उत्तराखंड की भौगोलिक संरचना जितनी सुंदर है, उतनी ही संवेदनशील भी। पहाड़ों पर कभी अतिवृष्टि, कभी भूस्खलन और कभी बादल फटने जैसी घटनाएँ यहाँ के जनजीवन को प्रभावित करती रही हैं। ऐसे संकट के समय शासन की संवेदनशीलता और तत्परता ही आमजन में भरोसा जगाती है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा आईटी पार्क स्थित राज्य आपदा परिचालन केंद्र से पूरे प्रदेश में अतिवृष्टि प्रभावित क्षेत्रों की समीक्षा इसी जिम्मेदारी की झलक है।
चमोली जनपद के नंदानगर क्षेत्र में आपदा की सूचना मिलते ही जिस तरह से मुख्यमंत्री ने जिला प्रशासन और पुलिस बल को सक्रिय किया, गंभीर रूप से घायल लोगों को एम्स ऋषिकेश एयरलिफ्ट करने का निर्देश दिया और लगातार राहत कार्यों पर नजर बनाए रखी, वह बताता है कि शासन केवल आदेश देने तक सीमित नहीं है, बल्कि हर पल सक्रिय निगरानी में है।
राहत से पुनर्वास तक की दृष्टि
मुख्यमंत्री ने साफ निर्देश दिए कि प्रभावित क्षेत्रों में न केवल बचाव बल्कि मूलभूत सुविधाओं की बहाली को भी प्राथमिकता दी जाए। सड़क, पेयजल, बिजली और नेटवर्क ये जीवनरेखाएँ हैं। इनके बिना राहत कार्य अधूरे हैं। साथ ही, आश्रय, भोजन, स्वच्छ पेयजल और दवाओं की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने पर जोर यह दर्शाता है कि सरकार केवल तात्कालिक राहत पर नहीं, बल्कि व्यापक पुनर्वास की दृष्टि से कार्य कर रही है।
मानवता का स्पर्श
आपदा प्रबंधन केवल तंत्र और तकनीक की बात नहीं है, इसमें मानवता का स्पर्श आवश्यक है। प्रभावित परिवारों तक राहत सामग्री समय पर पहुँचना, डॉक्टरों की पर्याप्त तैनाती और आपदा परिचालन केंद्र से मुख्यमंत्री की सीधी निगरानी यह विश्वास जगाती है कि कोई भी पीड़ित अकेला नहीं है।
संदेश और संकल्प
उत्तराखंड जैसे आपदा-प्रवण राज्य में इस प्रकार की तत्परता और समन्वय अन्य राज्यों के लिए भी सीख का विषय हो सकती है। मुख्यमंत्री धामी का यह संदेश स्पष्ट है कि आपदा केवल प्राकृतिक चुनौती नहीं, बल्कि शासन की परीक्षा भी है। और इस परीक्षा में सफलता संवेदनशीलता, तत्परता और समर्पण से ही संभव है।
आज जब नंदानगर जैसे प्रभावित क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्य पूरी गति से चल रहे हैं, तब यह विश्वास और भी गहरा होता है कि सरकार हर संकट की घड़ी में नागरिकों के साथ खड़ी है।