मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में उत्तराखंड में महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण आजीविका को लेकर चल रहे प्रयास अब ठोस परिणामों में बदल रहे हैं। ऋषिकेश में आयोजित ‘सरस आजीविका मेला’ में मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (सी.एल.एफ.) के तहत 1.20 करोड़ रुपये की 12 आर्थिक गतिविधियों का लोकार्पण और 10 अन्य सी.एल.एफ. के लिए 1 करोड़ रुपये की प्रस्तावित गतिविधियों का शिलान्यास किया। यह पहल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा देने की ओर एक सशक्त कदम है।
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने ‘राइजिंग टिहरी फिजिक्स वाला ऑनलाइन कोचिंग क्लास’ का भी शुभारंभ किया, जिसके माध्यम से अब पहाड़ के युवा अपने गांवों में रहकर ही जेईई और नीट जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर सकेंगे। यह शिक्षा और तकनीक के संयोजन से ग्रामीण युवाओं के सपनों को नई उड़ान देने का प्रयास है।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि ‘सरस मेला’ केवल एक प्रदर्शनी नहीं, बल्कि यह मंच ग्रामीण संस्कृति, कौशल और उद्यमिता को राष्ट्रीय पहचान दिलाने का माध्यम है। उन्होंने कहा कि ऐसे मेले ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘वोकल फॉर लोकल’ के मंत्र को साकार कर रहे हैं, जहाँ हर स्वदेशी उत्पाद न केवल एक वस्तु है बल्कि किसी ग्रामीण कारीगर या मातृशक्ति के सपनों की कहानी भी है।
उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि स्वदेशी अपनाएं और ग्रामीण उद्यमियों के उत्पादों को प्राथमिकता दें, क्योंकि स्वदेशी खरीदना दरअसल ग्रामीण भारत के भविष्य में निवेश करना है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि ‘लखपति दीदी योजना’ के तहत अब तक 1.65 लाख महिलाएं लखपति बन चुकी हैं, जबकि ‘मुख्यमंत्री सशक्त बहना उत्सव योजना’ से महिलाओं ने 5.5 करोड़ रुपये से अधिक का विपणन कर अपनी उद्यमशीलता का परिचय दिया है। वहीं, ‘हाउस ऑफ हिमालयाज’ ब्रांड के माध्यम से उत्तराखंड के स्वदेशी उत्पाद अब वैश्विक बाजारों तक पहुँच रहे हैं।
राज्य में 68 हजार स्वयं सहायता समूहों से 5 लाख से अधिक महिलाएं जुड़ी हुई हैं, जबकि 3 लाख से अधिक महिला किसान ‘महिला किसान सशक्तिकरण योजना’ और ‘फार्म लाइवलीहुड’ के तहत आत्मनिर्भर बन रही हैं। 2.5 लाख किचन गार्डन और 500 फार्म मशीनरी बैंक ग्रामीण महिलाओं की आर्थिक स्थिरता को नई दिशा दे रहे हैं।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि जब महिला सशक्त होती है, तो पूरा परिवार, समाज और राज्य सशक्त होता है। यही कारण है कि उत्तराखंड सरकार ने महिला उद्यमिता को अपनी विकास नीति के केंद्र में रखा है।