Saturday, May 10, 2025

Latest Posts

अनुसंधानकर्ताओं के लिए बड़ा प्रोत्साहन : भारत बेहतर सटीकता के लिए जर्मनी के अनुसंधान केंद्र में उन्नत सिंक्रोटोन सुविधाओं पर विद्यमान साझीदारी का विस्तार कर सकता है

भारतीय वैज्ञानिकों ने एक द्विपक्षीय संचालन समिति के दौरान भारत उन्नत सिंक्रोटोन सुविधाओं पर विद्यमान साझीदारी के विस्तार की संभावनाओं पर विचार किया है जो सबसे छोटे स्तरों पर अलग अलग वस्तुओं की माप कर सकते हैं, संरचना, ऊर्जा की स्थितियों और उन्नत सामग्रियों के कार्यों को रिकॉर्ड कर सकते हैं तथा ऊर्जा एवं पर्यावरण के प्रति सुसंगत मूल – स्थान प्रतिक्रिया के स्नैपशौट का अध्ययन कर सकते हैं।

जर्मनी के एक विख्यात अनुसंधान केंद्र ड्यूश एलेक्ट्रोनेन – सिंक्रोटोन ( डीईएसवाई ) से एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने 12 – 14 मार्च, 2024 को बंगलुरु में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्तशासी संस्थान जवाहर लाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च (जेएनसीएएसआर) का दौरा किया और सिंक्रोटोन एक्स-रे प्रयोगों पर भारतीय वैज्ञानिकों तथा डीईएसवाई के बीच वर्तमान में जारी सहयोग की प्रगति पर विचार विमर्श केया। उन्होंने पेट्रा iv तथा फ्री इलेक्ट्रोन लेजर में प्रयोगों में साझीदारी करने की संभावना पर भी चर्चा की जो अधिक सटीकता के साथ एक उन्नत अनुसंधान बुनियादी ढांचा होगा।

इस सहयोगात्मक प्रयास पर 2011 में भारत सरकार के तत्कालीन वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर सी एन आर द्वारा शुरु किए गए भारत-जर्मन सहयोग का विस्तार करते हुए नैनो और उन्नत सामग्री विज्ञान में भारत और डीईएसवाई के बीय कार्यनीतिक साझीदारी के विस्तार के रूप में चर्चा की गई थी। विद्यमान साझीदारी ने तब से 60 संस्थानों के 1000 से अधिक भारतीय शोधकर्ताओं को उन्नत सामग्री एवं नैनो विज्ञान में अपने शोध के लिए डीईएसवाई में सिंक्रोटोन विकिरण स्त्रोत पेट्रा iii का उपयोग करने में सक्षम बनाया है।

इस सहयोग का परिणाम 7 के औसत प्रभाव कारक के साथ 340 वैज्ञानिक प्रकाशनों के रूप में सामने आया है जिसमें नोवेल क्वांटम मैटेरियल्स, ऊर्जा एवं स्वच्छ वातावरण के लिए उन्नत मैटेरियल्स और सेमीकंडक्टर जैसे विषय शामिल हैं।

एनसीएएसआर में उपयोगकर्ता कार्यशाला लोकसंपर्क कार्यक्रम के पहले दिन आयोजित एक द्विपक्षीय संचालन समिति के दौरान पेट्रा iii पर वर्तमान सहयोग को विस्तारित करने तथा पेट्रा 4 एवं फ्री इलेक्ट्रोन लेजर में प्रयोगों में साझीदारी करने की संभावना पर भी चर्चा की जो अधिक सटीकता और बीमलाइन की चमक के साथ एक उन्नत अनुसंधान बुनियादी ढांचा होगा।

पेट्रा iv सबसे छोटे स्तरों पर अलग अलग वस्तुओं की माप करने, संरचना, ऊर्जा की स्थितियों और उन्नत सामग्रियों के कार्यों को रिकॉर्ड करने तथा ऊर्जा एवं पर्यावरण के प्रति सुसंगत मूल – स्थान प्रतिक्रिया के स्नैपशौट का अध्ययन करने में सक्षम बनाएंगे।

 

इस वैज्ञानिक कार्यशाला, जिसका आयोजन डीईएसवाई के दौरे के दौरान किया गया था, में भारतीय विश्वविद्यालयों, अनुसंधान संस्थानों तथा टाटा स्टील जैसे उद्योग के विशेषज्ञों जैसे लगभग 100 सहभागियों ने हिस्सा लिया। कार्यशाला में नए शोध परिणामों पर रिपोर्ट की गई तथा डीईएसवाई एवं जर्मनी के साथ भविष्य के वैज्ञानिक अवसरों पर चर्चा की। यह सहयोग दोनों देशों की रणनीतिक साझीदारी के अनुरुप है, जो इस वर्ष भारत-जर्मनी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सहयोग की 50वीं वर्षगांठ मना रहे हैं।

Latest Posts

spot_imgspot_img

Don't Miss

Stay in touch

To be updated with all the latest news, offers and special announcements.