने के लिए भटके नहीं, बल्कि कक्षा में ही उसकी हर समस्या का हल मिले, यही आज की शिक्षा नीति का असली मकसद दिख रहा है। यह पहल न केवल स्कूल को, बल्कि समूचे ग्रामीण क्षेत्र की शिक्षा व्यवस्था को मजबूती प्रदान कर रही है।
उज्ज्वल भविष्य की गारंटी
राज्य सरकार का यह प्रयास शिक्षा की गुणवत्ता को नई ऊँचाइयों तक ले जा रहा है। अब गाँव के बच्चे भी शहरों जैसी समृद्ध और वैज्ञानिक सोच के साथ आगे बढ़ रहे हैं। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय और राज्य प्रशासन को इस ऐतिहासिक पहल के लिए निस्संदेह धन्यवाद बनता है, जिसने ग्रामीण प्रतिभाओं को नए पंख दिए हैं।
“जब सही शिक्षक, सही वक्त पर, सही जगह मिल जाए—तो शिक्षा सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं रहती, जीवन बदल देती है।”
अब तस्वीर बदल रही है, गाँव का बच्चा भी सपनों को खुलकर उड़ान देने की तैयारी में है—और यह सब संभव हुआ है शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण जैसे दूरदर्शी कदम से।