उत्तराखंड की पहाड़ियों में जब आसमान से बरसते बादल आपदा का रूप धारण करते हैं, तो राज्यवासियों की नज़रें केवल सरकार पर ही नहीं बल्कि अपनी आस्था पर भी टिक जाती हैं। ऐसी ही घड़ी में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का पौड़ी जनपद स्थित धारी देवी मंदिर पहुँचना सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान नहीं था, बल्कि यह पूरे प्रदेश के लिए एक भावनात्मक संदेश था।
मुख्यमंत्री ने मां धारी देवी के चरणों में नमन कर प्रदेशवासियों की सुरक्षा, सुख-समृद्धि और आपदा से राहत की प्रार्थना की। उन्होंने कहा कि “मां धारी देवी प्रदेश की आराध्य हैं और इस संकट की घड़ी में मैं उनके चरणों में पूरे उत्तराखंड की मंगलकामना लेकर आया हूँ।” यह वाक्य उन हजारों परिवारों के लिए सच्चा संबल है जो आपदा की मार झेल रहे हैं।
आस्था और प्रशासन का संगम
मुख्यमंत्री का यह दौरा केवल पूजा-अर्चना तक सीमित नहीं रहा। उन्होंने स्थानीय नागरिकों, व्यापारियों और तीर्थयात्रियों से संवाद किया, उनकी समस्याओं को सुना और भरोसा दिलाया कि सरकार हर जरूरतमंद तक सहायता पहुँचाएगी। श्रद्धालुओं ने भी सरकार के राहत प्रबंधन और चारधाम यात्रा की व्यवस्थाओं की सराहना की।
भविष्य की तैयारी पर जोर
मंदिर परिसर और अलकनंदा तट का निरीक्षण करते हुए मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि नदी के दोनों किनारों पर भूस्खलन और भूकटाव रोकने के लिए ठोस सुरक्षा दीवारें बनाई जाएं। यह निर्देश बताता है कि सरकार केवल तत्काल राहत तक सीमित नहीं है बल्कि भविष्य के लिए भी ठोस तैयारी कर रही है।
👉 आपदा की इस कठिन घड़ी में मुख्यमंत्री का यह संदेश साफ है कि “सरकार पीड़ितों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है।” आस्था और प्रशासन का यही संतुलन उत्तराखंड जैसे संवेदनशील राज्य के लिए सबसे बड़ी ताकत बन सकता है।




