Wednesday, August 6, 2025

Latest Posts

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह गोवा स्थित नौसेना युद्ध कॉलेज में नए अत्याधुनिक प्रशासनिक-सह-प्रशिक्षण भवन का उद्घाटन करेंगे

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह 5 मार्च, 2024 को गोवा में नौसेना युद्ध कॉलेज के नए अत्याधुनिक प्रशासन-सह-प्रशिक्षण भवन का उद्घाटन करेंगे। चोल राजवंश के शक्तिशाली समुद्री साम्राज्य की याद में इस आधुनिक भवन का नाम ‘चोल’ रखा गया है।

नौसेना युद्ध कॉलेज का इतिहास

भारतीय नौसेना के मध्यम और वरिष्ठ स्तर के अधिकारियों को उन्नत पेशेवर सैन्य शिक्षा प्रदान करने के लिए साल 1988 में आईएनएस करंजा में नौसेना युद्ध कॉलेज की स्थापना की गई थी। साल 2010 में इस कॉलेज का नाम बदलकर नौसेना युद्ध कॉलेज कर दिया गया और 2011 में इसे गोवा में इसके मौजूदा स्थान पर स्थानांतरित कर दिया गया। उच्च सैन्य शिक्षा के लिए एक प्रमुख प्रतिष्ठित संस्थान होने की दृष्टि से इस कॉलेज का मिशन सशस्त्र बलों के अधिकारियों को रणनीतिक और परिचालन स्तरों पर नेतृत्व के लिए तैयार करना है। इसके अलावा यह कॉलेज समुद्री सुरक्षा पाठ्यक्रम भी संचालित करता है, जिसमें हमारे समुद्री पड़ोस के सैन्य अधिकारी भी हिस्सा लेते हैं और एक खुले, सुरक्षित और समावेशी हिंद महासागर क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए सहयोग करते हैं, जो हमारे माननीय प्रधानमंत्री के ‘सागर’ की सोच को प्रतिबिंबित करता है। नौसेना युद्ध कॉलेज वॉरगेमिंग और आर्कटिक अध्ययन के लिए भारतीय नौसेना का उत्कृष्टता केंद्र भी है।

चोल‘ भवन

अकादमिक निर्देश, अनुसंधान और युद्धाभ्यास के लिए नौसेना युद्ध कॉलेज का भवन चोल राजवंश की समुद्री शक्ति से प्रेरित है। इस संरचना के केंद्रीय भाग में एक टाइलयुक्त भित्तिचित्र है, जो साल 1025 में हिंद महासागर के सुदूर समुद्र पार श्रीविजय साम्राज्य के लिए राजेंद्र चोल के अभियान को दिखाता है। इस भवन का नाम अतीत में भारत के समुद्री प्रभाव और मौजूदा समय में एक समुद्री शक्ति के रूप में इसके फिर से उत्थान को दिखाकर अतीत को वर्तमान से जोड़ता है।

इस भवन का निर्माण गृह-III मानदंडों के अनुरूप किया गया है। इस भवन की कई प्रमुख विशेषताएं हैं। इनमें पर्यावरणीय विकास पहलों के लिए उत्खनित मिट्टी का घरेलू उपयोग, 10 लाख लीटर से अधिक की वर्षा जल संचयन क्षमता, 100 किलोवाट सौर ऊर्जा उत्पादन और हरित भवन मानक शामिल हैं। टिकाऊपन और ऊर्जा दक्षता के पहलू इस भवन के डिजाइन इंजीनियरिंग दर्शन के मूल हैं, जिसका सबसे अच्छा उदाहरण 100 साल पुराने बरगद के पेड़ को उखाड़े बिना उसके आसपास भवन का निर्माण करना है।

प्रतीकात्मक रूप से यह भवन रीस मैगोस में पुर्तगालियों के औपनिवेशिक किले की तरह दिखता है। यह उपयुक्त स्थान औपनिवेशिक अतीत के अवशेषों को छोड़ने के भारत की प्रतिबद्धता को दिखाती है। इसके अलावा यह भविष्य के सैन्य हस्तियों के लिए छत्रपति शिवाजी के ‘जलमेव यस्य, बलमेव तस्य’ (जो समुद्र को नियंत्रित करता है, वह सर्वशक्तिमान है) में स्पष्ट विश्वास के निरंतर मूल्य के एक उपयुक्त अनुस्मारक के रूप में कार्य करता है।

*******

Latest Posts

spot_imgspot_img

Don't Miss

Stay in touch

To be updated with all the latest news, offers and special announcements.