आसमान से जुड़ते सपने
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को नई दिल्ली में केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री श्री किंजरापु राममोहन नायडू से भेंट कर उत्तराखण्ड के विमानन ढांचे को सशक्त बनाने की दिशा में कई दूरदर्शी प्रस्ताव रखे। यह भेंट केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि राज्य के पर्यटन, आपदा प्रबंधन और नागरिक सुविधाओं को नई ऊंचाई देने का खाका है।
मुख्यमंत्री ने साफ किया कि उत्तराखण्ड जैसे भौगोलिक दृष्टि से कठिन राज्य के लिए हवाई सम्पर्क विलासिता नहीं, आवश्यकता है। राज्य का 70 प्रतिशत क्षेत्र वनाच्छादित और पर्वतीय है, जहां सड़क मार्ग कई बार मौसम या आपदा के कारण बाधित रहते हैं। ऐसे में हवाई सेवाएं जीवनरेखा का कार्य करती हैं।
चारधाम यात्रा होगी सुगम
धामी जी ने विशेष रूप से चारधाम यात्रा के लिए हेली सेवाओं को पुनः शुरू करने पर जोर दिया। यह कदम बुजुर्गों, दिव्यांगों और असमर्थ श्रद्धालुओं के लिए वरदान साबित होगा। हेलीकॉप्टर सेवाओं के संचालन से न केवल यात्रा सरल होगी, बल्कि सड़क मार्गों पर दबाव भी घटेगा।
क्षेत्रीय हवाई पट्टियों का विकास
मुख्यमंत्री ने गौचर (चमोली) और चिन्यालीसौड़ (उत्तरकाशी) हवाई पट्टियों को छोटे विमान संचालन योग्य बनाने का प्रस्ताव रखा। इन्हें दिल्ली, देहरादून और हिंडन से जोड़ने से जहां चारधाम यात्रा सुगम होगी, वहीं पर्वतीय क्षेत्रों में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति भी आसान होगी।
नई संभावनाओं के द्वार
जौलीग्रांट एयरपोर्ट से रात्रिकालीन हवाई सेवाओं की शुरुआत, पंतनगर एयरपोर्ट के विस्तार और दिल्ली-पिथौरागढ़ हवाई सेवा को नियमित करने जैसे सुझाव राज्य की आर्थिक और सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण हैं। इनसे पर्यटन को बल मिलेगा, रोज़गार के अवसर बढ़ेंगे और आपदा प्रबंधन की क्षमता में भी इजाफा होगा।
आभार और आश्वासन
मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड को विमानन क्षेत्र में निरंतर सहयोग देने के लिए केंद्र सरकार का आभार जताया और ‘हाउस ऑफ हिमालयाज’ पहल की भी सराहना की, जिसने राज्य के स्थानीय उत्पादों को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई है।
केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ने मुख्यमंत्री को सभी प्रस्तावों पर सकारात्मक कार्यवाही का आश्वासन दिया। इससे यह स्पष्ट है कि उत्तराखण्ड अब विमानन मानचित्र पर और अधिक सशक्त उपस्थिति दर्ज कराने की ओर अग्रसर है।
निष्कर्ष
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की यह पहल केवल पर्यटन या हवाई यात्रा तक सीमित नहीं है। यह जन-जीवन की सुगमता, आपदा से निपटने की क्षमता और राज्य की आर्थिक समृद्धि से गहराई से जुड़ा कदम है। उत्तराखण्ड का भविष्य आसमान से जुड़ते इन सपनों के साथ और अधिक उज्ज्वल होता दिखाई दे रहा है।