Monday, November 24, 2025

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आपदा के बीच भरोसे की ढाल : मुख्यमंत्री धामी का चमोली दौरा

पर्वतीय राज्य उत्तराखंड का भौगोलिक स्वरूप जितना मनमोहक है, उतना ही आपदाओं के प्रति संवेदनशील भी। हाल ही में चमोली जनपद के नंदानगर क्षेत्र में आई आपदा ने एक बार फिर से यह याद दिला दिया कि पहाड़ की जिंदगी संघर्ष और असुरक्षा से भरी है। घर, खेत, पशु और आजीविका—सबकुछ एक पल में मलबे में बदल जाता है। ऐसे कठिन समय में सबसे ज्यादा ज़रूरत होती है भरोसे और सहारे की।

इसी भावना को मूर्त रूप दिया मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने, जब उन्होंने शनिवार को आपदा प्रभावित क्षेत्रों का स्थलीय और हवाई निरीक्षण किया। मुख्यमंत्री ने न केवल नुकसान का आकलन किया बल्कि प्रभावित परिवारों के दुःख में सहभागी बनकर संवेदनाओं का संदेश दिया। मृतकों के परिजनों को 55 लाख रुपये की सहायता राशि प्रदान कर उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार सिर्फ़ वादों तक सीमित नहीं है बल्कि राहत और पुनर्वास को ज़मीनी स्तर पर उतारने के लिए प्रतिबद्ध है।

तेज़ राहत और पुनर्वास की प्राथमिकता

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि राहत और रेस्टोरेशन कार्यों में किसी प्रकार की ढिलाई स्वीकार्य नहीं होगी। बिजली, पेयजल और सड़क संपर्क जैसी बुनियादी सुविधाओं की बहाली को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई। जिलाधिकारी चमोली द्वारा दी गई जानकारी बताती है कि अब तक 12 घायलों को हवाई मार्ग से बड़े अस्पतालों में रेफर किया गया है, जबकि प्रभावित परिवारों को खाद्यान्न, आश्रय और चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।

विकास और सुरक्षा के बीच संतुलन

यह आपदा सिर्फ एक प्राकृतिक त्रासदी नहीं बल्कि एक चेतावनी भी है। पहाड़ी इलाकों में सड़क, भवन और अन्य निर्माण कार्यों को आपदा-प्रबंधन दृष्टिकोण के साथ ही किया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री धामी का आपदा प्रभावित क्षेत्रों में तुरंत पहुँचना और राहत कार्यों की समीक्षा करना इस बात का संकेत है कि राज्य सरकार जनता के दुःख-दर्द को अपनी जिम्मेदारी मानती है।

सरकार और जनता की साझी लड़ाई

आपदा का सामना किसी एक संस्था के बूते संभव नहीं। सरकार, प्रशासन, स्थानीय जनप्रतिनिधि और आम नागरिकों को मिलकर पुनर्वास की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना होगा। मुख्यमंत्री ने जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की मौजूदगी में यह भरोसा दिलाया कि जनजीवन को जल्द सामान्य करना ही सरकार की पहली प्राथमिकता है।


👉 यह दौरा केवल निरीक्षण भर नहीं था, बल्कि प्रभावितों के दिलों में यह विश्वास जगाने का प्रयास था कि कठिन घड़ी में सरकार उनके साथ है। चमोली की आपदा एक गहरी चोट है, लेकिन संवेदनशील नेतृत्व और त्वरित राहत प्रयास इसे उम्मीद और पुनर्निर्माण के अवसर में बदल सकते हैं।

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