उत्तराखण्ड राज्य स्थापना के 25 वर्ष पूरे होने के अवसर पर प्रस्तावित आदि कैलाश परिक्रमा रन केवल एक खेल आयोजन नहीं है, बल्कि यह राज्य की नई सोच, नए आत्मविश्वास और सीमांत क्षेत्रों के विकास का प्रतीक है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा इसका प्रोमो रन फ्लैग ऑफ करना और लोगो का अनावरण करना इस बात का संकेत है कि उत्तराखण्ड आने वाले समय में खेल पर्यटन और साहसिक गतिविधियों को अपने विकास मॉडल का अभिन्न हिस्सा बनाने जा रहा है।
खेल और स्वास्थ्य का संगम
यह अल्ट्रा मैराथन समुद्र तल से 10,300 से 15,000 फीट की ऊँचाई पर आयोजित होगी, जो अपने आप में अद्वितीय है। इसमें 60 किमी, 42 किमी, 21 किमी, 10 किमी और 5 किमी जैसी विभिन्न श्रेणियाँ होंगी। यह आयोजन युवाओं को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने, नशामुक्त समाज बनाने और प्रतिस्पर्धी भावना को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाएगा। मुख्यमंत्री धामी का यह संदेश कि “नशामुक्त उत्तराखण्ड ही सशक्त उत्तराखण्ड है” इस मैराथन की आत्मा है।
पर्यटन और सीमांत विकास की दिशा में बड़ा कदम
गूंजी गांव से शुरू होकर व्यास घाटी में होने वाली यह मैराथन स्थानीय पहचान को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहुँचाएगी। सीमांत क्षेत्रों के लोग, जिनकी समस्याओं में पलायन सबसे बड़ी है, इस आयोजन से सीधे लाभान्वित होंगे। होमस्टे, पर्यटन इन्फ्रास्ट्रक्चर और स्थानीय उत्पादों के लिए यह अवसर स्थायी रोज़गार का मार्ग खोलेगा। प्रधानमंत्री मोदी की वाइब्रेंट विलेज योजना को यह पहल ज़मीन पर गति देने का काम करेगी।
सांस्कृतिक धरोहर का वैश्विक मंच पर प्रदर्शन
आदि कैलाश और व्यास घाटी सिर्फ प्राकृतिक रूप से ही समृद्ध नहीं हैं, बल्कि इनकी सांस्कृतिक और धार्मिक महत्ता भी अनुपम है। मैराथन के ज़रिए इन स्थलों को वैश्विक पहचान मिलने का मार्ग प्रशस्त होगा। यह आयोजन खेल प्रतियोगिता से बढ़कर सांस्कृतिक कूटनीति का भी काम करेगा।
भविष्य की राह
इस मैराथन की सफलता से न केवल राज्य में खेल पर्यटन को नई गति मिलेगी, बल्कि जून 2026 में प्रस्तावित माणानीति मैराथन जैसे आयोजनों की राह भी आसान होगी। ₹50 लाख की पुरस्कार राशि और राष्ट्रीय स्तर पर खिलाड़ियों की भागीदारी इसे और भी भव्य बनाएगी।
आदि कैलाश मैराथन उत्तराखण्ड के लिए केवल एक खेल आयोजन नहीं, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक पुनर्जागरण की पहल है। यह पर्वतीय राज्य जिस आत्मविश्वास के साथ भविष्य की ओर बढ़ रहा है, वही उसे न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया में विशिष्ट पहचान दिलाएगा।