मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा जी.एस.टी. की नई दरों और वोकल फॉर लोकल अभियान पर जनप्रतिनिधियों के साथ की गई समीक्षा बैठक यह स्पष्ट करती है कि उत्तराखंड अपने आर्थिक भविष्य को लेकर सजग और गंभीर है।
आर्थिक मजबूती का रास्ता
22 सितंबर से लागू होने जा रही जी.एस.टी. की नई दरें केवल कर-संरचना का सुधार नहीं हैं, बल्कि यह छोटे व्यवसायियों, कारीगरों और उपभोक्ताओं के लिए राहत का संदेश भी हैं। मुख्यमंत्री का यह कहना सार्थक है कि इससे व्यापार सुगमता बढ़ेगी और स्थानीय से वैश्विक बाजार तक पहुंच आसान होगी।
लोकल से ग्लोबल तक का सफर
उत्तराखंड की पहचान उसके स्थानीय उत्पादों में है। हाउस ऑफ हिमालयाज जैसे अंब्रेला ब्रांड और जी.आई. टैग प्राप्त 27 उत्पादों को नया कर ढांचा निश्चित ही प्रोत्साहन देगा। “एक जनपद दो उत्पाद” जैसी योजनाएं स्वरोज़गार और उद्यमिता को बढ़ावा देने के साथ पलायन की समस्या को भी कम करने में सहायक सिद्ध होंगी।
जागरूकता और जनभागीदारी का संकल्प
मुख्यमंत्री का यह आग्रह कि जनप्रतिनिधि ग्रामसभा और नगर निकाय स्तर पर बैठकों व सांस्कृतिक माध्यमों जैसे लोकगीत और नुक्कड़ नाटकों से जागरूकता बढ़ाएँ, इस अभियान को केवल सरकारी कार्यक्रम नहीं बल्कि जन आंदोलन बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल है।
आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदम
नई जी.एस.टी. दरें और स्वदेशी अभियान एक साथ मिलकर राज्य की अर्थव्यवस्था में पारदर्शिता, गति और स्थिरता लाने का सामर्थ्य रखते हैं। यह न केवल छोटे उद्यमियों को आत्मनिर्भर बनाएगा बल्कि उत्तराखंड को वैश्विक आर्थिक मानचित्र पर और मजबूती से स्थापित करेगा।
स्पष्ट है कि मुख्यमंत्री धामी का यह प्रयास केवल आर्थिक सुधार का विषय नहीं है, बल्कि आत्मनिर्भर उत्तराखंड की परिकल्पना को साकार करने की ठोस रणनीति है।