विश्व भारत की नरम कूटनीति को स्थिर शक्ति के रूप में मानता है – उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति ने छात्रों से ‘सरकारी नौकरियों के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं के जुनून को त्यागने’का आह्वान किया
भ्रष्टाचार के काले बादल छंट गए हैं, सत्ता के गलियारे बिचौलियों से मुक्त हो गए हैं- उपराष्ट्रपति
नए भारत में अवसर अब योग्यता से तय होते हैं,संरक्षण से नहीं -उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति ने चेताया-“उन लोगों से सावधान रहें जिनके पास राष्ट्र-विरोधी कहानियों को बढ़ावा देने की अतृप्त भूख है”
उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने आज भारत को ‘आशा और अवसरों’की भूमि बताया और कहा कि हमारा ‘अमृत काल’विकसित भारत@2047 के लिए एक लॉन्चपैड है।
दिल्ली विश्वविद्यालय के शताब्दी वार्षिक दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुएश्री धनखड़ ने भारत के विशाल और अभूतपूर्व उत्थान की ओर ध्यान आकर्षित किया और इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत आज संभावनाओं से भरा हुआ है और वैश्विक व्यवस्था को परिभाषित कर रहा है।
अग्रणी राष्ट्र के रूप में अंतर्राष्ट्रीय मोर्चे पर भारत के प्रभावशाली उदय का उल्लेख करते हुएउपराष्ट्रपति ने कहा कि दुनिया अब भारत की नरम कूटनीति को एक स्थिर शक्ति और ग्लोबल साउथ की आवाज के रूप में जानती है।” उन्होंने इस संबंध में एक शानदार सफलता के रूप में जी20 में अफ्रीकी संघ को शामिल करने और भारत-मध्य पूर्व-यूरोप व्यापार मार्ग की घोषणा का हवाला दिया।
छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रति जुनून को त्यागने और सामान्य नौकरी के अवसरों से खुद को परे देखने के लिए प्रोत्साहित करते हुएश्री धनखड़ ने जोर देकर कहा, “भारत आपको न केवल कर्मचारियों के रूप में,बल्कि नवप्रवर्तकों,उद्यमियों और बदलाव करने वालों के रूप में देखना चाहता है।” उन्होंने स्नातक छात्रों से कहा कि भविष्य उनका है जो सामान्य से परे बड़े और साहसी सपने देखने की हिम्मत करते हैं।
देश में पारदर्शी शासन परितंत्र की प्रशंसा करते हुएश्री धनखड़ ने कहा कि भ्रष्टाचार के काले बादल, जो लंबे समय तक हमारे देश पर छाये रहे, अब गायब हो गए हैं। शासनबाधा बनने के बजाय लोगों को अब सक्षम बना रहा है- जो खुला और सुलभ है तथा आम लोगों की सेवा करता है,न कि कुछ विशेषाधिकार प्राप्त लोगों की।”
उपराष्ट्रपति ने आगे कहा कि अब अवसर योग्यता से तय होते हैं, संरक्षण से नहीं। उन्होंने जोर देकर कहा, “लोकतंत्र के लिए सर्वोत्कृष्ट कानून के समक्ष समानता अब केवल एक संवैधानिक आदर्श नहीं है, बल्कि यह एक स्वीकृत वास्तविकता है।”
उपराष्ट्रपति ने बताया कि विघटनकारी प्रौद्योगिकियों में निवेश और अनुसंधान के मामले में भारत सबसे आगे है। उन्होंने हरित हाइड्रोजन मिशन और राष्ट्रीय क्वांटम मिशन जैसी पहलों को युवाओं के लिए विकास के नए रास्ते बताया और उनसे बड़े पैमाने पर राष्ट्र और समाज के लाभ के लिएइन प्रौद्योगिकियों का भरपूर लाभ उठाने को कहा।
युवाओं को शासन में सबसे महत्वपूर्ण हितधारक बताते हुएउपराष्ट्रपति ने समझदार लोगों सेवैसे लोगों से दूर रहने का आह्वान किया जो हमारी राष्ट्रीय छवि को धूमिल करने में लगे हुए हैं।
उपराष्ट्रपति ने आगाह करते हुए कहा कि उन लोगों से सावधान रहें जिनके पास राष्ट्र-विरोधी कहानियों को बढ़ावा देने की अतृप्त भूख है। उन लोगों से सावधान रहें जो हमारे तेजी से बढ़ते आर्थिक और विकासात्मक उत्थान के प्रति खतरनाक रुख अपनाते हैं। उन लोगों से सावधान रहें जो राष्ट्र की सेवा करने की बात आने पर अराजकता फैलाते हैं।
इस अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह, एसडीसीके निदेशक प्रो. श्री प्रकाश सिंह, सीओएल की निदेशक प्रो. पायल मागो,रजिस्ट्रारडॉ. विकास गुप्ता, संकाय सदस्य, छात्र और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।
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